Article 243 ZI the Indian Constitution
jp Singh
2025-07-04 15:25:14
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भारतीय संविधान का अनुच्छेद 243ZI
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 243ZI
अनुच्छेद 243ZI भारतीय संविधान के भाग IX-B(सहकारी समितियाँ) में आता है। यह सहकारी समितियों का निगमन, विनियमन, और विघटन(Incorporation, regulation, and winding up of cooperative societies) से संबंधित है। यह प्रावधान सहकारी समितियों के गठन, प्रबंधन, और विघटन के लिए नियम निर्धारित करता है ताकि उनका लोकतांत्रिक और स्वायत्त संचालन सुनिश्चित हो। यह अनुच्छेद 97वें संशोधन(2011) के द्वारा जोड़ा गया, जिसने सहकारी समितियों को संवैधानिक दर्जा प्रदान किया।
"इस संविधान के उपबंधों और संसद द्वारा बनाई गई किसी विधि के अधीन, राज्य का विधान-मंडल, विधि द्वारा, सहकारी समितियों के निगमन, विनियमन, और विघटन के लिए उपबंध कर सकता है, जिसमें निम्नलिखित शामिल होंगे:
(क) सहकारी समितियों का पंजीकरण;
(ख) संचालक समिति की संरचना और कार्य;
(ग) सहकारी समितियों के निर्वाचन और प्रबंधन;
(घ) सहकारी समितियों के लेखा और लेखा-परीक्षण।"
उद्देश्य: अनुच्छेद 243ZI राज्य विधानमंडल को सहकारी समितियों के निगमन(गठन), विनियमन(प्रबंधन), और विघटन(समापन) के लिए नियम बनाने का अधिकार देता है। यह सहकारी समितियों में लोकतांत्रिक प्रबंधन, पारदर्शिता, और जवाबदेही सुनिश्चित करता है। इसका लक्ष्य सहकारी आंदोलन को सशक्त करना, लोकतांत्रिक विकेंद्रीकरण को बढ़ावा देना, और संघीय ढांचे में सहकारी समितियों की स्वायत्तता को संरक्षित करना है।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: संवैधानिक ढांचा: यह प्रावधान 97वें संशोधन(2011) द्वारा जोड़ा गया, जो सहकारी समितियों को संवैधानिक दर्जा देने के लिए बनाया गया। यह पंचायतों(भाग IX) और नगरपालिकाओं(भाग IX-A) के समान सहकारी समितियों को संवैधानिक ढांचा प्रदान करता है। भारतीय संदर्भ: भारत में सहकारी समितियाँ(जैसे, अमूल, सहकारी बैंक) ग्रामीण और शहरी अर्थव्यवस्था का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। 2011 से पहले, इनका प्रबंधन असमान और राज्य-निर्भर था। इस संशोधन ने इसे व्यवस्थित किया। प्रासंगिकता: यह प्रावधान सहकारी समितियों में लोकतांत्रिक और पारदर्शी प्रबंधन को बढ़ावा देता है।
अनुच्छेद 243ZI के प्रमुख तत्व
निगमन(पंजीकरण): राज्य विधानमंडल सहकारी समितियों के पंजीकरण के लिए नियम बना सकता है। यह समितियों को कानूनी मान्यता देता है। उदाहरण: 2025 में, उत्तर प्रदेश में एक नई कृषि सहकारी समिति का पंजीकरण।
विनियमन(प्रबंधन): संचालक समिति की संरचना और कार्यों को निर्धारित किया जाएगा। यह समितियाँ निर्वाचित सदस्यों द्वारा संचालित होंगी। उदाहरण: 2025 में, एक दुग्ध सहकारी समिति में निर्वाचित संचालक समिति का गठन।
निर्वाचन और प्रबंधन: सहकारी समितियों के निर्वाचन की प्रक्रिया को राज्य विधानमंडल द्वारा विनियमित किया जाएगा। यह लोकतांत्रिक प्रक्रिया सुनिश्चित करता है। उदाहरण: 2025 में, एक सहकारी बैंक में संचालक समिति के लिए निष्पक्ष निर्वाचन।
लेखा और लेखा-परीक्षण: सहकारी समितियों के वित्तीय लेखा और लेखा-परीक्षण के लिए नियम बनाए जाएँगे। यह पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करता है। उदाहरण: 2025 में, एक सहकारी समिति के लेखा का CAG द्वारा ऑडिट।
महत्व: लोकतांत्रिक प्रबंधन: निर्वाचित संचालक समिति द्वारा स्वशासन। पारदर्शिता: लेखा-परीक्षण और वित्तीय प्रबंधन। आर्थिक विकास: सहकारी समितियों के माध्यम से ग्रामीण-शहरी अर्थव्यवस्था को समर्थन। संघीय ढांचा: केंद्र, राज्य, और सहकारी समितियों में समन्वय।
प्रमुख विशेषताएँ: पंजीकरण: कानूनी मान्यता। संचालक समिति: लोकतांत्रिक प्रबंधन। लेखा-परीक्षण: पारदर्शिता। राज्य विधानमंडल: नियम निर्धारण।
ऐतिहासिक उदाहरण: 2011 के बाद: सहकारी समितियों का संवैधानिक ढांचा लागू। 2010 के दशक: सहकारी समितियों में निर्वाचन और लेखा-परीक्षण प्रक्रिया शुरू। 2025 स्थिति: डिजिटल युग में सहकारी समितियों के पंजीकरण और प्रबंधन का डिजिटल रिकॉर्ड।
चुनौतियाँ और विवाद: 97वां संशोधन पर विवाद: 2021 में, सुप्रीम कोर्ट ने भाग IX-B के कुछ हिस्सों को असंवैधानिक घोषित किया, क्योंकि सहकारी समितियाँ राज्य सूची(सातवीं अनुसूची, प्रविष्टि 32) का विषय हैं। अनुच्छेद 243ZI के कुछ पहलू प्रभावित हुए, लेकिन राज्य विधानमंडल की शक्ति बरकरार। कार्यान्वयन: कुछ राज्यों में नियमों का असमान कार्यान्वयन। न्यायिक समीक्षा: सहकारी समितियों की स्वायत्तता और नियमों की वैधता पर कोर्ट की जाँच।
संबंधित प्रावधान: अनुच्छेद 243ZH: सहकारी समितियों की परिभाषाएँ। अनुच्छेद 243ZJ: सहकारी समितियों की संरचना। सातवीं अनुसूची: सहकारी समितियाँ(राज्य सूची, प्रविष्टि 32)।
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jp Singh
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