Article 243 ZL the Indian Constitution
jp Singh
2025-07-04 15:31:38
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भारतीय संविधान का अनुच्छेद 243ZL
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 243ZL
अनुच्छेद 243ZL भारतीय संविधान के भाग IX-B(सहकारी समितियाँ) में आता है। यह सहकारी समितियों के निर्वाचन से संबंधित अपराध और विवाद(Offences and disputes relating to elections of cooperative societies) से संबंधित है। यह प्रावधान सहकारी समितियों के निर्वाचन से संबंधित अपराधों और विवादों के समाधान के लिए व्यवस्था करता है ताकि निर्वाचन प्रक्रिया की निष्पक्षता और अखंडता बनी रहे। यह अनुच्छेद 97वें संशोधन(2011) के द्वारा जोड़ा गया, जिसने सहकारी समितियों को संवैधानिक दर्जा प्रदान किया।
"(1) सहकारी समितियों के निर्वाचन से संबंधित अपराधों और विवादों के लिए उपबंध राज्य विधानमंडल द्वारा बनाई गई विधि द्वारा किए जाएँगे।
(2) ऐसे अपराधों और विवादों का विचारण और निपटारा करने के लिए राज्य विधानमंडल द्वारा गठित प्राधिकारी या न्यायालय को अधिकार होगा।"
उद्देश्य: अनुच्छेद 243ZL सहकारी समितियों के निर्वाचन से संबंधित अपराधों(जैसे, मतदाता धोखाधड़ी) और विवादों(जैसे, मतगणना विवाद) के लिए नियम और समाधान प्रक्रिया निर्धारित करता है। यह राज्य विधानमंडल को ऐसे मामलों के लिए प्राधिकारी या न्यायालय गठित करने का अधिकार देता है। इसका लक्ष्य सहकारी समितियों में निष्पक्ष और लोकतांत्रिक निर्वाचन सुनिश्चित करना, पारदर्शिता को बढ़ावा देना, और संघीय ढांचे में स्वायत्तता को संरक्षित करना है।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: संवैधानिक ढांचा: यह प्रावधान 97वें संशोधन(2011) द्वारा जोड़ा गया, जो अनुच्छेद 243ZA(नगरपालिकाओं के निर्वाचन) और अनुच्छेद 243K(पंचायतों के निर्वाचन) से प्रेरित है। यह सहकारी समितियों के निर्वाचन में अनियमितताओं और विवादों को संबोधित करने के लिए बनाया गया। भारतीय संदर्भ: 2011 से पहले, सहकारी समितियों के निर्वाचन में विवादों का समाधान असंगठित और असमान था। इस संशोधन ने इसे संवैधानिक और व्यवस्थित बनाया। प्रासंगिकता: यह प्रावधान सहकारी समितियों में निर्वाचन प्रक्रिया की अखंडता और निष्पक्षता को बढ़ावा देता है।
अनुच्छेद 243ZL के प्रमुख तत्व
खंड(1): अपराधों और विवादों के लिए उपबंध: सहकारी समितियों के निर्वाचन से संबंधित अपराधों और विवादों के लिए नियम राज्य विधानमंडल द्वारा बनाई गई विधि द्वारा निर्धारित होंगे। इसमें मतदाता धोखाधड़ी, मतपत्रों में हेराफेरी, या निर्वाचन प्रक्रिया में अनियमितताएँ शामिल हैं। उदाहरण: 2025 में, एक सहकारी बैंक के निर्वाचन में मतदाता सूची में हेराफेरी का मामला राज्य विधि के तहत निपटाया गया।
खंड(2): प्राधिकारी या न्यायालय का गठन: राज्य विधानमंडल द्वारा गठित प्राधिकारी या न्यायालय को इन अपराधों और विवादों का विचारण और निपटारा करने का अधिकार होगा। यह प्रक्रिया को स्वतंत्र और निष्पक्ष बनाता है। उदाहरण: 2025 में, महाराष्ट्र में एक सहकारी समिति के निर्वाचन विवाद के लिए विशेष न्यायाधिकरण गठित।
महत्व: निष्पक्ष निर्वाचन: अपराधों और विवादों का त्वरित समाधान। पारदर्शिता: स्वतंत्र प्राधिकारी द्वारा निपटारा। लोकतांत्रिक शासन: सहकारी समितियों में विश्वसनीयता। संघीय ढांचा: केंद्र, राज्य, और सहकारी समितियों में समन्वय
प्रमुख विशेषताएँ: अपराध और विवाद: निर्वाचन प्रक्रिया। राज्य विधानमंडल: नियम और प्राधिकारी गठन। निष्पक्षता: स्वतंत्र निपटारा। लोकतंत्र: सहकारी शासन।
ऐतिहासिक उदाहरण: 2011 के बाद: सहकारी समितियों के निर्वाचन विवादों के लिए प्राधिकारी गठित। 2010 के दशक: निर्वाचन प्रक्रिया में पारदर्शिता और नियमितता बढ़ी। 2025 स्थिति: डिजिटल युग में निर्वाचन विवादों का डिजिटल रिकॉर्ड और ऑनलाइन
चुनौतियाँ और विवाद: 97वां संशोधन पर विवाद: 2021 में, सुप्रीम कोर्ट ने भाग IX-B के कुछ हिस्सों को असंवैधानिक घोषित किया, क्योंकि सहकारी समितियाँ राज्य सूची(सातवीं अनुसूची, प्रविष्टि 32) का विषय हैं। अनुच्छेद 243ZL की वैधता प्रभावित हुई, लेकिन राज्य विधानमंडल की शक्ति बरकरार। विवाद समाधान में देरी: कुछ राज्यों में प्राधिकारी गठन में विलंब। न्यायिक समीक्षा: प्राधिकारी की स्वतंत्रता और वैधता पर कोर्ट की जाँच।
संबंधित प्रावधान: अनुच्छेद 243ZK: सहकारी समितियों के निर्वाचन। अनुच्छेद 243ZJ: संचालक समिति की संरचना। अनुच्छेद 243K: राज्य निर्वाचन आयोग।
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jp Singh
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