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Article 256 of the Indian Constitution
jp Singh 2025-07-05 10:43:51
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भारतीय संविधान का अनुच्छेद 256

भारतीय संविधान का अनुच्छेद 256
अनुच्छेद 256 भारतीय संविधान के भाग XI(केंद्र और राज्यों के बीच संबंध) के अध्याय II(प्रशासनिक संबंध) में आता है। यह राज्यों की कार्यकारी शक्ति का दायित्व(Obligation of States and the Union) से संबंधित है। यह प्रावधान यह सुनिश्चित करता है कि राज्यों की कार्यकारी शक्ति का प्रयोग संसद द्वारा बनाए गए कानूनों और संविधान के अनुपालन में हो। यह केंद्र और राज्यों के बीच प्रशासनिक समन्वय और राष्ट्रीय हितों की रक्षा को बढ़ावा देता है।
"प्रत्येक राज्य की कार्यकारी शक्ति का प्रयोग इस प्रकार किया जाएगा कि वह संसद द्वारा बनाए गए कानूनों और इस संविधान के उपबंधों का अनुपालन सुनिश्चित करे, और केंद्र की कार्यकारी शक्ति इस संविधान के अधीन राज्यों को ऐसे निर्देश देने तक विस्तृत होगी, जो इन उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए आवश्यक हों।"
उद्देश्य: अनुच्छेद 256 यह सुनिश्चित करता है कि राज्यों की कार्यकारी शक्ति का प्रयोग संसद के कानूनों और संविधान के अनुपालन में हो। यह केंद्र को राज्यों को निर्देश देने का अधिकार देता है ताकि राष्ट्रीय हितों और संवैधानिक व्यवस्था को बनाए रखा जाए। इसका लक्ष्य संघीय ढांचे में केंद्र और राज्यों के बीच प्रशासनिक समन्वय, राष्ट्रीय एकता, और कानून का शासन सुनिश्चित करना है।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: संवैधानिक ढांचा: अनुच्छेद 256 संविधान के मूल ढांचे का हिस्सा है, जो 1950 में लागू हुआ। यह भारत सरकार अधिनियम, 1935 से प्रेरित है, जिसमें केंद्र को प्रांतों पर प्रशासनिक नियंत्रण का अधिकार था। भारतीय संदर्भ: भारत के संघीय ढांचे में केंद्र को राष्ट्रीय महत्व के मामलों में राज्यों पर कुछ नियंत्रण की आवश्यकता थी ताकि नीतिगत एकरूपता बनी रहे। प्रासंगिकता: यह प्रावधान केंद्र को राज्यों पर प्रशासनिक निर्देश देने की शक्ति देता है, विशेष रूप से राष्ट्रीय नीतियों और कानूनों के कार्यान्वयन में।
अनुच्छेद 256 के प्रमुख तत्व
राज्यों का दायित्व: प्रत्येक राज्य को अपनी कार्यकारी शक्ति का प्रयोग इस तरह करना होगा कि वह संसद के कानूनों और संविधान के अनुपालन में हो। यह सुनिश्चित करता है कि राज्य केंद्र के कानूनों का उल्लंघन न करें। उदाहरण: 2025 में, यदि संसद ने डिजिटल गोपनीयता पर कानून बनाया, तो राज्यों को इसे लागू करना होगा।
केंद्र के निर्देश: केंद्र की कार्यकारी शक्ति राज्यों को निर्देश देने तक विस्तृत है, जो संसद के कानूनों और संविधान के अनुपालन के लिए आवश्यक हों। यह केंद्र को राज्यों पर प्रशासनिक नियंत्रण प्रदान करता है। उदाहरण: 2025 में, केंद्र ने राज्यों को डिजिटल स्वास्थ्य नीति लागू करने के लिए निर्देश जारी किए।
महत्व: राष्ट्रीय एकता: संसद के कानूनों का एकसमान कार्यान्वयन। केंद्र की प्रभुता: राज्यों पर प्रशासनिक नियंत्रण। संघीय समन्वय: केंद्र और राज्यों के बीच सहयोग। न्यायिक समीक्षा: केंद्र के निर्देशों और राज्यों के अनुपालन पर कोर्ट की निगरानी।
प्रमुख विशेषताएँ: राज्यों का दायित्व: संसद के कानूनों का अनुपालन। केंद्र के निर्देश: प्रशासनिक नियंत्रण। संघीय ढांचा: केंद्र-राज्य समन्वय। कानून का शासन: संवैधानिक व्यवस्था।
ऐतिहासिक उदाहरण: 1970 के दशक: आपातकाल के दौरान केंद्र ने राज्यों को सुरक्षा नीतियों के लिए निर्देश दिए। 2010 के दशक: शिक्षा और पर्यावरण नीतियों के कार्यान्वयन के लिए निर्देश। 2025 स्थिति: डिजिटल युग में डिजिटल गोपनीयता और स्वास्थ्य नीतियों के लिए केंद्र के निर्देश।
चुनौतियाँ और विवाद: केंद्र-राज्य तनाव: राज्यों द्वारा केंद्र के निर्देशों पर आपत्ति। स्वायत्तता का सवाल: राज्यों की कार्यकारी स्वतंत्रता पर प्रभाव। न्यायिक समीक्षा: केंद्र के निर्देशों की वैधता पर कोर्ट की जाँच।
संबंधित प्रावधान: अनुच्छेद 246: विधायी शक्तियों का बंटवारा। अनुच्छेद 254: समवर्ती सूची पर असंगति। अनुच्छेद 257: केंद्र के प्रशासनिक निर्देश। सातवीं अनुसूची: तीन सूचियाँ।
Conclusion
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