Article 275 of the Indian Constitution
jp Singh
2025-07-05 14:06:46
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भारतीय संविधान का अनुच्छेद 275
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 275
अनुच्छेद 275 भारतीय संविधान के भाग XII(वित्त, संपत्ति, संविदाएँ और वाद) के अध्याय I(वित्त) में आता है। यह राज्यों को अनुदान(Grants-in-aid to States) से संबंधित है, जो केंद्र सरकार द्वारा राज्यों की वित्तीय आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए प्रदान किए जाते हैं। यह प्रावधान केंद्र से राज्यों को वित्तीय सहायता प्रदान करने की व्यवस्था करता है, विशेष रूप से उन राज्यों के लिए जो आर्थिक रूप से कमजोर हैं या जिन्हें विशेष सहायता की आवश्यकता है।
"(1) राज्यों को उनकी आवश्यकताओं के लिए भारत की संगठित निधि से ऐसे अनुदान दिए जाएँगे, जैसा कि संसद कानून द्वारा निर्धारित करे, और यह अनुदान वित्त आयोग की सिफारिशों पर आधारित होगा।
(2) अनुच्छेद 273 के अधीन अनुदान को छोड़कर, ये अनुदान विभिन्न राज्यों के लिए अलग-अलग राशियों में निर्धारित किए जा सकते हैं।
(3) विशेष प्रयोजनों के लिए, जैसे जनजातीय क्षेत्रों के विकास या प्रशासनिक सुधार, अतिरिक्त अनुदान दिए जा सकते हैं।"
उद्देश्य: अनुच्छेद 275 का उद्देश्य केंद्र सरकार को राज्यों को अनुदान-सहायता(grants-in-aid) प्रदान करने की शक्ति देना है, ताकि उनकी वित्तीय आवश्यकताओं को पूरा किया जा सके। यह प्रावधान विशेष रूप से उन राज्यों के लिए महत्वपूर्ण है, जो आर्थिक रूप से कमजोर हैं या जिन्हें विकास कार्यों(जैसे, शिक्षा, स्वास्थ्य, बुनियादी ढांचा) के लिए अतिरिक्त संसाधनों की आवश्यकता है। इसका लक्ष्य संघीय ढांचे में केंद्र और राज्यों के बीच वित्तीय समन्वय, आर्थिक असमानता को कम करना, और सहकारी संघवाद को बढ़ावा देना है।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: संवैधानिक ढांचा: अनुच्छेद 275 संविधान के मूल ढांचे का हिस्सा है, जो 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ।यह भारत सरकार अधिनियम, 1935 से प्रेरित था, जिसमें प्रांतों को केंद्र से वित्तीय सहायता दी जाती थी। भारतीय संदर्भ: स्वतंत्रता के बाद, भारत के विभिन्न राज्यों में आर्थिक असमानता थी। कुछ राज्य(जैसे, बिहार, उड़ीसा) आर्थिक रूप से कमजोर थे, और उन्हें विकास के लिए केंद्र की सहायता की आवश्यकता थी।
प्रासंगिकता: यह प्रावधान 2025 में भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह केंद्र को राज्यों की विकास आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए अनुदान देने में सक्षम बनाता है।
अनुच्छेद 275 के प्रमुख तत्व
खंड(1): अनुदान-सहायता: भारत की संगठित निधि से राज्यों को उनकी वित्तीय आवश्यकताओं के लिए अनुदान दिए जाते हैं। यह अनुदान संसद द्वारा बनाए गए कानून के तहत और वित्त आयोग की सिफारिशों के आधार पर प्रदान किया जाता है। उदाहरण: 2025 में, बिहार को शिक्षा और स्वास्थ्य योजनाओं के लिए वित्त आयोग की सिफारिशों के आधार पर अनुदान दिया गया।
खंड(2): विभिन्न राशियाँ: अनुच्छेद 273(जूट निर्यात अनुदान) को छोड़कर, अनुदान की राशियाँ विभिन्न राज्यों के लिए उनकी जरूरतों के आधार पर अलग-अलग हो सकती हैं। यह लचीलापन केंद्र को आर्थिक रूप से कमजोर राज्यों को अधिक सहायता देने की अनुमति देता है। उदाहरण: 2025 में, झारखंड को खनन क्षेत्रों के विकास के लिए अतिरिक्त अनुदान मिला।
खंड(3): विशेष प्रयोजन अनुदान: विशेष प्रयोजनों, जैसे जनजातीय क्षेत्रों का विकास, प्रशासनिक सुधार, या विशेष परियोजनाएँ(जैसे, जलवायु परिवर्तन उपाय), के लिए अतिरिक्त अनुदान दिए जा सकते हैं। उदाहरण: 2025 में, असम के जनजातीय क्षेत्रों के लिए विशेष अनुदान प्रदान किया गया।
महत्व: संघीय ढांचा: केंद्र और राज्यों के बीच वित्तीय समन्वय और सहकारी संघवाद। आर्थिक असमानता में कमी: कमजोर राज्यों को विकास के लिए सहायता। वित्त आयोग की भूमिका: निष्पक्ष और आवश्यकता-आधारित अनुदान वितरण। न्यायिक समीक्षा: अनुदान वितरण की वैधता और उपयोग पर कोर्ट की निगरानी।
प्रमुख विशेषताएँ: अनुदान-सहायता: भारत की संगठित निधि से। वित्त आयोग: सिफारिशों के आधार पर। विशेष अनुदान: जनजातीय और अन्य विकास कार्य। संघीय ढांचा: सहकारी संघवाद।
ऐतिहासिक उदाहरण: 1950-1960 के दशक: बिहार और उड़ीसा को बुनियादी ढांचे के लिए अनुदान। 2000 के दशक: पूर्वोत्तर राज्यों को विशेष अनुदान। 2025 स्थिति: डिजिटल बुनियादी ढांचे और जलवायु परिवर्तन परियोजनाओं के लिए अनुदान।
चुनौतियाँ और विवाद: केंद्र-राज्य तनाव: अनुदान राशि और वितरण पर असहमति। आर्थिक असमानता: कुछ राज्यों को अधिक अनुदान पर आपत्ति। न्यायिक समीक्षा: अनुदान की वैधता और उपयोग पर कोर्ट की जाँच।
संबंधित प्रावधान: अनुच्छेद 273: जूट निर्यात अनुदान। अनुच्छेद 280: वित्त आयोग की भूमिका। अनुच्छेद 266: संगठित निधि और लोक लेखा। अनुच्छेद 269A: GST का संग्रह और वितरण।
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jp Singh
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