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Article 272 of the Indian Constitution
jp Singh 2025-07-05 14:01:02
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भारतीय संविधान का अनुच्छेद 272(निरसन)

भारतीय संविधान का अनुच्छेद 272(निरसन)
अनुच्छेद 272 भारतीय संविधान के भाग XII(वित्त, संपत्ति, संविदाएँ और वाद) के अध्याय I(वित्त) में था। यह केंद्र द्वारा लगाए और संग्रहित कुछ करों का राज्यों को पूर्ण आवंटन(Taxes levied and collected by the Union and assigned to the States) से संबंधित था। यह प्रावधान केंद्र द्वारा लगाए और संग्रहित कुछ करों(जैसे, उत्पाद शुल्क और स्टाम्प शुल्क) को पूरी तरह राज्यों को देने की व्यवस्था करता था। हालांकि, 101वें संवैधानिक संशोधन(2016) के बाद, वस्तु और सेवा कर(GST) लागू होने के कारण यह अनुच्छेद निरसन कर दिया गया, क्योंकि इन करों को GST ढांचे में समाहित कर लिया गया।
अनुच्छेद 272 का मूल पाठ(निरसन से पहले) "संसद के कानून द्वारा केंद्र सरकार द्वारा लगाए और संग्रहित कर, जो सातवीं अनुसूची की संघ सूची में प्रविष्टि 84(उत्पाद शुल्क) और प्रविष्टि 91(स्टाम्प शुल्क) में उल्लिखित हैं, पूर्ण रूप से राज्यों को आवंटित किए जाएँगे, और इनकी शुद्ध आय भारत की संगठित निधि में जमा नहीं की जाएगी, बल्कि राज्यों को दी जाएगी।"
उद्देश्य(मूल प्रावधान): अनुच्छेद 272 का उद्देश्य केंद्र द्वारा लगाए और संग्रहित कुछ करों(जैसे, उत्पाद शुल्क और स्टाम्प शुल्क) की शुद्ध आय को पूरी तरह राज्यों को आवंटित करना था। यह राज्यों को वित्तीय स्वायत्तता प्रदान करता था और संघीय ढांचे में केंद्र-राज्य वित्तीय समन्वय को बढ़ावा देता था। इसका लक्ष्य राज्यों को केंद्र के कर राजस्व में हिस्सेदारी देना था, ताकि वे अपने विकास कार्यों के लिए धन का उपयोग कर सकें।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: संवैधानिक ढांचा: अनुच्छेद 272 संविधान के मूल ढांचे का हिस्सा था, जो 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ।यह भारत सरकार अधिनियम, 1935 से प्रेरित था, जिसमें केंद्र और प्रांतों के बीच कुछ करों का बंटवारा था। निरसन का कारण: 101वां संशोधन(2016): GST की शुरुआत ने उत्पाद शुल्क, स्टाम्प शुल्क, और अन्य अप्रत्यक्ष करों को समाहित कर लिया। अनुच्छेद 272 अप्रासंगिक हो गया, क्योंकि इन करों का संग्रह और वितरण अब अनुच्छेद 269A(IGST) और अनुच्छेद 270(CGST) के तहत होता है।
भारतीय संदर्भ: GST लागू होने से पहले, उत्पाद शुल्क और स्टाम्प शुल्क जैसे कर राज्यों के लिए महत्वपूर्ण राजस्व स्रोत थे।
अनुच्छेद 272 के प्रमुख तत्व(निरसन से पहले)
केंद्र द्वारा संग्रह, राज्यों को आवंटन: संसद द्वारा बनाए गए कानून के तहत केंद्र सरकार कुछ कर(संघ सूची की प्रविष्टि 84: उत्पाद शुल्क; प्रविष्टि 91: स्टाम्प शुल्क) लगाती और संग्रह करती थी। इन करों की शुद्ध आय पूरी तरह राज्यों को दी जाती थी, न कि भारत की संगठित निधि में जमा की जाती थी। उदाहरण(ऐतिहासिक): 2010 में, पेट्रोलियम उत्पादों पर उत्पाद शुल्क का हिस्सा राज्यों को आवंटित किया गया।
वितरण का तरीका: इन करों का वितरण संसद द्वारा निर्धारित सिद्धांतों और वित्त आयोग की सिफारिशों के आधार पर होता था। उदाहरण: 2015 में, स्टाम्प शुल्क की आय राज्यों को उनके क्षेत्रीय संग्रह के आधार पर दी गई।
निरसन का प्रभाव: 101वें संशोधन(2016) के बाद, अनुच्छेद 272 को निरसन कर दिया गया। उत्पाद शुल्क और अन्य अप्रत्यक्ष कर अब GST(केंद्रीय GST और एकीकृत GST) के तहत समाहित हैं। वितरण: GST का संग्रह और वितरण अब अनुच्छेद 269A(IGST) और अनुच्छेद 270(CGST) के तहत होता है। उदाहरण(2025): डिजिटल सेवाओं और पेट्रोलियम उत्पादों(यदि GST में शामिल) पर CGST और IGST का हिस्सा राज्यों को अनुच्छेद 270 और 269A के तहत दिया जाता है।
महत्व(ऐतिहासिक): संघीय ढांचा: केंद्र और राज्यों के बीच राजस्व साझेदारी। वित्तीय स्वायत्तता: राज्यों को कर राजस्व में हिस्सेदारी। प्रशासनिक दक्षता: कर संग्रह और वितरण में समन्वय। निरसन की प्रासंगिकता: GST ने कर प्रणाली को सरल और एकीकृत किया।
प्रमुख विशेषताएँ(निरसन से पहले): केंद्र द्वारा संग्रह: उत्पाद शुल्क, स्टाम्प शुल्क। राज्यों को आवंटन: शुद्ध आय। वित्त आयोग: सिफारिशें। संघीय ढांचा: वित्तीय समन्वय।
ऐतिहासिक उदाहरण: 1950-2016: उत्पाद शुल्क(जैसे, तंबाकू, पेट्रोल) का हिस्सा राज्यों को। 2016 के बाद: GST ने उत्पाद शुल्क को समाहित किया। 2025 स्थिति: गैर-GST उत्पाद शुल्क(जैसे, पेट्रोलियम, यदि बाहर) अनुच्छेद 270 के तहत वितरित।
8. चुनौतियाँ और विवाद(ऐतिहासिक): केंद्र-राज्य तनाव: कर वितरण के फॉर्मूले पर असहमति। प्रशासनिक जटिलताएँ: वितरण प्रक्रिया में देरी। न्यायिक समीक्षा: कर वितरण की वैधता पर कोर्ट की जाँच।
संबंधित प्रावधान: अनुच्छेद 265: कानून के बिना कराधान पर निषेध। अनुच्छेद 266: संगठित निधि और लोक लेखा। अनुच्छेद 269A: GST का संग्रह और वितरण। अनुच्छेद 270: केंद्र-राज्य कर वितरण।
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