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Article 279A of the Indian Constitution
jp Singh 2025-07-05 14:18:27
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भारतीय संविधान का अनुच्छेद 279A

भारतीय संविधान का अनुच्छेद 279A
अनुच्छेद 279A भारतीय संविधान के भाग XII(वित्त, संपत्ति, संविदाएँ और वाद) के अध्याय I(वित्त) में आता है। यह वस्तु और सेवा कर परिषद(GST परिषद)(Goods and Services Tax Council) से संबंधित है। यह प्रावधान 101वें संवैधानिक संशोधन(2016) द्वारा जोड़ा गया था और वस्तु और सेवा कर(GST) से संबंधित नीतियों, दरों, और वितरण के लिए एक संवैधानिक निकाय की स्थापना करता है।
"(1) राष्ट्रपति, संविधान(101वां संशोधन) अधिनियम, 2016 के प्रारंभ होने के 60 दिनों के भीतर, वस्तु और सेवा कर परिषद का गठन करेंगे।
(2) GST परिषद में निम्नलिखित सदस्य होंगे:
(क) केंद्रीय वित्त मंत्री(अध्यक्ष);
(ख) केंद्रीय राजस्व राज्य मंत्री(सदस्य);
(ग) प्रत्येक राज्य का वित्त मंत्री या नामित मंत्री(सदस्य)।
(3) परिषद की जिम्मेदारियाँ: GST की दरें, छूट, और सीमाएँ निर्धारित करना। करों के वितरण के सिद्धांत। विशेष राज्यों के लिए विशेष प्रावधान।
(4) परिषद के निर्णय तीन-चौथाई बहुमत से लिए जाएँगे, जिसमें केंद्र का एक-तिहाई और राज्यों का दो-तिहाई वोट होगा।
(5) परिषद की सिफारिशें बाध्यकारी नहीं हैं, लेकिन संसद और राज्य विधानमंडलों द्वारा लागू की जा सकती हैं।"
उद्देश्य: अनुच्छेद 279A का उद्देश्य GST परिषद की स्थापना करना है, जो वस्तु और सेवा कर(GST) से संबंधित नीतियों, दरों, और वितरण के लिए सिफारिशें देती है। यह केंद्र और राज्यों के बीच सहकारी संघवाद को बढ़ावा देता है, ताकि GST से संबंधित निर्णयों में समन्वय और निष्पक्षता सुनिश्चित हो। इसका लक्ष्य एकीकृत कर प्रणाली, वित्तीय पारदर्शिता, और आर्थिक एकीकरण को बढ़ावा देना है।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: संवैधानिक ढांचा: अनुच्छेद 279A को 101वें संवैधानिक संशोधन(2016) द्वारा जोड़ा गया, जब GST लागू किया गया। यह भारत की कर प्रणाली को एकीकृत करने और पुराने अप्रत्यक्ष करों(जैसे, उत्पाद शुल्क, सेवा कर, वैट) को समाप्त करने के लिए बनाया गया। भारतीय संदर्भ: GST से पहले, केंद्र और राज्यों के बीच करों का बंटवारा जटिल था। GST परिषद ने इसे सरल और समन्वित बनाया। प्रासंगिकता: 2025 में, GST परिषद डिजिटल अर्थव्यवस्था(जैसे, क्रिप्टोकरेंसी, ऑनलाइन सेवाएँ) पर GST नीतियों को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
अनुच्छेद 279A के प्रमुख तत्व
खंड(1): GST परिषद का गठन: राष्ट्रपति द्वारा 101वें संशोधन के 60 दिनों के भीतर GST परिषद का गठन किया गया। यह एक संवैधानिक निकाय है, जो केंद्र और राज्यों के बीच समन्वय सुनिश्चित करता है। उदाहरण: 2016 में, राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने GST परिषद का गठन किया।
खंड(2): परिषद की संरचना: अध्यक्ष: केंद्रीय वित्त मंत्री(2025 में, निर्मला सीतारमण)। सदस्य: केंद्रीय राजस्व राज्य मंत्री और प्रत्येक राज्य का वित्त मंत्री या नामित मंत्री। उदाहरण: 2025 में, सभी 28 राज्यों और 8 केंद्र शासित प्रदेशों के वित्त मंत्री परिषद में शामिल।
खंड(3): परिषद की जिम्मेदारियाँ: GST दरें: मानक दर, छूट, और विशेष दरें। वितरण: केंद्र और राज्यों के बीच CGST और IGST का बंटवारा। विशेष प्रावधान: आर्थिक रूप से कमजोर राज्यों के लिए। उदाहरण: 2025 में, परिषद ने क्रिप्टोकरेंसी पर 28% GST दर की सिफारिश की।
खंड(4): मतदान प्रक्रिया: निर्णय तीन-चौथाई बहुमत से लिए जाते हैं। केंद्र का वोट: एक-तिहाई। राज्यों का वोट: दो-तिहाई। यह केंद्र और राज्यों के बीच संतुलन सुनिश्चित करता है। उदाहरण: 2025 में, डिजिटल सेवाओं पर GST दर में बदलाव के लिए तीन-चौथाई बहुमत।
खंड(5): सिफारिशों की प्रकृति: परिषद की सिफारिशें बाध्यकारी नहीं हैं, लेकिन संसद और राज्य विधानमंडल इन्हें लागू कर सकते हैं। उदाहरण: 2025 में, GST परिषद की सिफारिशों को GST अधिनियम में शामिल किया गया।
महत्व: सहकारी संघवाद: केंद्र और राज्यों के बीच समन्वय। GST ढांचा: एकीकृत और पारदर्शी कर प्रणाली। आर्थिक एकीकरण: राष्ट्रीय बाजार का निर्माण। न्यायिक समीक्षा: परिषद की सिफारिशों की वैधता पर कोर्ट की निगरानी।
प्रमुख विशेषताएँ: GST परिषद: संवैधानिक निकाय। मतदान: तीन-चौथाई बहुमत। सिफारिशें: दरें, वितरण, छूट। संघीय ढांचा: सहकारी संघवाद।
ऐतिहासिक उदाहरण: 2017: GST परिषद ने 5%, 12%, 18%, और 28% की GST दरें निर्धारित कीं। 2020 के दशक: डिजिटल सेवाओं पर GST नीतियाँ। 2025 स्थिति: क्रिप्टोकरेंसी और ऑनलाइन स्ट्रीमिंग पर GST।
चुनौतियाँ और विवाद: केंद्र-राज्य तनाव: GST दरों और वितरण पर असहमति। आर्थिक प्रभाव: छोटे व्यवसायों पर GST का बोझ। न्यायिक समीक्षा: परिषद की सिफारिशों की वैधता पर कोर्ट की जाँच।
संबंधित प्रावधान: अनुच्छेद 269A: GST का संग्रह और वितरण। अनुच्छेद 270: केंद्र-राज्य कर वितरण। अनुच्छेद 279: शुद्ध आय की गणना। अनुच्छेद 280: वित्त आयोग।
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