Article 290 of the Indian Constitution
jp Singh
2025-07-05 14:41:17
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भारतीय संविधान का अनुच्छेद 290
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 290
अनुच्छेद 290 भारतीय संविधान के भाग XII(वित्त, संपत्ति, संविदाएँ और वाद) के अध्याय I(वित्त) में आता है। यह केंद्र और राज्यों के बीच कुछ व्ययों के समायोजन(Adjustment in respect of certain expenses and pensions) से संबंधित है। यह प्रावधान केंद्र और राज्यों के बीच कुछ विशिष्ट व्ययों, जैसे जम्मू-कश्मीर और अन्य विशेष परिस्थितियों से संबंधित खर्चों, के समायोजन के लिए नियम निर्धारित करता है।
"जहाँ संविधान के तहत केंद्र सरकार या किसी राज्य सरकार को कोई व्यय करना पड़ता है, जो किसी अन्य सरकार के लिए है, या किसी पेंशन का भुगतान करना पड़ता है, जो केंद्र और राज्य के बीच बाँटा जाना है, तो ऐसी राशि का समायोजन संसद द्वारा बनाए गए कानून के अनुसार होगा।"
उद्देश्य: अनुच्छेद 290 का उद्देश्य केंद्र और राज्यों के बीच कुछ विशिष्ट वित्तीय व्ययों और पेंशन भुगतानों के समायोजन के लिए एक ढांचा प्रदान करना है, जो एक सरकार द्वारा दूसरी सरकार के लिए किए जाते हैं। यह प्रावधान वित्तीय समन्वय और सहकारी संघवाद को सुनिश्चित करता है, विशेष रूप से उन मामलों में जहाँ केंद्र या राज्य एक-दूसरे के लिए व्यय करते हैं। इसका लक्ष्य वित्तीय पारदर्शिता, जवाबदेही, और संघीय ढांचे में संतुलन बनाए रखना है।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: संवैधानिक ढांचा: अनुच्छेद 290 संविधान के मूल ढांचे का हिस्सा है, जो 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ। यह भारत सरकार अधिनियम, 1935 से प्रेरित था, जिसमें केंद्र और प्रांतों के बीच वित्तीय समायोजन के प्रावधान थे। भारतीय संदर्भ: स्वतंत्रता के समय, जम्मू-कश्मीर जैसे विशेष राज्यों और रियासतों के एकीकरण के कारण वित्तीय समायोजन की आवश्यकता थी। अनुच्छेद 290 ने इस प्रक्रिया को सुगम बनाया। प्रासंगिकता: 2025 में, यह प्रावधान केंद्र और राज्यों के बीच विशेष परियोजनाओं(जैसे, जम्मू-कश्मीर में विकास कार्य) और पेंशन भुगतानों के समायोजन के लिए प्रासंगिक है
अनुच्छेद 290 के प्रमुख तत्व
वित्तीय समायोजन: यदि केंद्र सरकार किसी राज्य के लिए व्यय करती है, या कोई राज्य केंद्र के लिए व्यय करता है, तो ऐसी राशि का समायोजन संसद द्वारा बनाए गए कानून के अनुसार होगा। यह समायोजन विशेष परिस्थितियों, जैसे जम्मू-कश्मीर के लिए व्यय, पर लागू होता है। उदाहरण: 2025 में, जम्मू-कश्मीर में केंद्र द्वारा वित्तपोषित बुनियादी ढांचा परियोजनाओं का समायोजन।
पेंशन भुगतान: यदि कोई पेंशन केंद्र और राज्य के बीच बाँटी जानी है(जैसे, केंद्र और राज्य कर्मचारियों की संयुक्त सेवा), तो इसका समायोजन भी संसद के कानून के तहत होगा। उदाहरण: 2025 में, अखिल भारतीय सेवाओं(IAS, IPS) के सेवानिवृत्त अधिकारियों की पेंशन का समायोजन।
संसद की शक्ति: संसद को समायोजन के नियम और प्रक्रिया निर्धारित करने की शक्ति है। यह केंद्र और राज्यों के बीच वित्तीय लेन-देन में एकरूपता सुनिश्चित करता है। उदाहरण: वित्तीय समायोजन अधिनियम के तहत नियम।
महत्व: सहकारी संघवाद: केंद्र और राज्यों के बीच वित्तीय समन्वय। वित्तीय पारदर्शिता: व्यय और पेंशन का निष्पक्ष समायोजन। विशेष परिस्थितियाँ: जम्मू-कश्मीर जैसे विशेष क्षेत्रों के लिए व्यवस्था। न्यायिक समीक्षा: समायोजन की वैधता पर कोर्ट की निगरानी।
प्रमुख विशेषताएँ: समायोजन: केंद्र और राज्यों के बीच व्यय। पेंशन: संयुक्त भुगतान। संसद की शक्ति: समायोजन के नियम। संघीय ढांचा: वित्तीय समन्वय।
ऐतिहासिक उदाहरण: 1950-1960 के दशक: जम्मू-कश्मीर के लिए केंद्र के व्यय का समायोजन। 2000 के दशक: अखिल भारतीय सेवाओं की पेंशन का समायोजन। 2025 स्थिति: जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में केंद्र के विकास कार्यों का समायोजन।
चुनौतियाँ और विवाद: केंद्र-राज्य तनाव: समायोजन की राशि और प्रक्रिया पर असहमति। प्रशासनिक जटिलताएँ: पेंशन और व्यय के हिसाब में देरी। न्यायिक समीक्षा: समायोजन की वैधता पर कोर्ट की जाँच।
संबंधित प्रावधान: अनुच्छेद 266: संगठित निधि और लोक लेखा। अनुच्छेद 280: वित्त आयोग। अनुच्छेद 279A: GST परिषद। अनुच्छेद 282: सार्वजनिक उद्देश्यों के लिए व्यय।
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jp Singh
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