Article 243 ZN the Indian Constitution
jp Singh
2025-07-04 15:35:41
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भारतीय संविधान का अनुच्छेद 243ZN
अनुच्छेद 243ZN भारतीय संविधान के भाग IX-B(सहकारी समितियाँ) में आता है। यह सहकारी समितियों का विघटन(Dissolution of cooperative societies) से संबंधित है। यह प्रावधान सहकारी समितियों के विघटन की प्रक्रिया और शर्तों को नियंत्रित करता है ताकि यह सुनिश्चित हो कि विघटन लोकतांत्रिक और पारदर्शी तरीके से हो। यह अनुच्छेद 97वें संशोधन(2011) के द्वारा जोड़ा गया, जिसने सहकारी समितियों को संवैधानिक दर्जा प्रदान किया।
"(1) कोई सहकारी समिति तब तक विघटित नहीं की जाएगी, जब तक कि इसके अधिकांश सदस्यों की सहमति न हो, जैसा कि राज्य विधानमंडल द्वारा बनाई गई विधि द्वारा निर्धारित हो।
(2) यदि सहकारी समिति का विघटन आवश्यक हो, तो यह राज्य विधानमंडल द्वारा बनाई गई विधि के अनुसार होगा, और इसके लिए एक स्वतंत्र प्राधिकारी द्वारा विचार किया जाएगा।
(3) विघटन के बाद, सहकारी समिति की संपत्ति और देनदारियों का निपटारा विधि के अनुसार किया जाएगा।"
उद्देश्य: अनुच्छेद 243ZN सहकारी समितियों के विघटन की प्रक्रिया को नियंत्रित करता है, यह सुनिश्चित करते हुए कि यह सदस्यों की सहमति और कानूनी प्रक्रिया के आधार पर हो। यह स्वतंत्र प्राधिकारी द्वारा विघटन की प्रक्रिया की निगरानी और संपत्ति-देनदारियों के निपटारे की व्यवस्था करता है। इसका लक्ष्य सहकारी समितियों में लोकतांत्रिक प्रक्रिया, पारदर्शिता, और जवाबदेही सुनिश्चित करना है, साथ ही संघीय ढांचे में उनकी स्वायत्तता को संरक्षित करना है।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: संवैधानिक ढांचा: यह प्रावधान 97वें संशोधन(2011) द्वारा जोड़ा गया, जो सहकारी समितियों को संवैधानिक ढांचा प्रदान करने के लिए बनाया गया। यह पंचायतों(अनुच्छेद 243E) और नगरपालिकाओं(अनुच्छेद 243U) के विघटन प्रावधानों से प्रेरित है। भारतीय संदर्भ: 2011 से पहले, सहकारी समितियों के विघटन की प्रक्रिया असंगठित और असमान थी, जिससे अनुचित विघटन और वित्तीय अनियमितताएँ होती थीं। इस संशोधन ने इसे व्यवस्थित किया। प्रासंगिकता: यह प्रावधान सहकारी समितियों में विघटन की प्रक्रिया को निष्पक्ष और पारदर्शी बनाता है।
अनुच्छेद 243ZN के प्रमुख तत्व
खंड(1): सदस्यों की सहमति: कोई सहकारी समिति तब तक विघटित नहीं की जाएगी, जब तक कि इसके अधिकांश सदस्यों की सहमति न हो। यह सहमति राज्य विधानमंडल द्वारा बनाई गई विधि के अनुसार होगी। उदाहरण: 2025 में, एक कृषि सहकारी समिति के 75% सदस्यों की सहमति से विघटन।
खंड(2): स्वतंत्र प्राधिकारी: यदि विघटन आवश्यक हो, तो यह राज्य विधानमंडल द्वारा बनाई गई विधि के अनुसार होगा। विघटन की प्रक्रिया की निगरानी एक स्वतंत्र प्राधिकारी द्वारा की जाएगी। उदाहरण: 2025 में, महाराष्ट्र में एक सहकारी बैंक के विघटन के लिए विशेष प्राधिकारी गठित।
खंड(3): संपत्ति और देनदारियों का निपटारा: विघटन के बाद, सहकारी समिति की संपत्ति और देनदारियों का निपटारा विधि के अनुसार होगा। यह वित्तीय पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित करता है। उदाहरण: 2025 में, एक सहकारी समिति की संपत्ति का निपटारा सदस्यों के बीच विधि के अनुसार किया गया।
महत्व: लोकतांत्रिक प्रक्रिया: सदस्यों की सहमति से विघटन। पारदर्शिता: स्वतंत्र प्राधिकारी और विधि के अनुसार निपटारा। वित्तीय जवाबदेही: संपत्ति और देनदारियों का उचित प्रबंधन। संघीय ढांचा: केंद्र, राज्य, और सहकारी समितियों में समन्वय।
प्रमुख विशेषताएँ: सदस्यों की सहमति: विघटन का आधार। स्वतंत्र प्राधिकारी: निगरानी। संपत्ति निपटारा: विधि के अनुसार। राज्य विधानमंडल: नियम निर्धारण।
ऐतिहासिक उदाहरण: 2011 के बाद: सहकारी समितियों के विघटन के लिए नियम लागू। 2010 के दशक: विघटन प्रक्रिया में पारदर्शिता बढ़ी। 2025 स्थिति: डिजिटल युग में विघटन प्रक्रिया और संपत्ति निपटारे का डिजिटल रिकॉर्ड।
चुनौतियाँ और विवाद: 97वां संशोधन पर विवाद: 2021 में, सुप्रीम कोर्ट ने भाग IX-B के कुछ हिस्सों को असंवैधानिक घोषित किया, क्योंकि सहकारी समितियाँ राज्य सूची(सातवीं अनुसूची, प्रविष्टि 32) का विषय हैं। अनुच्छेद 243ZN की वैधता प्रभावित हुई, लेकिन राज्य विधानमंडल की शक्ति बरकरार। सदस्य सहमति में कमी: कुछ मामलों में सहमति प्राप्त करना कठिन।न्यायिक समीक्षा: विघटन प्रक्रिया की वैधता पर कोर्ट की जाँच।
संबंधित प्रावधान: अनुच्छेद 243ZI: सहकारी समितियों का निगमन और विघटन। अनुच्छेद 243ZM: लेखा और लेखा-परीक्षण। सातवीं अनुसूची: सहकारी समितियाँ(राज्य सूची, प्रविष्टि 32)।
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jp Singh
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