Article 268A of the Indian Constitution
jp Singh
2025-07-05 11:22:41
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भारतीय संविधान का अनुच्छेद 268A(निरसन)
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 268A(निरसन)
अनुच्छेद 268A भारतीय संविधान के भाग XII(वित्त, संपत्ति, संविदाएँ और वाद) के अध्याय I(वित्त) में 101वें संवैधानिक संशोधन(2016) द्वारा जोड़ा गया था। यह सेवा कर(Service Tax) से संबंधित था, जो केंद्र द्वारा लगाया और संग्रह किया जाता था, लेकिन राज्यों को वितरित किया जाता था। हालांकि, वस्तु और सेवा कर(GST) की शुरुआत के बाद, इसे 122वें संवैधानिक संशोधन(2024 में प्रभावी) द्वारा निरसन कर दिया गया, क्योंकि सेवा कर को GST में समाहित कर लिया गया।
अनुच्छेद 268A का मूल पाठ(निरसन से पहले)
"(1) केंद्र सरकार द्वारा लगाया और संग्रह किया गया सेवा कर, जैसा कि संसद के कानून द्वारा निर्धारित हो, राज्यों को वितरित किया जाएगा।
(2) इस कर की राशि भारत की संगठित निधि में जमा की जाएगी और संसद द्वारा निर्धारित तरीके से राज्यों को वितरित की जाएगी।"
उद्देश्य(मूल प्रावधान): अनुच्छेद 268A का उद्देश्य सेवा कर को केंद्र द्वारा लगाने और संग्रह करने, लेकिन इसकी राशि को राज्यों के बीच वितरित करने की व्यवस्था करना था। यह संघीय ढांचे में केंद्र और राज्यों के बीच वित्तीय समन्वय को बढ़ावा देता था। इसका लक्ष्य राज्यों को सेवा कर से प्राप्त राजस्व में हिस्सेदारी देना था, जो पहले पूरी तरह केंद्र के पास था।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: संवैधानिक ढांचा: अनुच्छेद 268A को 101वें संवैधानिक संशोधन(2016) द्वारा जोड़ा गया, जो GST लागू करने का आधार था। यह सेवा कर(जो सातवीं अनुसूची की संघ सूची, प्रविष्टि 92C में था) से संबंधित था। निरसन का कारण: 122वां संशोधन(2024): GST ने सेवा कर और अन्य अप्रत्यक्ष करों(जैसे, VAT, उत्पाद शुल्क) को समाहित कर लिया। अनुच्छेद 268A अप्रासंगिक हो गया, क्योंकि सेवा कर अब GST के तहत एकीकृत हो चुका है। भारतीय संदर्भ: GST लागू होने से पहले, सेवा कर एक प्रमुख राजस्व स्रोत था, और इसका वितरण राज्यों के लिए महत्वपूर्ण था।
अनुच्छेद 268A के प्रमुख तत्व(निरसन से पहले)
सेवा कर का संग्रह और वितरण: केंद्र सरकार द्वारा सेवा कर लगाया और संग्रह किया जाता था। इसकी राशि भारत की संगठित निधि में जमा की जाती थी और फिर राज्यों को वितरित की जाती थी। उदाहरण(ऐतिहासिक): 2016-2023 के बीच, रेस्तरां और होटल सेवाओं पर सेवा कर केंद्र द्वारा संग्रहित और राज्यों को वितरित किया गया।
संसद की शक्ति: संसद को सेवा कर के वितरण का तरीका निर्धारित करने का अधिकार था। यह वित्त आयोग की सिफारिशों के आधार पर होता था। उदाहरण: 2020 में, सेवा कर की राशि राज्यों को वित्त आयोग के फॉर्मूले के आधार पर दी गई।
निरसन का प्रभाव: 122वें संशोधन(2024) के बाद, अनुच्छेद 268A को निरसन कर दिया गया। सेवा कर अब GST(वस्तु और सेवा कर) का हिस्सा है, जो अनुच्छेद 269A के तहत केंद्र और राज्यों द्वारा संयुक्त रूप से संग्रह और वितरित किया जाता है। उदाहरण(2025): डिजिटल सेवाओं पर GST(जो पहले सेवा कर के दायरे में थी) अब केंद्र और राज्यों के बीच साझा किया जाता है।
महत्व(ऐतिहासिक): संघीय ढांचा: केंद्र और राज्यों के बीच राजस्व साझेदारी। वित्तीय स्वायत्तता: राज्यों को सेवा कर की हिस्सेदारी। प्रशासनिक दक्षता: कर संग्रह और वितरण में समन्वय। निरसन की प्रासंगिकता: GST ने कर प्रणाली को सरल और एकीकृत किया।
प्रमुख विशेषताएँ(निरसन से पहले): सेवा कर: केंद्र द्वारा संग्रह, राज्यों को वितरण। संसद की शक्ति: वितरण का तरीका। संघीय ढांचा: वित्तीय समन्वय। निरसन: GST के तहत एकीकरण।
ऐतिहासिक उदाहरण: 2016-2023: सेवा कर(जैसे, दूरसंचार, बैंकिंग सेवाएँ) केंद्र द्वारा संग्रहित और राज्यों को वितरित। 2024: अनुच्छेद 268A का निरसन और GST में एकीकरण। 2025 स्थिति: डिजिटल सेवाओं पर GST(जैसे, ऑनलाइन स्ट्रीमिंग) केंद्र और राज्यों के बीच साझा।
8. चुनौतियाँ और विवाद(ऐतिहासिक): केंद्र-राज्य तनाव: सेवा कर के वितरण पर असहमति। प्रशासनिक जटिलताएँ: वितरण प्रक्रिया में देरी। न्यायिक समीक्षा: कर वितरण की वैधता पर कोर्ट की जाँच।
संबंधित प्रावधान: अनुच्छेद 265: कानून के बिना कराधान पर निषेध। अनुच्छेद 266: संगठित निधि और लोक लेखा। अनुच्छेद 269A: GST का संग्रह और वितरण। सातवीं अनुसूची: संघ सूची(प्रविष्टि 92C: सेवा कर, अब निरसन)।
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jp Singh
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