Article 244 of the Indian Constitution
jp Singh
2025-07-04 15:45:12
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भारतीय संविधान का अनुच्छेद 244
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 244
अनुच्छेद 244 भारतीय संविधान के भाग X(अनुसूचित और जनजातीय क्षेत्र) में आता है। यह पांचवीं और छठी अनुसूची के तहत अनुसूचित क्षेत्रों और जनजातीय क्षेत्रों का प्रशासन(Administration of Scheduled Areas and Tribal Areas) से संबंधित है। यह प्रावधान अनुसूचित क्षेत्रों और जनजातीय क्षेत्रों में विशेष प्रशासनिक व्यवस्था सुनिश्चित करता है ताकि इन क्षेत्रों की सामाजिक, सांस्कृतिक, और आर्थिक विशिष्टताओं की रक्षा हो।
"(1) इस संविधान की पांचवीं अनुसूची के उपबंध उन राज्यों में अनुसूचित क्षेत्रों और अनुसूचित जनजातियों के प्रशासन और नियंत्रण पर लागू होंगे, जो इस संविधान के अधीन घोषित किए गए हों, सिवाय इसके कि अनुच्छेद 244A के उपबंध लागू हों।
(2) इस संविधान की छठी अनुसूची के उपबंध असम, मेघालय, त्रिपुरा, और मिजोरम राज्यों में जनजातीय क्षेत्रों के प्रशासन पर लागू होंगे।"
उद्देश्य: अनुच्छेद 244 अनुसूचित क्षेत्रों(पांचवीं अनुसूची) और जनजातीय क्षेत्रों(छठी अनुसूची) के लिए विशेष प्रशासनिक व्यवस्था प्रदान करता है। यह अनुसूचित जनजातियों की सांस्कृतिक, सामाजिक, और आर्थिक विशिष्टताओं की रक्षा करता है और उनके स्वशासन को बढ़ावा देता है। इसका लक्ष्य संघीय ढांचे में अनुसूचित और जनजातीय क्षेत्रों की स्वायत्तता और संरक्षण सुनिश्चित करना है।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: संवैधानिक ढांचा: अनुच्छेद 244 संविधान के मूल ढांचे का हिस्सा है, जो 1950 में लागू हुआ। यह पांचवीं अनुसूची(अनुसूचित क्षेत्र) और छठी अनुसूची(जनजातीय क्षेत्र) के उपबंधों को लागू करता है, जो ब्रिटिश शासन के दौरान जनजातीय क्षेत्रों के लिए बनाए गए विशेष प्रावधानों से प्रेरित हैं। भारतीय संदर्भ: भारत में अनुसूचित और जनजातीय क्षेत्रों में रहने वाली जनजातियों की अनूठी संस्कृति और जीवनशैली को संरक्षित करने की आवश्यकता थी। यह अनुच्छेद उनकी स्वायत्तता और विकास को सुनिश्चित करता है।
प्रासंगिकता: यह प्रावधान जनजातीय क्षेत्रों में स्वशासन और संरक्षण को बढ़ावा देता है।
अनुच्छेद 244 के प्रमुख तत्व
खंड(1): पांचवीं अनुसूची(अनुसूचित क्षेत्र): पांचवीं अनुसूची उन राज्यों में अनुसूचित क्षेत्रों और अनुसूचित जनजातियों के प्रशासन और नियंत्रण पर लागू होती है, जो संविधान के तहत घोषित किए गए हैं। इसमें 10 राज्य शामिल हैं: आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, छत्तीसगढ़, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, और राजस्थान। प्रशासनिक व्यवस्था: राज्यपाल को विशेष शक्तियाँ दी गई हैं, जैसे विधियों को संशोधित करना या लागू न करना। जनजातीय सलाहकार परिषद(Tribes Advisory Council) का गठन। उदाहरण: 2025 में, झारखंड के अनुसूचित क्षेत्रों में जनजातीय सलाहकार परिषद ने विकास योजनाएँ बनाईं।
खंड(2): छठी अनुसूची(जनजातीय क्षेत्र): छठी अनुसूची असम, मेघालय, त्रिपुरा, और मिजोरम के जनजातीय क्षेत्रों में लागू होती है। यह स्वायत्त जिला परिषदों(Autonomous District Councils) के गठन और उनके प्रशासनिक, विधायी, और न्यायिक अधिकारों को प्रदान करता है। उदाहरण: 2025 में, मेघालय के खासी हिल्स स्वायत्त जिला परिषद ने स्थानीय कानून बनाए।
महत्व: जनजातीय स्वायत्तता: अनुसूचित और जनजातीय क्षेत्रों में स्वशासन। सांस्कृतिक संरक्षण: जनजातियों की परंपराओं और संस्कृति की रक्षा। विकास: विशेष क्षेत्रों में समावेशी विकास। संघीय ढांचा: केंद्र और राज्यों के बीच समन्वय।
प्रमुख विशेषताएँ: पांचवीं अनुसूची: अनुसूचित क्षेत्रों का प्रशासन। छठी अनुसूची: जनजातीय क्षेत्रों में स्वायत्त परिषदें। राज्यपाल की शक्तियाँ: विशेष नियंत्रण। स्वशासन: जनजातीय समुदायों की भागीदारी।
ऐतिहासिक उदाहरण: 1950 के बाद: पांचवीं और छठी अनुसूची के तहत क्षेत्रों का गठन। 1970-80 के दशक: स्वायत्त जिला परिषदों का गठन और कार्य। 2025 स्थिति: डिजिटल युग में जनजातीय क्षेत्रों में विकास योजनाओं का डिजिटल प्रबंधन।
चुनौतियाँ और विवाद: पांचवीं अनुसूची: राज्यपाल की शक्तियों का सीमित उपयोग। जनजातीय सलाहकार परिषदों की प्रभावशीलता पर सवाल। छठी अनुसूची: स्वायत्त परिषदों और राज्य सरकारों के बीच टकराव।न्यायिक समीक्षा: अनुसूचियों की व्याख्या और कार्यान्वयन पर कोर्ट की जाँच।
संबंधित प्रावधान: अनुच्छेद 244A: केंद्रशासित प्रदेशों में स्वायत्त क्षेत्र। पांचवीं अनुसूची: अनुसूचित क्षेत्रों का प्रशासन। छठी अनुसूची: जनजातीय क्षेत्रों का प्रशासन।
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