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Article 254 of the Indian Constitution
jp Singh 2025-07-05 10:40:49
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भारतीय संविधान का अनुच्छेद 254

भारतीय संविधान का अनुच्छेद 254
अनुच्छेद 254 भारतीय संविधान के भाग XI(केंद्र और राज्यों के बीच विधायी संबंध) में आता है। यह संसद और राज्य विधानमंडलों द्वारा समवर्ती सूची के विषयों पर बनाई गई विधियों के बीच असंगति(Inconsistency between laws made by Parliament and laws made by the Legislatures of States) से संबंधित है। यह प्रावधान यह सुनिश्चित करता है कि यदि सातवीं अनुसूची की समवर्ती सूची के किसी विषय पर संसद और राज्य विधानमंडल की विधियों के बीच असंगति हो, तो संसद की विधि प्रबल होगी, सिवाय इसके कि राज्य की विधि को राष्ट्रपति की सहमति प्राप्त हो।
"(1) यदि संसद द्वारा बनाई गई कोई विधि और किसी राज्य के विधानमंडल द्वारा बनाई गई कोई विधि, जो सातवीं अनुसूची की तृतीय सूची(समवर्ती सूची) में विनिर्दिष्ट किसी विषय पर हो, के बीच कोई असंगति हो, तो संसद द्वारा बनाई गई विधि प्रबल होगी, और उस सीमा तक राज्य की विधि अप्रवर्तनीय होगी।
(2) जहाँ राज्य विधानमंडल द्वारा बनाई गई कोई विधि, जो समवर्ती सूची के किसी विषय पर हो, संसद की विधि से असंगत हो, और वह विधि राष्ट्रपति की सहमति के लिए आरक्षित की गई हो और उसे सहमति प्राप्त हो, तो वह विधि उस राज्य में प्रबल होगी।
(3) यदि ऐसी विधि में कोई उपबंध संसद द्वारा बाद में बनाई गई किसी विधि से असंगत हो, तो वह उपबंध अप्रवर्तनीय होगा, जब तक कि उसे पुनः राष्ट्रपति की सहमति न मिले।"
उद्देश्य: अनुच्छेद 254 संसद और राज्य विधानमंडलों द्वारा समवर्ती सूची(सातवीं अनुसूची की तृतीय सूची) के विषयों(जैसे, शिक्षा, आपराधिक कानून, विवाह) पर बनाई गई विधियों के बीच असंगति को हल करता है। यह सामान्य रूप से संसद की विधियों को प्रबलता देता है, लेकिन राज्यों को राष्ट्रपति की सहमति के साथ अपनी विधियों को प्रबल करने की अनुमति देता है। इसका लक्ष्य संघीय ढांचे में केंद्र और राज्यों के बीच संघर्ष को हल करना और नीतिगत एकरूपता सुनिश्चित करना है।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: संवैधानिक ढांचा: अनुच्छेद 254 संविधान के मूल ढांचे का हिस्सा है, जो 1950 में लागू हुआ। यह भारत सरकार अधिनियम, 1935 से प्रेरित है, जिसमें केंद्र की विधियों को समवर्ती विषयों पर प्राथमिकता थी। भारतीय संदर्भ: भारत के संघीय ढांचे में समवर्ती सूची पर केंद्र और राज्यों की साझा शक्ति के कारण असंगति की स्थिति उत्पन्न हो सकती थी, जिसे हल करने के लिए यह प्रावधान बनाया गया। प्रासंगिकता: यह प्रावधान समवर्ती सूची के विषयों पर केंद्र और राज्यों के बीच समन्वय और संतुलन बनाए रखता है।
अनुच्छेद 254 के प्रमुख तत्व
खंड(1): संसद की विधियों की प्रबलता: यदि संसद और राज्य विधानमंडल द्वारा समवर्ती सूची के किसी विषय पर बनाई गई विधियों के बीच असंगति हो, तो संसद की विधि प्रबल होगी। राज्य की विधि उस सीमा तक अप्रवर्तनीय होगी, जितनी असंगति है। उदाहरण: 2025 में, यदि संसद ने शिक्षा(समवर्ती सूची, प्रविष्टि 25) पर राष्ट्रीय नीति बनाई और वह किसी राज्य की शिक्षा नीति से टकराती है, तो संसद की नीति लागू होगी।
खंड(2): राष्ट्रपति की सहमति के साथ राज्य की विधि: यदि राज्य विधानमंडल की विधि, जो समवर्ती सूची के विषय पर हो, संसद की विधि से असंगत हो, लेकिन उसे राष्ट्रपति की सहमति मिल जाए, तो वह विधि उस राज्य में प्रबल होगी। यह राज्यों को क्षेत्रीय आवश्यकताओं के लिए लचीलापन प्रदान करता है। उदाहरण: 2025 में, तमिलनाडु ने शिक्षा नीति पर विधि बनाई, जो संसद की नीति से असंगत थी, लेकिन राष्ट्रपति की सहमति के बाद वह तमिलनाडु में लागू हुई।
खंड(3): बाद की संसद की विधि: यदि राष्ट्रपति की सहमति से लागू राज्य की विधि बाद में संसद की नई विधि से असंगत हो, तो वह अप्रवर्तनीय होगी, जब तक कि उसे पुनः राष्ट्रपति की सहमति न मिले। उदाहरण: 2025 में, संसद ने नई शिक्षा नीति बनाई, जिसने तमिलनाडु की विधि को अप्रवर्तनीय कर दिया, जब तक पुनः सहमति न मिली।
महत्व: केंद्र की प्रभुता: समवर्ती सूची पर संसद की सामान्य प्रबलता। राज्य स्वायत्तता: राष्ट्रपति की सहमति के साथ राज्यों का लचीलापन। नीतिगत एकरूपता: समवर्ती विषयों पर राष्ट्रीय स्तर की नीतियाँ। न्यायिक समीक्षा: असंगति और वैधता पर कोर्ट की निगरानी।
प्रमुख विशेषताएँ: संसद की प्रबलता: समवर्ती सूची पर। राष्ट्रपति की सहमति: राज्य की विधि की प्रबलता। असंगति का समाधान: केंद्र-राज्य संतुलन। संघीय ढांचा: समन्वय और एकरूपता।
ऐतिहासिक उदाहरण: 1970 के दशक: आपराधिक कानून(समवर्ती सूची) पर संसद की विधियाँ प्रबल। 2010 के दशक: शिक्षा नीति पर केंद्र और राज्यों के बीच असंगति का समाधान। 2025 स्थिति: डिजिटल युग में डिजिटल शिक्षा और स्वास्थ्य नीतियों पर संसद की विधियाँ।
चुनौतियाँ और विवाद: केंद्र-राज्य तनाव: समवर्ती सूची पर केंद्र की प्रबलता पर राज्यों की आपत्ति। राष्ट्रपति की सहमति: सहमति प्रक्रिया पर पारदर्शिता के सवाल। न्यायिक समीक्षा: असंगति और विधियों की वैधता पर कोर्ट की जाँच।
संबंधित प्रावधान: अनुच्छेद 246: विधायी शक्तियों का बंटवारा। अनुच्छेद 251: अनुच्छेद 249 और 250 की विधियों में असंगति। सातवीं अनुसूची: समवर्ती सूची(47 प्रविष्टियाँ)।
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