Article 264 of the Indian Constitution
jp Singh
2025-07-05 11:09:27
searchkre.com@gmail.com /
8392828781
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 264
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 264
अनुच्छेद 264 भारतीय संविधान के भाग XII(वित्त, संपत्ति, संविदाएँ और वाद) के अध्याय I(वित्त) में आता है। यह "संगठित निधि" की व्याख्या(Interpretation) से संबंधित है। यह प्रावधान यह परिभाषित करता है कि संविधान में "संगठित निधि"(Consolidated Fund) और "लोक लेखा"(Public Account) का क्या अर्थ है और यह केंद्र और राज्यों के वित्तीय ढांचे की आधारशिला रखता है।
"इस भाग में, जब तक कि संदर्भ से अन्यथा अपेक्षित न हो, 'संगठित निधि' का अर्थ भारत की संगठित निधि या, जैसा कि मामला हो, किसी राज्य की संगठित निधि से है, और 'लोक लेखा' का अर्थ भारत का लोक लेखा या, जैसा कि मामला हो, किसी राज्य का लोक लेखा से है।"
उद्देश्य: अनुच्छेद 264 संगठित निधि(Consolidated Fund) और लोक लेखा(Public Account) की परिभाषा प्रदान करता है, जो केंद्र और राज्यों के वित्तीय प्रबंधन के लिए महत्वपूर्ण हैं। यह सुनिश्चित करता है कि संविधान के इस भाग में इन शब्दों का एकरूप और स्पष्ट अर्थ हो। इसका लक्ष्य वित्तीय पारदर्शिता, संघीय ढांचे में वित्तीय समन्वय, और कानूनी स्पष्टता सुनिश्चित करना है।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: संवैधानिक ढांचा: अनुच्छेद 264 संविधान के मूल ढांचे का हिस्सा है, जो 1950 में लागू हुआ। यह भारत सरकार अधिनियम, 1935 से प्रेरित है, जिसमें केंद्र और प्रांतों के लिए वित्तीय निधियों की व्यवस्था थी। भारतीय संदर्भ: स्वतंत्रता के बाद, भारत को केंद्र और राज्यों के बीच वित्तीय संसाधनों के प्रबंधन के लिए एक स्पष्ट ढांचे की आवश्यकता थी। प्रासंगिकता: यह प्रावधान केंद्र और राज्यों की वित्तीय निधियों की संरचना को परिभाषित करता है, जो बजट और सार्वजनिक व्यय का आधार है।
अनुच्छेद 264 के प्रमुख तत्व
संगठित निधि(Consolidated Fund): भारत की संगठित निधि या राज्य की संगठित निधि में सरकार के सभी राजस्व(कर, शुल्क, आदि), ऋण, और अन्य प्राप्तियाँ शामिल होती हैं। इस निधि से सभी सार्वजनिक व्यय(जैसे, वेतन, परियोजनाएँ) किए जाते हैं, लेकिन इसके लिए संसद या राज्य विधानमंडल की मंजूरी आवश्यक होती है। उदाहरण: 2025 में, भारत की संगठित निधि में आयकर और GST से प्राप्त राजस्व शामिल है।
लोक लेखा(Public Account): लोक लेखा में वे धनराशियाँ शामिल होती हैं जो सरकार न्यासी(trustee) के रूप में रखती है, जैसे भविष्य निधि, जमा राशियाँ, और अन्य विशेष निधियाँ। इनके लिए संसद या विधानमंडल की मंजूरी की आवश्यकता नहीं होती। उदाहरण: 2025 में, कर्मचारी भविष्य निधि(EPF) लोक लेखा में शामिल है।
संदर्भ-आधारित व्याख्या: इस अनुच्छेद में "संगठित निधि" और "लोक लेखा" की परिभाषा संदर्भ के अनुसार लागू होती है, जिससे लचीलापन सुनिश्चित होता है।
महत्व: वित्तीय पारदर्शिता: केंद्र और राज्यों की निधियों का स्पष्ट वर्गीकरण। संघीय ढांचा: केंद्र और राज्यों के बीच वित्तीय समन्वय। लोक वित्त प्रबंधन: बजट और व्यय की प्रक्रिया को नियंत्रित करना। न्यायिक समीक्षा: निधियों के उपयोग की वैधता पर कोर्ट की निगरानी।
प्रमुख विशेषताएँ: संगठित निधि: सभी राजस्व और व्यय। लोक लेखा: न्यासी धनराशियाँ। संघीय ढांचा: वित्तीय समन्वय। पारदर्शिता: बजट प्रक्रिया।
ऐतिहासिक उदाहरण: 1950 के दशक: भारत की संगठित निधि में प्रारंभिक कर राजस्व शामिल। 2010 के दशक: GST लागू होने के बाद संगठित निधि में वृद्धि। 2025 स्थिति: डिजिटल युग में डिजिटल कर संग्रह संगठित निधि में शामिल।
चुनौतियाँ और विवाद: केंद्र-राज्य तनाव: संगठित निधि में राजस्व बंटवारे पर विवाद(जैसे, GST वितरण)। लोक लेखा का प्रबंधन: न्यासी धनराशियों के दुरुपयोग की आशंका। न्यायिक समीक्षा: निधियों के उपयोग पर कोर्ट की जाँच।
संबंधित प्रावधान: अनुच्छेद 266: संगठित निधि और लोक लेखा। अनुच्छेद 267: आकस्मिक निधि। अनुच्छेद 280: वित्त आयोग। सातवीं अनुसूची: कराधान की शक्तियाँ।
Conclusion
Thanks For Read
jp Singh
searchkre.com@gmail.com
8392828781