Article 288 of the Indian Constitution
jp Singh
2025-07-05 14:38:20
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भारतीय संविधान का अनुच्छेद 288
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 288
अनुच्छेद 288 भारतीय संविधान के भाग XII(वित्त, संपत्ति, संविदाएँ और वाद) के अध्याय I(वित्त) में आता है। यह केंद्र सरकार के कुछ कार्यों और जल व्यापार से संबंधित करों से छूट(Exemption from taxation by States in respect of certain Union functions and water trade) से संबंधित है। यह प्रावधान केंद्र सरकार के कुछ विशिष्ट कार्यों और जल व्यापार से संबंधित गतिविधियों को राज्यों द्वारा लगाए गए करों से छूट प्रदान करता है।
"(1) कोई भी राज्य, केंद्र सरकार के व्यापार या व्यवसाय से संबंधित संपत्ति या आय पर कोई कर नहीं लगा सकता, जब तक कि संसद कानून द्वारा अन्यथा प्रावधान न करे।
(2) कोई भी राज्य, जल व्यापार, जल आपूर्ति, या जल से संबंधित कार्यों पर कर नहीं लगा सकता, जो केंद्र सरकार द्वारा या उसकी ओर से किए जाते हैं, जब तक कि संसद कानून द्वारा अन्यथा प्रावधान न करे।
(3) उपखंड(2) में उल्लिखित जल व्यापार आदि पर कोई कर, जो 26 जनवरी 1950 से पहले लागू था, तब तक लागू रह सकता है, जब तक कि संसद कानून द्वारा इसे रद्द न करे।"
उद्देश्य: अनुच्छेद 288 का उद्देश्य केंद्र सरकार के विशिष्ट कार्यों(जैसे, व्यापार, व्यवसाय) और जल व्यापार या जल आपूर्ति से संबंधित गतिविधियों को राज्यों द्वारा लगाए गए करों से छूट प्रदान करना है। यह प्रावधान केंद्र सरकार की वित्तीय स्वायत्तता और संघीय प्रभुत्व को बनाए रखता है, ताकि राज्यों के कर केंद्र की महत्वपूर्ण गतिविधियों में बाधा न डालें। इसका लक्ष्य संघीय ढांचे में केंद्र-राज्य वित्तीय संबंधों में संतुलन बनाए रखना और जल जैसे आवश्यक संसाधनों की आपूर्ति को करों से प्रभावित होने से बचाना है।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: संवैधानिक ढांचा: अनुच्छेद 288 संविधान के मूल ढांचे का हिस्सा है, जो 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ। यह भारत सरकार अधिनियम, 1935 से प्रेरित था, जिसमें केंद्र सरकार की कुछ गतिविधियों को प्रांतीय करों से छूट दी गई थी। भारतीय संदर्भ: स्वतंत्रता के समय, केंद्र सरकार जल परियोजनाओं और कुछ व्यापारिक गतिविधियों(जैसे, डाक, रेलवे) में शामिल थी। अनुच्छेद 288 ने इन गतिविधियों को राज्यों के करों से बचाया। प्रासंगिकता: 2025 में, यह प्रावधान केंद्र सरकार की जल परियोजनाओं(जैसे, नमामि गंगे, जल जीवन मिशन) और केंद्रीय व्यापारिक गतिविधियों(जैसे, रेलवे, डाक) पर राज्यों के करों से छूट के लिए महत्वपूर्ण है।
अनुच्छेद 288 के प्रमुख तत्व
खंड(1): केंद्र के व्यापार पर छूट: केंद्र सरकार के व्यापार या व्यवसाय से संबंधित संपत्ति या आय पर कोई भी राज्य कर नहीं लगा सकता। यह छूट केंद्र की वाणिज्यिक गतिविधियों(जैसे, रेलवे, डाक सेवाएँ) पर लागू होती है। संसद को इस छूट को संशोधित करने की शक्ति है। उदाहरण: 2025 में, भारतीय रेलवे की संपत्ति पर उत्तर प्रदेश सरकार संपत्ति कर नहीं लगा सकती।
खंड(2): जल व्यापार पर छूट: केंद्र सरकार द्वारा या उसकी ओर से संचालित जल व्यापार, जल आपूर्ति, या जल से संबंधित कार्यों(जैसे, सिंचाई, जल परियोजनाएँ) पर कोई राज्य कर नहीं लगा सकता। यह जल जैसे आवश्यक संसाधन की लागत को कम रखता है। उदाहरण: 2025 में, नमामि गंगे परियोजना के तहत गंगा सफाई परियोजनाओं पर राज्यों के करों से छूट।
खंड(3): ऐतिहासिक करों की बचत: यदि कोई कर 26 जनवरी 1950 से पहले जल व्यापार या केंद्र के कार्यों पर लागू था, तो वह तब तक जारी रह सकता है, जब तक संसद उसे रद्द न करे। यह खंड अब अप्रासंगिक है, क्योंकि ऐसे कर समाप्त हो चुके हैं। उदाहरण(ऐतिहासिक): 1950 से पहले, कुछ स्थानीय निकायों ने जल परियोजनाओं पर कर लगाया था।
महत्व: संघीय प्रभुत्व: केंद्र की गतिविधियों की सुरक्षा। वित्तीय स्वायत्तता: केंद्र पर राज्य करों का बोझ नहीं। जल आपूर्ति: जल परियोजनाओं की लागत में कमी। न्यायिक समीक्षा: छूट और करों की वैधता पर कोर्ट की निगरानी।
प्रमुख विशेषताएँ: छूट: केंद्र के व्यापार और जल कार्यों पर। संसद की शक्ति: छूट को संशोधित करना। ऐतिहासिक बचत: 1950 से पहले के कर। संघीय ढांचा: केंद्र का प्रभुत्व।
ऐतिहासिक उदाहरण: 1950-1960 के दशक: रेलवे और डाक सेवाओं पर कर छूट। 2000 के दशक: जल जीवन मिशन जैसी परियोजनाओं पर छूट। 2025 स्थिति: नमामि गंगे और स्मार्ट सिटी परियोजनाओं पर कर छूट।
चुनौतियाँ और विवाद: केंद्र-राज्य तनाव: राज्यों द्वारा कर लगाने की मांग। प्रशासनिक जटिलताएँ: छूट की परिभाषा पर असहमति। न्यायिक समीक्षा: छूट की वैधता पर कोर्ट की जाँच।
संबंधित प्रावधान: अनुच्छेद 285: केंद्र की संपत्ति पर कर छूट। अनुच्छेद 287: बिजली पर कर छूट। अनुच्छेद 279A: GST परिषद। अनुच्छेद 280: वित्त आयोग।
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jp Singh
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