Article 259 of the Indian Constitution
jp Singh
2025-07-05 10:49:51
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भारतीय संविधान का अनुच्छेद 259(निरसन)
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 259(निरसन)
अनुच्छेद 259 भारतीय संविधान के भाग XI(केंद्र और राज्यों के बीच संबंध), अध्याय II(प्रशासनिक संबंध) में मूल रूप से शामिल था। यह केंद्र के नियंत्रणाधीन सशस्त्र बलों को राज्यों में तैनात करने से संबंधित था। हालांकि, इसे 7वें संवैधानिक संशोधन(1956) द्वारा पूरी तरह निरसन कर दिया गया, क्योंकि इसकी आवश्यकता को अन्य प्रावधानों, विशेष रूप से अनुच्छेद 258(2A) और अन्य संवैधानिक व्यवस्थाओं द्वारा पूरा किया गया।
अनुच्छेद 259 का मूल पाठ(निरसन से पहले) "केंद्र सरकार, किसी राज्य की सहमति से, केंद्र के नियंत्रणाधीन सशस्त्र बलों को उस राज्य में कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए तैनात कर सकती है।"
उद्देश्य(मूल प्रावधान): अनुच्छेद 259 का उद्देश्य केंद्र सरकार को यह शक्ति देना था कि वह राज्य की सहमति से अपने नियंत्रणाधीन सशस्त्र बलों(जैसे, CRPF) को राज्य में कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए तैनात कर सके। इसका लक्ष्य केंद्र-राज्य समन्वय को बढ़ावा देना और राष्ट्रीय सुरक्षा या कानून व्यवस्था की स्थिति में केंद्र की सहायता सुनिश्चित करना था।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: संवैधानिक ढांचा: अनुच्छेद 259 संविधान के मूल ढांचे(1950) का हिस्सा था। यह भारत सरकार अधिनियम, 1935 से प्रेरित था, जिसमें केंद्र को प्रांतों में कानून व्यवस्था के लिए हस्तक्षेप की शक्ति थी। निरसन का कारण: 7वां संशोधन(1956): इस संशोधन ने केंद्र और राज्यों के बीच संबंधों को सुव्यवस्थित करने के लिए कई बदलाव किए। अनुच्छेद 259 को निरसन किया गया, क्योंकि इसकी आवश्यकता को अनुच्छेद 258(2A)(जो 1958 में जोड़ा गया) और अन्य प्रावधानों द्वारा पूरा किया गया। अनुच्छेद 258(2A) ने केंद्र को राज्यों की सहमति से सशस्त्र बलों की तैनाती की शक्ति दी, जिससे अनुच्छेद 259 अप्रासंगिक हो गया। भारतीय संदर्भ: स्वतंत्रता के बाद, भारत में कानून और व्यवस्था के लिए केंद्र और राज्यों के बीच स्पष्ट समन्वय की आवश्यकता थी।
अनुच्छेद 259 के प्रमुख तत्व(निरसन से पहले)
सशस्त्र बलों की तैनाती: केंद्र सरकार को राज्य की सहमति से अपने नियंत्रणाधीन सशस्त्र बलों को तैनात करने का अधिकार था। यह तैनाती कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए थी। उदाहरण(ऐतिहासिक): 1950 के दशक में, केंद्र ने कुछ राज्यों में अशांति के दौरान सशस्त्र बल तैनात किए।
सहमति-आधारित दृष्टिकोण: यह प्रावधान सहमति-आधारित था, जो राज्यों की स्वायत्तता का सम्मान करता था। यह सहकारी संघवाद की भावना को दर्शाता था।
निरसन का प्रभाव: 7वें संशोधन(1956) के बाद, अनुच्छेद 259 को हटा दिया गया। इसकी जगह अनुच्छेद 258(2A) ने ले ली, जो केंद्र को राज्यों की सहमति से सशस्त्र बलों की तैनाती की शक्ति देता है। उदाहरण(वर्तमान संदर्भ में): 2025 में, कानून और व्यवस्था के लिए सशस्त्र बलों की तैनाती अब अनुच्छेद 258(2A) के तहत होती है।
महत्व(ऐतिहासिक): सहकारी संघवाद: केंद्र और राज्यों के बीच सहमति-आधारित सहयोग। राष्ट्रीय सुरक्षा: कानून और व्यवस्था के लिए केंद्र का नियंत्रण। प्रशासनिक समन्वय: केंद्र और राज्यों के बीच कार्य साझा करना। निरसन की प्रासंगिकता: संवैधानिक प्रावधानों को सुव्यवस्थित करना।
प्रमुख विशेषताएँ(निरसन से पहले): सशस्त्र बलों की तैनाती: सहमति के साथ। कानून और व्यवस्था: केंद्र की भूमिका। संघीय ढांचा: सहकारी संघवाद। निरसन: 7वां संशोधन(1956)।
ऐतिहासिक उदाहरण: 1950-1956: अनुच्छेद 259 के तहत केंद्र ने कुछ राज्यों में कानून और व्यवस्था के लिए सशस्त्र बल तैनात किए। पोस्ट-1956: अनुच्छेद 258(2A) ने इसकी जगह ली। 2025 स्थिति: कानून और व्यवस्था के लिए तैनाती अब अनुच्छेद 258(2A) के तहत।
चुनौतियाँ और विवाद(ऐतिहासिक): केंद्र-राज्य तनाव: सशस्त्र बलों की तैनाती पर राज्यों की आपत्ति। सहमति की प्रक्रिया: सहमति की स्वैच्छिकता पर सवाल। न्यायिक समीक्षा: तैनाती की वैधता पर कोर्ट की जाँच।
संबंधित प्रावधान: अनुच्छेद 258: केंद्र द्वारा राज्यों को शक्ति हस्तांतरण। अनुच्छेद 258A: राज्यों द्वारा केंद्र को शक्ति हस्तांतरण। अनुच्छेद 356: राष्ट्रपति शासन। सातवीं अनुसूची: तीन सूचियाँ।
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jp Singh
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