Article 287 of the Indian Constitution
jp Singh
2025-07-05 14:35:07
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भारतीय संविधान का अनुच्छेद 287
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 287
अनुच्छेद 287 भारतीय संविधान के भाग XII(वित्त, संपत्ति, संविदाएँ और वाद) के अध्याय I(वित्त) में आता है। यह बिजली की खपत या बिक्री पर कर से छूट(Exemption from taxes on electricity) से संबंधित है। यह प्रावधान केंद्र सरकार द्वारा उत्पादित या खरीदी गई बिजली की खपत या बिक्री पर राज्यों द्वारा कर लगाने पर प्रतिबंध लगाता है, जब तक कि संसद कानून द्वारा अन्यथा प्रावधान न करे।
"कोई भी राज्य, केंद्र सरकार द्वारा या उसकी ओर से उत्पादित या खरीदी गई बिजली की खपत या बिक्री पर कोई कर नहीं लगा सकता, जब तक कि संसद कानून द्वारा अन्यथा प्रावधान न करे।"
उद्देश्य: अनुच्छेद 287 का उद्देश्य केंद्र सरकार द्वारा उत्पादित या खरीदी गई बिजली की खपत या बिक्री को राज्यों के कराधान से छूट प्रदान करना है। यह प्रावधान केंद्र सरकार की वित्तीय स्वायत्तता को बनाए रखता है और बिजली जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्र में केंद्र की कार्यप्रणाली को राज्यों के करों से प्रभावित होने से बचाता है। इसका लक्ष्य संघीय ढांचे में केंद्र-राज्य वित्तीय संबंधों में संतुलन बनाए रखना और बिजली आपूर्ति की लागत को कम रखना है।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: संवैधानिक ढांचा: अनुच्छेद 287 संविधान के मूल ढांचे का हिस्सा है, जो 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ। यह भारत सरकार अधिनियम, 1935 से प्रेरित था, जिसमें केंद्र सरकार की कुछ गतिविधियों को प्रांतीय करों से छूट दी गई थी। भारतीय संदर्भ: स्वतंत्रता के समय, बिजली उत्पादन और वितरण मुख्य रूप से केंद्र और कुछ राज्यों के नियंत्रण में था। अनुच्छेद 287 ने केंद्र के बिजली उत्पादन को राज्यों के करों से बचाया। प्रासंगिकता: 2025 में, यह प्रावधान केंद्र द्वारा संचालित बिजली परियोजनाओं(जैसे, NTPC, NHPC) पर राज्यों के करों से छूट के लिए महत्वपूर्ण है।
अनुच्छेद 287 के प्रमुख तत्व
बिजली पर कर से छूट: कोई भी राज्य केंद्र सरकार द्वारा या उसकी ओर से उत्पादित या खरीदी गई बिजली की खपत या बिक्री पर कर नहीं लगा सकता। यह छूट बिजली के उत्पादन, वितरण, या उपयोग पर लागू होती है। उदाहरण: 2025 में, उत्तर प्रदेश सरकार NTPC द्वारा उत्पादित बिजली पर कर नहीं लगा सकती।
संसद की शक्ति: संसद कानून बनाकर इस छूट को संशोधित या हटा सकती है। यह केंद्र को कर नीतियों पर अंतिम नियंत्रण देता है। उदाहरण: 2025 तक, संसद ने बिजली पर GST लागू नहीं किया, लेकिन कुछ शुल्कों को अनुमति दी।
महत्व: संघीय प्रभुत्व: केंद्र की बिजली परियोजनाओं की सुरक्षा। वित्तीय स्वायत्तता: केंद्र पर राज्य करों का बोझ नहीं। बिजली की लागत: उपभोक्ताओं के लिए बिजली की लागत कम रखना। न्यायिक समीक्षा: छूट और करों की वैधता पर कोर्ट की निगरानी।
प्रमुख विशेषताएँ: छूट: केंद्र की बिजली पर कर। संसद की शक्ति: छूट को संशोधित करना। संघीय ढांचा: केंद्र का प्रभुत्व। बिजली क्षेत्र: लागत और पहुंच।
ऐतिहासिक उदाहरण: 1950-1960 के दशक: केंद्र के बिजली संयंत्रों(जैसे, भाखड़ा नंगल) पर कर छूट। 2000 के दशक: NTPC और NHPC परियोजनाओं पर छूट। 2025 स्थिति: नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं(जैसे, सौर, पवन) पर केंद्र की छूट।
चुनौतियाँ और विवाद: केंद्र-राज्य तनाव: राज्यों द्वारा बिजली पर कर लगाने की मांग। GST का प्रभाव: बिजली को GST से बाहर रखने पर विवाद। न्यायिक समीक्षा: छूट की वैधता पर कोर्ट की जाँच।
संबंधित प्रावधान: अनुच्छेद 285: केंद्र की संपत्ति पर कर छूट। अनुच्छेद 286: बिक्री कर पर प्रतिबंध। अनुच्छेद 279A: GST परिषद। अनुच्छेद 280: वित्त आयोग।
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jp Singh
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