Article 268 of the Indian Constitution
jp Singh
2025-07-05 11:20:41
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भारतीय संविधान का अनुच्छेद 268
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 268
अनुच्छेद 268 भारतीय संविधान के भाग XII(वित्त, संपत्ति, संविदाएँ और वाद) के अध्याय I(वित्त) में आता है। यह केंद्र द्वारा लगाए गए लेकिन राज्यों द्वारा संग्रहित और विनियोजित करों(Duties levied by the Union but collected and appropriated by the States) से संबंधित है। यह प्रावधान केंद्र द्वारा लगाए गए कुछ विशिष्ट करों(जैसे, स्टाम्प शुल्क) को राज्यों द्वारा संग्रह और उपयोग करने की व्यवस्था करता है।
"(1) संसद के कानून द्वारा केंद्र सरकार द्वारा लगाए गए स्टाम्प शुल्क और ऐसे उत्पाद शुल्क, जो सातवीं अनुसूची की संघ सूची में प्रविष्टि 91 में उल्लिखित हैं, राज्यों द्वारा संग्रह और विनियोजित किए जाएँगे।
(2) इन करों से प्राप्त राशि भारत की संगठित निधि में जमा नहीं की जाएगी, बल्कि उस राज्य को दी जाएगी, जिसके भीतर वह संग्रह किया गया है।"
उद्देश्य: अनुच्छेद 268 यह व्यवस्था करता है कि केंद्र सरकार द्वारा लगाए गए कुछ विशिष्ट कर(जैसे, स्टाम्प शुल्क और सातवीं अनुसूची की संघ सूची की प्रविष्टि 91 में उल्लिखित उत्पाद शुल्क) राज्यों द्वारा संग्रह और विनियोजित किए जाएँ। इन करों की राशि भारत की संगठित निधि में जमा नहीं होती, बल्कि उस राज्य की संगठित निधि में जाती है, जिसने इसे संग्रह किया। इसका लक्ष्य संघीय ढांचे में वित्तीय समन्वय, राज्यों की वित्तीय स्वायत्तता, और प्रशासनिक दक्षता को बढ़ावा देना है।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: संवैधानिक ढांचा: अनुच्छेद 268 संविधान के मूल ढांचे का हिस्सा है, जो 1950 में लागू हुआ। यह भारत सरकार अधिनियम, 1935 से प्रेरित है, जिसमें केंद्र और प्रांतों के बीच कर संग्रह और वितरण की व्यवस्था थी। भारतीय संदर्भ: स्वतंत्रता के बाद, केंद्र और राज्यों के बीच कर राजस्व के बंटवारे के लिए एक स्पष्ट तंत्र की आवश्यकता थी। प्रासंगिकता: यह प्रावधान राज्यों को केंद्र द्वारा लगाए गए कुछ करों के संग्रह और उपयोग का अधिकार देकर उनकी वित्तीय स्वायत्तता को बढ़ाता है।
अनुच्छेद 268 के प्रमुख तत्व
खंड(1): केंद्र द्वारा लगाए गए कर, राज्यों द्वारा संग्रह: संसद द्वारा बनाए गए कानून के तहत केंद्र सरकार स्टाम्प शुल्क और सातवीं अनुसूची की संघ सूची की प्रविष्टि 91 में उल्लिखित उत्पाद शुल्क(औषधीय और प्रसाधन सामग्री से संबंधित) लगाती है। इन करों का संग्रह और विनियोजन(appropriation) राज्य सरकारों द्वारा किया जाता है। उदाहरण: 2025 में, स्टाम्प शुल्क(जैसे, संपत्ति हस्तांतरण पर) महाराष्ट्र द्वारा संग्रह किया जाता है।
खंड(2): राज्यों को प्रत्यक्ष वितरण: इन करों से प्राप्त राशि भारत की संगठित निधि में जमा नहीं की जाती, बल्कि उस राज्य की संगठित निधि में जाती है, जिसके क्षेत्र में इसे संग्रह किया गया। यह राज्यों को वित्तीय स्वायत्तता प्रदान करता है। उदाहरण: 2025 में, तमिलनाडु द्वारा संग्रहित स्टाम्प शुल्क तमिलनाडु की संगठित निधि में जमा होता है।
महत्व: संघीय ढांचा: केंद्र और राज्यों के बीच वित्तीय समन्वय। राज्यों की स्वायत्तता: कर संग्रह और उपयोग का अधिकार। वित्तीय पारदर्शिता: राजस्व का प्रत्यक्ष वितरण। न्यायिक समीक्षा: कर संग्रह और वितरण की वैधता पर कोर्ट की निगरानी।
प्रमुख विशेषताएँ: केंद्र द्वारा कर: स्टाम्प शुल्क, उत्पाद शुल्क। राज्य द्वारा संग्रह: प्रशासनिक दक्षता। प्रत्यक्ष वितरण: राज्य की संगठित निधि। संघीय ढांचा: वित्तीय समन्वय।
ऐतिहासिक उदाहरण: 1950 के दशक: स्टाम्प शुल्क का संग्रह राज्यों द्वारा शुरू। 2010 के दशक: स्टाम्प शुल्क और औषधीय उत्पाद शुल्क राज्यों की आय का हिस्सा। 2025 स्थिति: डिजिटल युग में डिजिटल स्टाम्प शुल्क(जैसे, डिजिटल अनुबंधों पर) राज्यों द्वारा संग्रह।
चुनौतियाँ और विवाद: केंद्र-राज्य तनाव: कर संग्रह और वितरण पर असहमति। प्रशासनिक जटिलताएँ: स्टाम्प शुल्क संग्रह में एकरूपता की कमी। न्यायिक समीक्षा: कर संग्रह की वैधता पर कोर्ट की जाँच।
संबंधित प्रावधान: अनुच्छेद 265: कानून के बिना कराधान पर निषेध। अनुच्छेद 266: संगठित निधि और लोक लेखा। अनुच्छेद 280: वित्त आयोग। सातवीं अनुसूची: संघ सूची(प्रविष्टि 91: स्टाम्प शुल्क, औषधीय उत्पाद शुल्क)।
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jp Singh
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