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Article 279 of the Indian Constitution
jp Singh 2025-07-05 14:15:55
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भारतीय संविधान का अनुच्छेद 279

भारतीय संविधान का अनुच्छेद 279
अनुच्छेद 279 भारतीय संविधान के भाग XII(वित्त, संपत्ति, संविदाएँ और वाद) के अध्याय I(वित्त) में आता है। यह वस्तु और सेवा कर(GST) से संबंधित गणना और शुद्ध आय(Calculation of “net proceeds” of taxes) से संबंधित है। यह प्रावधान 101वें संवैधानिक संशोधन(2016) द्वारा जोड़ा गया था और वस्तु और सेवा कर(GST) की शुद्ध आय की गणना और वितरण को नियंत्रित करता है।
"(1) इस भाग में, जहाँ कहीं 'शुद्ध आय'(net proceeds) का उल्लेख है, इसका अर्थ उन करों या शुल्कों की आय से होगा, जो संग्रह लागत और अन्य निर्धारित कटौतियों के बाद शेष रहती है।
(2) शुद्ध आय की गणना का तरीका संसद द्वारा कानून द्वारा निर्धारित किया जाएगा।
(3) अनुच्छेद 269 और 269A के तहत करों की शुद्ध आय की गणना और वितरण के लिए विशेष प्रावधान लागू होंगे।"
उद्देश्य: अनुच्छेद 279 का उद्देश्य वस्तु और सेवा कर(GST) और अन्य करों की शुद्ध आय(net proceeds) की गणना के लिए एक स्पष्ट ढांचा प्रदान करना है। यह सुनिश्चित करता है कि करों की शुद्ध आय की गणना और वितरण पारदर्शी और निष्पक्ष तरीके से हो, विशेष रूप से केंद्र और राज्यों के बीच। इसका लक्ष्य संघीय ढांचे में वित्तीय समन्वय, कर प्रशासन में एकरूपता, और GST परिषद की सिफारिशों का पालन करना है।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: संवैधानिक ढांचा: अनुच्छेद 279 को 101वें संवैधानिक संशोधन(2016) द्वारा जोड़ा गया, जब GST लागू किया गया। यह प्रावधान GST ढांचे का हिस्सा है, जो भारत की कर प्रणाली को एकीकृत करने के लिए बनाया गया था।
भारतीय संदर्भ: GST लागू होने से पहले, करों की शुद्ध आय की गणना विभिन्न करों(जैसे, उत्पाद शुल्क, सेवा कर) के लिए अलग-अलग तरीकों से होती थी। अनुच्छेद 279 ने इसे मानकीकृत किया।
प्रासंगिकता: 2025 में, यह प्रावधान GST(CGST, IGST, SGST) की शुद्ध आय की गणना और वितरण के लिए महत्वपूर्ण है।
अनुच्छेद 279 के प्रमुख तत्व
खंड(1): शुद्ध आय की परिभाषा: शुद्ध आय का अर्थ है करों या शुल्कों की कुल आय से संग्रह लागत(जैसे, प्रशासनिक खर्च) और अन्य निर्धारित कटौतियाँ(जैसे, रिफंड) घटाने के बाद बची राशि। यह परिभाषा केंद्र और राज्यों के बीच निष्पक्ष वितरण सुनिश्चित करती है। उदाहरण: 2025 में, CGST की शुद्ध आय की गणना संग्रह लागत और रिफंड घटाने के बाद की जाती है।
खंड(2): संसद की शक्ति: संसद कानून द्वारा शुद्ध आय की गणना का तरीका निर्धारित करती है। यह GST अधिनियम, 2017 और GST परिषद की सिफारिशों के तहत लागू होता है। उदाहरण: 2025 में, संसद ने डिजिटल सेवाओं पर GST की शुद्ध आय गणना के लिए नियम बनाए।
खंड(3): विशेष प्रावधान: अनुच्छेद 269(केंद्र द्वारा संग्रहित, राज्यों को आवंटित कर) और अनुच्छेद 269A(IGST) के तहत करों की शुद्ध आय के लिए विशेष गणना और वितरण प्रक्रियाएँ लागू होती हैं। उदाहरण: 2025 में, IGST की शुद्ध आय का वितरण GST परिषद की सिफारिशों के आधार पर होता है।
महत्व: संघीय ढांचा: केंद्र और राज्यों के बीच निष्पक्ष राजस्व वितरण। GST ढांचा: एकीकृत कर प्रणाली में पारदर्शिता। प्रशासनिक दक्षता: शुद्ध आय की मानकीकृत गणना। न्यायिक समीक्षा: गणना और वितरण की वैधता पर कोर्ट की निगरानी।
प्रमुख विशेषताएँ: शुद्ध आय: करों से संग्रह लागत घटाने के बाद। संसद की शक्ति: गणना का तरीका। GST परिषद: वितरण में भूमिका। संघीय ढांचा: वित्तीय समन्वय।
ऐतिहासिक उदाहरण: 2017 के बाद: GST लागू होने पर CGST और IGST की शुद्ध आय की गणना। 2020 के दशक: डिजिटल सेवाओं पर GST की गणना। 2025 स्थिति: क्रिप्टोकरेंसी और ऑनलाइन स्ट्रीमिंग पर GST की शुद्ध आय।
चुनौतियाँ और विवाद: केंद्र-राज्य तनाव: शुद्ध आय के वितरण पर असहमति। प्रशासनिक जटिलताएँ: संग्रह लागत और रिफंड की गणना में विवाद। न्यायिक समीक्षा: गणना की वैधता पर कोर्ट की जाँच।
संबंधित प्रावधान: अनुच्छेद 269: केंद्र द्वारा संग्रहित, राज्यों को आवंटित कर। अनुच्छेद 269A: GST का संग्रह और वितरण। अनुच्छेद 270: केंद्र-राज्य कर वितरण। अनुच्छेद 280: वित्त आयोग।
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