Article 243 ZJ the Indian Constitution
jp Singh
2025-07-04 15:27:16
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भारतीय संविधान का अनुच्छेद 243ZJ
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 243ZJ
अनुच्छेद 243ZJ भारतीय संविधान के भाग IX-B(सहकारी समितियाँ) में आता है। यह सहकारी समितियों के सदस्यों की संख्या और उनकी संचालक समिति(Number of members and their board of cooperative societies) से संबंधित है। यह प्रावधान सहकारी समितियों की संचालक समिति की संरचना, सदस्यों की संख्या, और उनके निर्वाचन की प्रक्रिया को नियंत्रित करता है ताकि लोकतांत्रिक और पारदर्शी प्रबंधन सुनिश्चित हो। यह अनुच्छेद 97वें संशोधन(2011) के द्वारा जोड़ा गया, जिसने सहकारी समितियों को संवैधानिक दर्जा प्रदान किया।
"(1) प्रत्येक सहकारी समिति की संचालक समिति में अधिकतम 21 सदस्य होंगे, जिनमें से कम से कम तीन स्थान महिलाओं के लिए और दो स्थान अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, और अन्य पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षित होंगे, जैसा कि राज्य विधानमंडल द्वारा निर्धारित हो।
(2) संचालक समिति का कार्यकाल पाँच वर्ष होगा, और इसके सदस्यों का निर्वाचन गुप्त मतदान द्वारा होगा।
(3) संचालक समिति में एक अध्यक्ष और अन्य पदाधिकारी होंगे, जो इसके सदस्यों द्वारा चुने जाएँगे।
(4) सहकारी समिति के सदस्यों की संख्या और संचालक समिति की अन्य शर्तें राज्य विधानमंडल द्वारा बनाई गई विधि द्वारा निर्धारित होंगी।"
उद्देश्य: अनुच्छेद 243ZJ सहकारी समितियों की संचालक समिति की संरचना, सदस्यों की संख्या, और निर्वाचन प्रक्रिया को नियंत्रित करता है। यह महिलाओं और हाशिए के समुदायों(SC, ST, OBC) के लिए आरक्षण प्रदान करता है ताकि समावेशी प्रतिनिधित्व सुनिश्चित हो। इसका लक्ष्य सहकारी समितियों में लोकतांत्रिक प्रबंधन, पारदर्शिता, और सामाजिक न्याय को बढ़ावा देना है, साथ ही संघीय ढांचे में उनकी स्वायत्तता को संरक्षित करना है।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: संवैधानिक ढांचा: यह प्रावधान 97वें संशोधन(2011) द्वारा जोड़ा गया, जो सहकारी समितियों को संवैधानिक दर्जा और लोकतांत्रिक ढांचा देने के लिए बनाया गया। यह पंचायतों(अनुच्छेद 243D) और नगरपालिकाओं(अनुच्छेद 243T) में आरक्षण के समान सहकारी समितियों में समावेशी प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करता है। भारतीय संदर्भ: भारत में सहकारी समितियाँ(जैसे, अमूल, सहकारी बैंक) ग्रामीण और शहरी अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण हैं। 2011 से पहले, इनमें समावेशी प्रतिनिधित्व और लोकतांत्रिक प्रबंधन की कमी थी। इस संशोधन ने इसे व्यवस्थित किया।
प्रासंगिकता: यह प्रावधान सहकारी समितियों में समावेशी और लोकतांत्रिक प्रबंधन को बढ़ावा देता है।
अनुच्छेद 243ZJ के प्रमुख तत्व
खंड(1): संचालक समिति की संरचना और आरक्षण: सदस्यों की संख्या: संचालक समिति में अधिकतम 21 सदस्य होंगे। आरक्षण: कम से कम तीन स्थान महिलाओं के लिए। दो स्थान अनुसूचित जाति(SC), अनुसूचित जनजाति(ST), और अन्य पिछड़े वर्गों(OBC) के लिए। यह राज्य विधानमंडल द्वारा निर्धारित नियमों के अधीन होगा। उदाहरण: 2025 में, एक महाराष्ट्र दुग्ध सहकारी समिति में 21 सदस्यों की संचालक समिति, जिसमें 3 महिलाएँ और 2 SC/ST/OBC सदस्य।
खंड(2): कार्यकाल और निर्वाचन: संचालक समिति का कार्यकाल पाँच वर्ष होगा। सदस्यों का निर्वाचन गुप्त मतदान द्वारा होगा, जो निष्पक्षता सुनिश्चित करता है। उदाहरण: 2025 में, एक सहकारी बैंक में गुप्त मतदान द्वारा संचालक समिति का निर्वाचन।
खंड(3): पदाधिकारी: संचालक समिति में एक अध्यक्ष और अन्य पदाधिकारी होंगे, जो समिति के सदस्यों द्वारा चुने जाएँगे। उदाहरण: 2025 में, एक कृषि सहकारी समिति में निर्वाचित अध्यक्ष और सचिव।
खंड(4): अन्य शर्तें: सहकारी समिति के सदस्यों की संख्या और संचालक समिति की अन्य शर्तें राज्य विधानमंडल द्वारा निर्धारित होंगी। उदाहरण: उत्तर प्रदेश में 2025 में सहकारी समितियों के लिए विशिष्ट नियम।
महत्व: लोकतांत्रिक प्रबंधन: गुप्त मतदान और निर्वाचित समिति। समावेशिता: महिलाओं और हाशिए के समुदायों के लिए आरक्षण। पारदर्शिता: निर्वाचन और प्रबंधन में निष्पक्षता। संघीय ढांचा: केंद्र, राज्य, और सहकारी समितियों में समन्वय।
प्रमुख विशेषताएँ: संचालक समिति: अधिकतम 21 सदस्य। आरक्षण: महिलाएँ, SC/ST/OBC। निर्वाचन: गुप्त मतदान, पाँच वर्ष कार्यकाल। राज्य विधानमंडल: नियम निर्धारण।
ऐतिहासिक उदाहरण: 2011 के बाद: सहकारी समितियों में आरक्षण और लोकतांत्रिक निर्वाचन लागू। 2010 के दशक: सहकारी समितियों में महिलाओं और हाशिए के समुदायों का प्रतिनिधित्व बढ़ा। 2025 स्थिति: डिजिटल युग में निर्वाचन और प्रबंधन का डिजिटल रिकॉर्ड।
चुनौतियाँ और विवाद: 97वां संशोधन पर विवाद: 2021 में, सुप्रीम कोर्ट ने भाग IX-B के कुछ हिस्सों को असंवैधानिक घोषित किया, क्योंकि सहकारी समितियाँ राज्य सूची(सातवीं अनुसूची, प्रविष्टि 32) का विषय हैं। अनुच्छेद 243ZJ के कुछ पहलू(जैसे, आरक्षण) प्रभावित हुए, लेकिन राज्य विधानमंडल की शक्ति बरकरार। कार्यान्वयन: कुछ राज्यों में आरक्षण और निर्वाचन नियमों का असमान कार्यान्वयन। न्यायिक समीक्षा: संचालक समिति की संरचना और आरक्षण की वैधता पर कोर्ट की जाँच।
संबंधित प्रावधान: अनुच्छेद 243ZH: सहकारी समितियों की परिभाषाएँ। अनुच्छेद 243ZI: सहकारी समितियों का निगमन। अनुच्छेद 243ZK: सहकारी समितियों के निर्वाचन।
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