Article 270 of the Indian Constitution
jp Singh
2025-07-05 11:31:02
searchkre.com@gmail.com /
8392828781
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 270
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 270
अनुच्छेद 270 केंद्र द्वारा लगाए और संग्रहित करों(जैसे, आयकर, CGST) को केंद्र और राज्यों के बीच वितरित करने की व्यवस्था करता है, जिससे संघीय ढांचे में वित्त/Chapters/Finance, Property, Contracts and Suits) के अध्याय I(वित्त) में आता है। यह केंद्र और राज्यों के बीच कर वितरण से संबंधित है, जो केंद्र द्वारा लगाए गए और संग्रहित करों को राज्यों के साथ साझा करने की व्यवस्था करता है। यह प्रावधान वित्त आयोग की सिफारिशों के आधार पर केंद्र और राज्यों के बीच कर राजस्व के निष्पक्ष वितरण को सुनिश्चित करता है। 101वें संवैधानिक संशोधन(2016) के बाद, इसमें वस्तु और सेवा कर(GST) को शामिल करने के लिए संशोधन किया गया।
संविधान के संशोधित पाठ(हिंदी) के अनुसार(संक्षेप में)
"(1) केंद्र सरकार द्वारा लगाए और संग्रहित सभी कर और शुल्क, जो सातवीं अनुसूची की संघ सूची में उल्लिखित हैं, और अनुच्छेद 269 और 269A के अधीन करों को छोड़कर, भारत की संगठित निधि में जमा किए जाएँगे और केंद्र और राज्यों के बीच संसद द्वारा निर्धारित सिद्धांतों के अनुसार वितरित किए जाएँगे।
(2) इन करों की शुद्ध आय का वह भाग, जो राज्यों को वितरित किया जाता है, भारत की संगठित निधि में जमा नहीं किया जाएगा, बल्कि राज्यों को आवंटित किया जाएगा।
(3) इस अनुच्छेद के प्रयोजनों के लिए, आयकर और अन्य करों की शुद्ध आय की गणना और वितरण का तरीका संसद के कानून द्वारा निर्धारित किया जाएगा, जो वित्त आयोग की सिफारिशों पर आधारित होगा।"
उद्देश्य: अनुच्छेद 270 केंद्र द्वारा लगाए और संग्रहित करों(जैसे, आयकर, केंद्रीय GST) को केंद्र और राज्यों के बीच वितरित करने की व्यवस्था करता है। यह सुनिश्चित करता है कि केंद्र और राज्यों के बीच वित्तीय समन्वय और राजस्व साझेदारी हो। इसका लक्ष्य संघीय ढांचे में संतुलन, वित्तीय स्वायत्तता, और प्रशासनिक दक्षता को बढ़ावा देना है।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: संवैधानिक ढांचा: अनुच्छेद 270 संविधान के मूल ढांचे का हिस्सा है, जो 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ। यह भारत सरकार अधिनियम, 1935 से प्रेरित है, जिसमें केंद्र और प्रांतों के बीच कर राजस्व का बंटवारा था। संशोधन: 101वां संवैधानिक संशोधन(2016): GST को शामिल करने के लिए अनुच्छेद 270 को संशोधित किया गया, ताकि केंद्रीय GST(CGST) और एकीकृत GST(IGST) का हिस्सा राज्यों को वितरित हो।
भारतीय संदर्भ: स्वतंत्रता के बाद, केंद्र और राज्यों के बीच कर राजस्व के निष्पक्ष बंटवारे की आवश्यकता थी ताकि दोनों स्तरों पर विकास कार्य संभव हो सकें। प्रासंगिकता: यह प्रावधान केंद्र और राज्यों के बीच वित्तीय संसाधनों के वितरण का आधार है, जो भारत की संघीय व्यवस्था का महत्वपूर्ण हिस्सा है।
अनुच्छेद 270 के प्रमुख तत्व
खंड(1): करों का संग्रह और वितरण: केंद्र सरकार द्वारा लगाए और संग्रहित सभी कर और शुल्क(सातवीं अनुसूची की संघ सूची में उल्लिखित) भारत की संगठित निधि में जमा किए जाते हैं। इसमें अनुच्छेद 269(अंतर-राज्यीय व्यापार पर कर, अब GST में समाहित) और अनुच्छेद 269A(IGST) के अधीन करों को छोड़कर अन्य कर शामिल हैं। उदाहरण: आयकर, केंद्रीय GST(CGST), उत्पाद शुल्क(गैर-GST वस्तुओं पर)। इन करों की शुद्ध आय केंद्र और राज्यों के बीच संसद द्वारा निर्धारित सिद्धांतों के अनुसार वितरित की जाती है।
उदाहरण: 2025 में, आयकर और CGST की राशि केंद्र और राज्यों के बीच वित्त आयोग की सिफारिशों के आधार पर साझा की जाती है।
खंड(2): राज्यों को आवंटन: राज्यों को वितरित होने वाली शुद्ध आय भारत की संगठित निधि में जमा नहीं की जाती, बल्कि सीधे राज्यों की संगठित निधि में जाती है। यह व्यवस्था राज्यों को वित्तीय स्वायत्तता प्रदान करती है, ताकि वे अपने विकास कार्यों के लिए धन का उपयोग कर सकें। उदाहरण: 2025 में, कर्नाटक को CGST और आयकर का हिस्सा उसकी संगठित निधि में प्राप्त होता है, जिसका उपयोग शिक्षा और स्वास्थ्य योजनाओं के लिए किया जाता है।
खंड(3): संसद की शक्ति और वित्त आयोग: संसद कानून द्वारा करों की शुद्ध आय की गणना और वितरण का तरीका निर्धारित करती है। यह प्रक्रिया वित्त आयोग की सिफारिशों पर आधारित होती है, जो केंद्र और राज्यों के बीच राजस्व बंटवारे का फॉर्मूला तय करता है। उदाहरण: 2025 में, 15वें वित्त आयोग की सिफारिशों के आधार पर आयकर और CGST का वितरण होता है, जिसमें राज्यों को 41% हिस्सा दिया जाता है।
GST और अनुच्छेद 270 का प्रभाव: 101वें संशोधन(2016) के बाद, केंद्रीय GST(CGST) और एकीकृत GST(IGST) का हिस्सा अनुच्छेद 270 के तहत राज्यों को वितरित किया जाता है। IGST का वितरण अनुच्छेद 269A के तहत होता है, लेकिन CGST का हिस्सा अनुच्छेद 270 के तहत केंद्र और राज्यों के बीच साझा किया जाता है। उदाहरण: 2025 में, डिजिटल सेवाओं पर CGST का हिस्सा केंद्र और राज्यों के बीच वित्त आयोग के फॉर्मूले के अनुसार वितरित होता है।
महत्व: संघीय ढांचा: केंद्र और राज्यों के बीच वित्तीय संसाधनों का निष्पक्ष बंटवारा। वित्तीय स्वायत्तता: राज्यों को उनकी संगठित निधि में हिस्सा देकर विकास कार्यों के लिए सशक्त बनाना। प्रशासनिक दक्षता: एकीकृत कर संग्रह और वितरण प्रणाली। न्यायिक समीक्षा: कर वितरण की वैधता और प्रक्रिया पर उच्चतम न्यायालय और अन्य न्यायालयों की निगरानी।
प्रमुख विशेषताएँ: केंद्र द्वारा संग्रहित कर: आयकर, CGST, उत्पाद शुल्क(गैर-GST)। वितरण: केंद्र और राज्यों के बीच। वित्त आयोग: सिफारिशों के आधार पर वितरण। संघीय ढांचा: वित्तीय समन्वय और सहकारी संघवाद।
ऐतिहासिक उदाहरण: 1950-1960 के दशक: आयकर और उत्पाद शुल्क का हिस्सा राज्यों को वितरित किया गया। 2017 के बाद: GST लागू होने के बाद CGST का हिस्सा राज्यों को। 2025 स्थिति: डिजिटल लेनदेन(जैसे, क्रिप्टोकरेंसी, ऑनलाइन सेवाएँ) पर CGST और आयकर का वितरण।
8. चुनौतियाँ और विवाद: केंद्र-राज्य तनाव: राजस्व वितरण के फॉर्मूले पर असहमति, विशेष रूप से GST लागू होने के बाद। वित्त आयोग की भूमिका: कुछ राज्यों द्वारा केंद्र के प्रभाव या असमान वितरण की शिकायत। न्यायिक समीक्षा: कर वितरण की प्रक्रिया और वैधता पर उच्चतम न्यायालय की जाँच।
संबंधित प्रावधान: अनुच्छेद 265: कानून के बिना कराधान पर निषेध। अनुच्छेद 266: संगठित निधि और लोक लेखा। अनुच्छेद 269A: GST का संग्रह और वितरण। अनुच्छेद 280: वित्त आयोग की भूमिका। सातवीं अनुसूची: संघ सूची(प्रविष्टि 82: आयकर; प्रविष्टि 97: GST)।
Conclusion
Thanks For Read
jp Singh
searchkre.com@gmail.com
8392828781