Article 243 ZP the Indian Constitution
jp Singh
2025-07-04 15:39:05
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भारतीय संविधान का अनुच्छेद 243ZP
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 243ZP
अनुच्छेद 243ZP भारतीय संविधान के भाग IX-B(सहकारी समितियाँ) में आता है। यह सहकारी समितियों की वार्षिक सामान्य सभा(Annual general meeting of cooperative societies) से संबंधित है। यह प्रावधान सहकारी समितियों की वार्षिक सामान्य सभा(AGM) के आयोजन को अनिवार्य करता है ताकि लोकतांत्रिक प्रबंधन, पारदर्शिता, और सदस्यों की भागीदारी सुनिश्चित हो। यह अनुच्छेद 97वें संशोधन(2011) के द्वारा जोड़ा गया, जिसने सहकारी समितियों को संवैधानिक दर्जा प्रदान किया।
"(1) प्रत्येक सहकारी समिति प्रत्येक वित्तीय वर्ष के अंत के छह महीने के भीतर अपनी वार्षिक सामान्य सभा आयोजित करेगी, जैसा कि राज्य विधानमंडल द्वारा बनाई गई विधि द्वारा निर्धारित हो।
(2) वार्षिक सामान्य सभा में सहकारी समिति के लेखा-परीक्षण की रिपोर्ट, वार्षिक रिपोर्ट, और अन्य महत्वपूर्ण मामलों पर विचार किया जाएगा।
(3) सामान्य सभा के आयोजन और प्रक्रिया के लिए नियम राज्य विधानमंडल द्वारा बनाई गई विधि द्वारा निर्धारित होंगे।"
उद्देश्य: अनुच्छेद 243ZP सहकारी समितियों को प्रत्येक वित्तीय वर्ष के अंत के छह महीने के भीतर वार्षिक सामान्य सभा(AGM) आयोजित करने का निर्देश देता है। यह सभा लेखा-परीक्षण रिपोर्ट, वार्षिक रिपोर्ट, और अन्य महत्वपूर्ण मामलों पर विचार करती है, जिससे पारदर्शिता और सदस्यों की भागीदारी सुनिश्चित होती है। इसका लक्ष्य सहकारी समितियों में लोकतांत्रिक प्रबंधन, जवाबदेही, और संघीय ढांचे में उनकी स्वायत्तता को संरक्षित करना है।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: संवैधानिक ढांचा: यह प्रावधान 97वें संशोधन(2011) द्वारा जोड़ा गया, जो सहकारी समितियों में लोकतांत्रिक और पारदर्शी प्रबंधन को बढ़ावा देने के लिए बनाया गया। यह पंचायतों(अनुच्छेद 243C) और नगरपालिकाओं(अनुच्छेद 243W) में सामान्य सभाओं की अवधारणा से प्रेरित है। भारतीय संदर्भ: 2011 से पहले, कई सहकारी समितियों में नियमित सामान्य सभाएँ नहीं होती थीं, जिससे पारदर्शिता और सदस्यों की भागीदारी में कमी थी। इस संशोधन ने इसे अनिवार्य किया। प्रासंगिकता: यह प्रावधान सहकारी समितियों में सदस्यों की सक्रिय भागीदारी और वित्तीय पारदर्शिता को बढ़ाता है।
अनुच्छेद 243ZP के प्रमुख तत्व: खंड(1): वार्षिक सामान्य सभा का आयोजन: प्रत्येक सहकारी समिति को प्रत्येक वित्तीय वर्ष के अंत के छह महीने के भीतर वार्षिक सामान्य सभा आयोजित करनी होगी। यह राज्य विधानमंडल द्वारा बनाई गई विधि के अनुसार होगा। उदाहरण: 2025 में, एक दुग्ध सहकारी समिति ने सितंबर में अपनी AGM आयोजित की।
खंड(2): सभा का कार्य: वार्षिक सामान्य सभा में लेखा-परीक्षण रिपोर्ट, वार्षिक रिपोर्ट, और अन्य महत्वपूर्ण मामले(जैसे, संचालक समिति का चयन, नीतिगत निर्णय) पर विचार किया जाएगा। यह सदस्यों को समिति के कार्यों की जानकारी देता है। उदाहरण: 2025 में, एक सहकारी बैंक की AGM में ऑडिट रिपोर्ट और लाभ वितरण पर चर्चा।
खंड(3): नियम और प्रक्रिया: सामान्य सभा के आयोजन और प्रक्रिया के लिए नियम राज्य विधानमंडल द्वारा बनाई गई विधि द्वारा निर्धारित होंगे। उदाहरण: 2025 में, उत्तर प्रदेश में सहकारी समितियों की AGM के लिए विशिष्ट नियम लागू।
महत्व: लोकतांत्रिक भागीदारी: सदस्यों की सक्रिय भागीदारी। पारदर्शिता: लेखा-परीक्षण और वार्षिक रिपोर्ट की प्रस्तुति। जवाबदेही: संचालक समिति का सदस्यों के प्रति उत्तरदायित्व। संघीय ढांचा: केंद्र, राज्य, और सहकारी समितियों में समन्वय।
प्रमुख विशेषताएँ: वार्षिक सामान्य सभा: अनिवार्य आयोजन। लेखा-परीक्षण रिपोर्ट: पारदर्शिता। सदस्य भागीदारी: लोकतांत्रिक प्रक्रिया। राज्य विधानमंडल: नियम निर्धारण।
ऐतिहासिक उदाहरण: 2011 के बाद: सहकारी समितियों में AGM अनिवार्य। 2010 के दशक: सदस्य भागीदारी और पारदर्शिता में सुधार। 2025 स्थिति: डिजिटल युग में AGM की प्रक्रिया और रिपोर्ट का डिजिटल प्रबंधन।
चुनौतियाँ और विवाद: 97वां संशोधन पर विवाद: 2021 में, सुप्रीम कोर्ट ने भाग IX-B के कुछ हिस्सों को असंवैधानिक घोषित किया, क्योंकि सहकारी समितियाँ राज्य सूची(सातवीं अनुसूची, प्रविष्टि 32) का विषय हैं। अनुच्छेद 243ZP की वैधता प्रभावित हुई, लेकिन राज्य विधानमंडल की शक्ति बरकरार। सदस्य भागीदारी में कमी: कुछ समितियों में AGM में कम उपस्थिति।न्यायिक समीक्षा: AGM प्रक्रिया की वैधता पर कोर्ट की जाँच।
संबंधित प्रावधान: अनुच्छेद 243ZM: लेखा और लेखा-परीक्षण। अनुच्छेद 243ZJ: संचालक समिति की संरचना। सातवीं अनुसूची: सहकारी समितियाँ(राज्य सूची, प्रविष्टि 32)।
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jp Singh
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