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Article 274 of the Indian Constitution
jp Singh 2025-07-05 14:05:10
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भारतीय संविधान का अनुच्छेद 274

भारतीय संविधान का अनुच्छेद 274
अनुच्छेद 274 भारतीय संविधान के भाग XII(वित्त, संपत्ति, संविदाएँ और वाद) के अध्याय I(वित्त) में आता है। यह राज्यों के हितों को प्रभावित करने वाले कराधान से संबंधित विधेयकों पर राज्य विधानमंडल की पूर्व स्वीकृति(Prior recommendation of President required to Bills affecting taxation in which States are interested) से संबंधित है। यह प्रावधान सुनिश्चित करता है कि राज्यों के वित्तीय हितों को प्रभावित करने वाले कराधान विधेयकों को संसद में पेश करने से पहले राष्ट्रपति की पूर्व स्वीकृति प्राप्त की जाए।
"(1) कोई भी विधेयक या संशोधन, जो राज्यों के हितों को प्रभावित करने वाले कराधान को लागू करता हो या उसमें परिवर्तन करता हो, या करों के वितरण के सिद्धांतों को प्रभावित करता हो, संसद में तभी पेश किया जाएगा, जब राष्ट्रपति की सिफारिश प्राप्त हो।
(2) इस अनुच्छेद के अधीन विधेयक में वे मामले शामिल हैं, जो अनुच्छेद 268, 269, 270, और 271 के तहत करों और शुल्कों से संबंधित हैं।"
उद्देश्य: अनुच्छेद 274 का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि राज्यों के वित्तीय हितों को प्रभावित करने वाले कराधान विधेयकों को संसद में पेश करने से पहले राष्ट्रपति की पूर्व स्वीकृति ली जाए। यह प्रावधान संघीय ढांचे में केंद्र और राज्यों के बीच संतुलन बनाए रखता है, ताकि राज्यों के राजस्व पर प्रभाव डालने वाले कानून बिना उचित विचार के पारित न हों। इसका लक्ष्य वित्तीय जवाबदेही, संघीय समन्वय, और संवैधानिक संतुलन को बढ़ावा देना है।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: संवैधानिक ढांचा: अनुच्छेद 274 संविधान के मूल ढांचे का हिस्सा है, जो 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ।यह भारत सरकार अधिनियम, 1935 से प्रेरित था, जिसमें प्रांतों के हितों को प्रभावित करने वाले कानूनों के लिए गवर्नर-जनरल की स्वीकृति आवश्यक थी। भारतीय संदर्भ: स्वतंत्रता के बाद, केंद्र और राज्यों के बीच वित्तीय शक्तियों का स्पष्ट विभाजन आवश्यक था। अनुच्छेद 274 राज्यों के हितों की रक्षा के लिए बनाया गया।
प्रासंगिकता: यह प्रावधान केंद्र को राज्यों के वित्तीय हितों पर एकतरफा निर्णय लेने से रोकता है।
अनुच्छेद 274 के प्रमुख तत्व
खंड(1): राष्ट्रपति की पूर्व स्वीकृति: कोई भी विधेयक या संशोधन, जो राज्यों के हितों को प्रभावित करने वाले कराधान को लागू करता हो या उसमें परिवर्तन करता हो, या करों के वितरण के सिद्धांतों को प्रभावित करता हो, संसद में तभी पेश किया जा सकता है, जब राष्ट्रपति की सिफारिश प्राप्त हो। यह राज्यों के वित्तीय हितों की रक्षा करता है। उदाहरण: 2025 में, GST दरों में परिवर्तन करने वाला विधेयक संसद में तभी पेश हुआ, जब राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की सिफारिश प्राप्त हुई।
खंड(2): लागू मामले: यह प्रावधान उन करों और शुल्कों पर लागू होता है, जो अनुच्छेद 268, 269, 270, और 271 के तहत आते हैं। अनुच्छेद 268: केंद्र द्वारा लगाए, राज्यों द्वारा संग्रहित कर(जैसे, स्टाम्प शुल्क)। अनुच्छेद 269: केंद्र द्वारा लगाए और संग्रहित, राज्यों को आवंटित कर। अनुच्छेद 270: केंद्र और राज्यों के बीच कर वितरण। अनुच्छेद 271: केंद्र के लिए अधिभार। उदाहरण: 2025 में, CGST वितरण के सिद्धांतों को बदलने वाला विधेयक राष्ट्रपति की स्वीकृति के बाद पेश किया गया।
महत्व: संघीय ढांचा: केंद्र और राज्यों के बीच वित्तीय संतुलन। राज्यों की रक्षा: राज्यों के राजस्व हितों पर केंद्र के एकतरफा निर्णय पर रोक। संवैधानिक जवाबदेही: राष्ट्रपति की सिफारिश से विधायी प्रक्रिया में पारदर्शिता। न्यायिक समीक्षा: विधेयक की वैधता और प्रक्रिया पर कोर्ट की निगरानी।
प्रमुख विशेषताएँ: राष्ट्रपति की सिफारिश: अनिवार्य शर्त। राज्यों के हित: वित्तीय सुरक्षा। लागू अनुच्छेद: 268, 269, 270, 271। संघीय ढांचा: वित्तीय समन्वय।
ऐतिहासिक उदाहरण: 1950-1960 के दशक: उत्पाद शुल्क वितरण विधेयकों के लिए राष्ट्रपति की स्वीकृति। 2016 के बाद: GST विधेयकों(जैसे, 101वां संशोधन) के लिए राष्ट्रपति की सिफारिश। 2025 स्थिति: डिजिटल कर या GST दरों में परिवर्तन के लिए राष्ट्रपति की स्वीकृति।
चुनौतियाँ और विवाद: केंद्र-राज्य तनाव: राज्यों द्वारा केंद्र के प्रभाव पर आपत्ति। प्रक्रियात्मक देरी: राष्ट्रपति की सिफारिश में समय लगना। न्यायिक समीक्षा: सिफारिश की वैधता पर कोर्ट की जाँच।
संबंधित प्रावधान: अनुच्छेद 268: केंद्र द्वारा लगाए, राज्यों द्वारा संग्रहित कर। अनुच्छेद 269: केंद्र द्वारा संग्रहित, राज्यों को आवंटित कर। अनुच्छेद 270: केंद्र-राज्य कर वितरण। अनुच्छेद 271: केंद्र के लिए अधिभार। अनुच्छेद 280: वित्त आयोग।
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