Article 243ZS of the Indian Constitution
jp Singh
2025-07-04 15:43:46
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भारतीय संविधान का अनुच्छेद 243ZS
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 243ZS
अनुच्छेद 243ZS भारतीय संविधान के भाग IX-B(सहकारी समितियाँ) में आता है। यह इस भाग के उपबंधों का कुछ मामलों पर लागू होना(Application of provisions of this Part to certain cases) से संबंधित है। यह प्रावधान यह सुनिश्चित करता है कि भाग IX-B के उपबंध कुछ विशेष परिस्थितियों, जैसे केंद्रशासित प्रदेशों और अन्य विशिष्ट क्षेत्रों में लागू हों, और आवश्यक संशोधनों के साथ लागू किए जा सकें। यह अनुच्छेद 97वें संशोधन(2011) के द्वारा जोड़ा गया, जिसने सहकारी समितियों को संवैधानिक दर्जा प्रदान किया।
"इस भाग के उपबंध केंद्रशासित प्रदेशों और कुछ अन्य क्षेत्रों में लागू होंगे, और संसद या राज्य विधानमंडल, जैसा भी मामला हो, ऐसी विधि बना सकता है जिसमें आवश्यक संशोधनों के साथ इस भाग के उपबंधों को लागू किया जा सके।"
उद्देश्य: अनुच्छेद 243ZS यह सुनिश्चित करता है कि भाग IX-B(सहकारी समितियाँ) के उपबंध केंद्रशासित प्रदेशों और अन्य विशिष्ट क्षेत्रों में लागू हों। यह संसद या राज्य विधानमंडल को आवश्यक संशोधनों के साथ इन उपबंधों को लागू करने के लिए विधि बनाने का अधिकार देता है। इसका लक्ष्य सहकारी समितियों में लोकतांत्रिक प्रबंधन, पारदर्शिता, और संघीय ढांचे में लचीलापन सुनिश्चित करना है, खासकर विभिन्न क्षेत्रों में।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: संवैधानिक ढांचा: यह प्रावधान 97वें संशोधन(2011) द्वारा जोड़ा गया, जो अनुच्छेद 243I(पंचायतों) और अनुच्छेद 243Y(नगरपालिकाओं) से प्रेरित है। यह केंद्रशासित प्रदेशों और विशेष क्षेत्रों में सहकारी समितियों के लिए उपबंधों को लागू करने में लचीलापन प्रदान करता है। भारतीय संदर्भ: भारत में केंद्रशासित प्रदेश(जैसे, दिल्ली, पुडुचेरी) और विशेष क्षेत्र(जैसे, अनुसूचित क्षेत्र) में सहकारी समितियों का प्रबंधन भिन्न था। इस संशोधन ने इसे एकरूप और संवैधानिक बनाया। प्रासंगिकता: यह प्रावधान सहकारी समितियों के उपबंधों को विभिन्न क्षेत्रों में लागू करने में लचीलापन और समन्वय सुनिश्चित करता है।
अनुच्छेद 243ZS के प्रमुख तत्व
केंद्रशासित प्रदेशों और विशेष क्षेत्रों में लागू होना: भाग IX-B के उपबंध केंद्रशासित प्रदेशों और अन्य विशिष्ट क्षेत्रों में लागू होंगे। यह सुनिश्चित करता है कि सहकारी समितियों का संवैधानिक ढांचा सभी क्षेत्रों में लागू हो। उदाहरण: 2025 में, दिल्ली(केंद्रशासित प्रदेश) में सहकारी समितियों पर भाग IX-B लागू।
संसद और राज्य विधानमंडल का अधिकार: संसद(केंद्रशासित प्रदेशों के लिए) और राज्य विधानमंडल आवश्यक संशोधनों के साथ इन उपबंधों को लागू करने के लिए विधि बना सकते हैं। यह क्षेत्रीय आवश्यकताओं के अनुसार लचीलापन प्रदान करता है। उदाहरण: 2025 में, पुडुचेरी में संसद द्वारा सहकारी समितियों के लिए विशेष नियम बनाए गए।
महत्व: लचीलापन: विभिन्न क्षेत्रों में उपबंधों का अनुकूलन। एकरूपता: सहकारी शासन का संवैधानिक ढांचा। लोकतांत्रिक प्रबंधन: सभी क्षेत्रों में सहकारी समितियों में पारदर्शिता। संघीय ढांचा: केंद्र, राज्य, और केंद्रशासित प्रदेशों में समन्वय।
प्रमुख विशेषताएँ: केंद्रशासित प्रदेश: उपबंधों का लागू होना। संसद/राज्य विधानमंडल: संशोधन का अधिकार। लचीलापन: क्षेत्रीय अनुकूलन। सहकारी शासन: एकरूपता।
ऐतिहासिक उदाहरण: 2011 के बाद: केंद्रशासित प्रदेशों में सहकारी समितियों पर भाग IX-B लागू। 2010 के दशक: संसद और राज्यों ने क्षेत्रीय नियम बनाए। 2025 स्थिति: डिजिटल युग में सहकारी समितियों का डिजिटल प्रबंधन।
चुनौतियाँ और विवाद: 97वां संशोधन पर विवाद: 2021 में, सुप्रीम कोर्ट ने भाग IX-B के कुछ हिस्सों को असंवैधानिक घोषित किया, क्योंकि सहकारी समितियाँ राज्य सूची(सातवीं अनुसूची, प्रविष्टि 32) का विषय हैं। अनुच्छेद 243ZS की वैधता पर प्रभाव सीमित, क्योंकि केंद्रशासित प्रदेशों में संसद की शक्ति बरकरार। क्षेत्रीय भिन्नताएँ: केंद्रशासित प्रदेशों में नियमों का असमान कार्यान्वयन।न्यायिक समीक्षा: उपबंधों की वैधता पर कोर्ट की जाँच।
संबंधित प्रावधान: अनुच्छेद 243ZR: मौजूदा विधियों की निरंतरता। अनुच्छेद 243I: पंचायतों के लिए विशेष क्षेत्र। अनुच्छेद 243Y: नगरपालिकाओं के लिए विशेष क्षेत्र।
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jp Singh
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