Article 277 of the Indian Constitution
jp Singh
2025-07-05 14:12:42
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भारतीय संविधान का अनुच्छेद 277
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 277
अनुच्छेद 277 भारतीय संविधान के भाग XII(वित्त, संपत्ति, संविदाएँ और वाद) के अध्याय I(वित्त) में आता है। यह संघीय करों के संबंध में राज्यों की बचत(Savings) से संबंधित है। यह प्रावधान राज्यों को उन करों, शुल्कों, या उपकरों को लगाने की अनुमति देता है, जो वे संविधान लागू होने से पहले(26 जनवरी 1950) लगा रहे थे, भले ही वे कर अब सातवीं अनुसूची की संघ सूची के तहत केंद्र की शक्ति में आ गए हों।
"इस संविधान के किसी भी उपबंध के होते हुए भी, कोई भी राज्य या उसकी ओर से कोई प्राधिकारी, जो 26 जनवरी 1950 से पहले कर, शुल्क, या उपकर लगा रहा था, वह तब तक ऐसा करना जारी रख सकता है, जब तक संसद कानून द्वारा अन्यथा प्रावधान न करे, बशर्ते ये कर अब संघ सूची के तहत हों।"
उद्देश्य: अनुच्छेद 277 का उद्देश्य राज्यों को उन करों, शुल्कों, या उपकरों को लगाने की शक्ति को बनाए रखने की अनुमति देना है, जो वे संविधान लागू होने से पहले(26 जनवरी 1950) लगा रहे थे, भले ही वे कर अब सातवीं अनुसूची की संघ सूची के तहत केंद्र की शक्ति में आ गए हों। यह प्रावधान राज्यों की वित्तीय स्वायत्तता की रक्षा करता है और संविधान लागू होने के बाद उनके राजस्व स्रोतों को अचानक समाप्त होने से बचाता है। इसका लक्ष्य संघीय ढांचे में केंद्र और राज्यों के बीच वित्तीय संतुलन और निरंतरता सुनिश्चित करना है।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: संवैधानिक ढांचा: अनुच्छेद 277 संविधान के मूल ढांचे का हिस्सा है, जो 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ।यह भारत सरकार अधिनियम, 1935 से प्रेरित था, जिसमें प्रांतों को कुछ कर लगाने की शक्ति थी, जो बाद में केंद्र के अधिकार क्षेत्र में आए। भारतीय संदर्भ: स्वतंत्रता के समय, कई राज्यों ने स्थानीय स्तर पर कर और शुल्क लगाए थे, जो संविधान लागू होने के बाद संघ सूची में शामिल हो गए। अनुच्छेद 277 ने इन राज्यों को अपने राजस्व स्रोतों को बनाए रखने की अनुमति दी।
प्रासंगिकता: 2025 में, इस प्रावधान की प्रासंगिकता सीमित हो गई है, क्योंकि वस्तु और सेवा कर(GST) ने कई पुराने करों को समाहित कर लिया है। हालांकि, कुछ विशिष्ट करों के लिए यह अभी भी लागू हो सकता है।
अनुच्छेद 277 के प्रमुख तत्व
राज्यों की बचत: राज्य या उनके द्वारा अधिकृत प्राधिकारी(जैसे, नगर पालिकाएँ, पंचायतें) उन करों, शुल्कों, या उपकरों को लगाना जारी रख सकते हैं, जो वे 26 जनवरी 1950 से पहले लगा रहे थे। यह तब तक लागू रहता है, जब तक संसद कानून द्वारा इसे रद्द या संशोधित न करे। उदाहरण(ऐतिहासिक): 1950 के दशक में, कुछ राज्यों ने स्थानीय स्तर पर मनोरंजन कर लगाया, जो बाद में संघ सूची में आया, लेकिन अनुच्छेद 277 के तहत जारी रहा।
संघ सूची का प्रभाव: यह प्रावधान उन करों पर लागू होता है, जो अब सातवीं अनुसूची की संघ सूची(जैसे, प्रविष्टि 97: अवशिष्ट कर) के तहत केंद्र की शक्ति में हैं। उदाहरण: यदि कोई राज्य 1950 से पहले कोई विशिष्ट शुल्क लगा रहा था, जो अब केंद्र के अधिकार में है, तो वह इसे तब तक जारी रख सकता है, जब तक संसद इसे रद्द न करे।
संसद की शक्ति: संसद को कानून बनाकर इन करों को रद्द करने या संशोधित करने की शक्ति है। यह केंद्र को राज्यों के करों पर अंतिम नियंत्रण देता है। उदाहरण: 2016 में, GST लागू होने के बाद कई स्थानीय करों को समाप्त कर दिया गया।
महत्व: वित्तीय स्वायत्तता: राज्यों को उनके मौजूदा राजस्व स्रोतों को बनाए रखने की अनुमति। संघीय ढांचा: केंद्र और राज्यों के बीच वित्तीय संतुलन। निरंतरता: संविधान लागू होने के बाद राज्यों के राजस्व में व्यवधान से बचाव। न्यायिक समीक्षा: करों की वैधता और संसद की शक्ति पर कोर्ट की निगरानी।
प्रमुख विशेषताएँ: बचत खंड: 1950 से पहले के कर। संघ सूची: केंद्र के अधिकार में कर। संसद की शक्ति: कर रद्द करने का अधिकार। संघीय ढांचा: वित्तीय संतुलन।
ऐतिहासिक उदाहरण: 1950-1960 के दशक: राज्यों द्वारा मनोरंजन कर और अन्य स्थानीय शुल्क। 2000 के दशक: कुछ राज्यों ने पुराने करों को जारी रखा। 2025 स्थिति: GST के कारण अधिकांश पुराने कर समाप्त, लेकिन कुछ विशिष्ट स्थानीय शुल्क बरकरार।
चुनौतियाँ और विवाद: GST का प्रभाव: GST ने कई स्थानीय करों को समाहित किया, जिससे अनुच्छेद 277 की प्रासंगिकता कम हुई। केंद्र-राज्य तनाव: राज्यों द्वारा केंद्र के हस्तक्षेप पर आपत्ति। न्यायिक समीक्षा: करों की वैधता पर कोर्ट की जाँच।
संबंधित प्रावधान: अनुच्छेद 265: कानून के बिना कराधान पर निषेध। अनुच्छेद 276: पेशा कर। अनुच्छेद 243H: पंचायतों को कर लगाने की शक्ति। अनुच्छेद 243X: नगर पालिकाओं को कर लगाने की शक्ति।
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jp Singh
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