Article 271 of the Indian Constitution
jp Singh
2025-07-05 11:32:26
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भारतीय संविधान का अनुच्छेद 271
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 271
अनुच्छेद 271 भारतीय संविधान के भाग XII(वित्त, संपत्ति, संविदाएँ और वाद) के अध्याय I(वित्त) में आता है। यह आपातकाल के दौरान करों पर अधिभार(Surcharge on certain duties and taxes for purposes of the Union) से संबंधित है। यह प्रावधान केंद्र सरकार को कुछ करों और शुल्कों पर अधिभार(surcharge) लगाने की शक्ति देता है, जिसकी आय पूरी तरह केंद्र के पास रहती है और राज्यों के साथ साझा नहीं की जाती।
"इस संविधान के किसी भी उपबंध के होते हुए भी, संसद को यह शक्ति होगी कि वह किसी भी समय, अनुच्छेद 269 और 270 के अधीन करों और शुल्कों पर, केंद्र सरकार के प्रयोजनों के लिए अधिभार(surcharge) लगाए, और इस अधिभार से प्राप्त शुद्ध आय भारत की संगठित निधि का हिस्सा होगी और राज्यों के साथ साझा नहीं की जाएगी।"
उद्देश्य: अनुच्छेद 271 केंद्र सरकार को अधिभार(surcharge) लगाने की शक्ति देता है, जो विशेष रूप से केंद्र के प्रयोजनों(जैसे, रक्षा, आपातकाल, विशेष परियोजनाएँ) के लिए होता है। इस अधिभार की आय भारत की संगठित निधि में जमा होती है और राज्यों के साथ साझा नहीं की जाती, जो इसे अनुच्छेद 270(केंद्र-राज्य कर वितरण) से अलग करता है। इसका लक्ष्य केंद्र को वित्तीय लचीलापन प्रदान करना है, विशेष रूप से आपातकाल या विशेष परिस्थितियों में।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: संवैधानिक ढांचा: अनुच्छेद 271 संविधान के मूल ढांचे का हिस्सा है, जो 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ। यह भारत सरकार अधिनियम, 1935 से प्रेरित नहीं है, बल्कि भारत की संघीय व्यवस्था में केंद्र की वित्तीय आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर बनाया गया। भारतीय संदर्भ: स्वतंत्रता के बाद, केंद्र को राष्ट्रीय सुरक्षा, विकास परियोजनाओं, और आपातकालीन जरूरतों के लिए अतिरिक्त राजस्व की आवश्यकता थी। प्रासंगिकता: यह प्रावधान केंद्र को विशेष परिस्थितियों में अतिरिक्त राजस्व जुटाने की शक्ति देता है, बिना राज्यों के साथ साझेदारी के।
अनुच्छेद 271 के प्रमुख तत्व
अधिभार की शक्ति: संसद को अनुच्छेद 269 और 270 के अधीन करों(जैसे, आयकर, CGST) पर अधिभार लगाने का अधिकार है। यह अधिभार केवल केंद्र सरकार के प्रयोजनों के लिए होता है, जैसे रक्षा, आपदा प्रबंधन, या विशेष परियोजनाएँ। उदाहरण: 2025 में, केंद्र ने डिजिटल सुरक्षा परियोजनाओं के लिए आयकर पर अधिभार(जैसे, साइबर सुरक्षा अधिभार) लगाया।
आय का उपयोग: अधिभार से प्राप्त शुद्ध आय भारत की संगठित निधि में जमा होती है और राज्यों के साथ साझा नहीं की जाती। यह अनुच्छेद 270 से अलग है, जिसमें कर राजस्व का हिस्सा राज्यों को दिया जाता है। उदाहरण: 2025 में, क्रिप्टोकरेंसी लेनदेन पर अधिभार की आय केंद्र की साइबर सुरक्षा परियोजनाओं के लिए उपयोग की जाती है।
संवैधानिक प्राथमिकता: अनुच्छेद 271 में "इस संविधान के किसी भी उपबंध के होते हुए" का उल्लेख है, जो इसे अन्य प्रावधानों(जैसे, अनुच्छेद 270) पर प्राथमिकता देता है। यह केंद्र को विशेष परिस्थितियों में स्वतंत्र वित्तीय शक्ति प्रदान करता है।
महत्व: केंद्र की वित्तीय स्वायत्तता: केंद्र को विशेष जरूरतों के लिए अतिरिक्त राजस्व जुटाने की शक्ति। संघीय ढांचा: केंद्र और राज्यों के बीच वित्तीय संतुलन, लेकिन अधिभार में केंद्र की प्राथमिकता। प्रशासनिक लचीलापन: आपातकाल या विशेष परियोजनाओं के लिए त्वरित वित्तीय संसाधन। न्यायिक समीक्षा: अधिभार की वैधता और उपयोग पर कोर्ट की निगरानी।
प्रमुख विशेषताएँ: अधिभार: केंद्र के लिए अतिरिक्त कर। भारत की संगठित निधि: आय का गंतव्य। राज्यों के साथ गैर-साझेदारी: केंद्र का एकमात्र उपयोग। संघीय ढांचा: केंद्र की प्राथमिकता।
ऐतिहासिक उदाहरण: 1960-1970 के दशक: युद्धकाल(जैसे, 1962, 1971) में आयकर पर अधिभार लगाया गया। 2000 के दशक: शिक्षा और स्वास्थ्य के लिए अधिभार(जैसे, शिक्षा उपकर)। 2025 स्थिति: डिजिटल सुरक्षा और जलवायु परिवर्तन परियोजनाओं के लिए आयकर और CGST पर अधिभार।
चुनौतियाँ और विवाद: केंद्र-राज्य तनाव: राज्यों द्वारा अधिभार को राजस्व साझेदारी से बाहर रखने पर आपत्ति। नागरिकों पर बोझ: अधिभार से करदाताओं पर अतिरिक्त बोझ। न्यायिक समीक्षा: अधिभार की वैधता और उद्देश्य पर कोर्ट की जाँच।
संबंधित प्रावधान: अनुच्छेद 265: कानून के बिना कराधान पर निषेध। अनुच्छेद 266: संगठित निधि और लोक लेखा। अनुच्छेद 269: केंद्र द्वारा लगाए और संग्रहित कर। अनुच्छेद 269A: GST का संग्रह और वितरण। अनुच्छेद 280: वित्त आयोग।
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jp Singh
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