Article 243 ZH the Indian Constitution
jp Singh
2025-07-04 15:23:19
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भारतीय संविधान का अनुच्छेद 243ZH
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 243ZH
अनुच्छेद 243ZH भारतीय संविधान के भाग IX-B(सहकारी समितियाँ) में आता है। यह परिभाषाएँ(Definitions) से संबंधित है और भाग IX-B में प्रयुक्त शब्दों, जैसे "सहकारी समितियाँ", "निर्वाचित सदस्य", और "सहकारी समिति के लेखा" को परिभाषित करता है। यह अनुच्छेद 97वें संशोधन(2011) के द्वारा जोड़ा गया, जिसने सहकारी समितियों को संवैधानिक दर्जा प्रदान किया और उनके लोकतांत्रिक और स्वायत्त संचालन को सुनिश्चित किया।
"इस भाग में, जब तक कि संदर्भ से अन्यथा अपेक्षित न हो
(क) 'प्राधिकृत व्यक्ति' का अर्थ वह व्यक्ति है जिसे सहकारी समिति की संचालक समिति द्वारा प्राधिकृत किया गया हो;
(ख) 'संचालक समिति' का अर्थ सहकारी समिति की प्रबंध समिति है जिसे इसके सदस्यों द्वारा चुना गया हो;
(ग) 'सहकारी समिति' का अर्थ ऐसी समिति है जो राज्य विधानमंडल द्वारा बनाई गई विधि के अधीन पंजीकृत हो;
(घ) 'निर्वाचित सदस्य' का अर्थ वह व्यक्ति है जो सहकारी समिति की संचालक समिति में निर्वाचित हो;
(ङ) 'सहकारी समिति के लेखा' का अर्थ सहकारी समिति के वित्तीय लेखा और लेनदेन से संबंधित रिकॉर्ड है।"
उद्देश्य: अनुच्छेद 243ZH भाग IX-B में प्रयुक्त शब्दों और अवधारणाओं को स्पष्ट करने के लिए परिभाषाएँ प्रदान करता है। यह सहकारी समितियों के संचालन, प्रबंधन, और निर्वाचन से संबंधित प्रावधानों को समझने का आधार देता है। इसका लक्ष्य सहकारी समितियों में लोकतांत्रिक स्वशासन, पारदर्शिता, और जवाबदेही सुनिश्चित करना है, साथ ही संघीय ढांचे में उनकी स्वायत्तता को संरक्षित करना है।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: संवैधानिक ढांचा: यह प्रावधान 97वें संशोधन(2011) द्वारा जोड़ा गया, जिसका उद्देश्य सहकारी समितियों को संवैधानिक मान्यता देना था। यह पंचायतों(भाग IX) और नगरपालिकाओं(भाग IX-A) के समान सहकारी समितियों को स्वायत्त और लोकतांत्रिक ढांचा प्रदान करता है।
भारतीय संदर्भ: भारत में सहकारी आंदोलन(जैसे, अमूल, IFFCO) ने ग्रामीण और शहरी अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान दिया। 2011 से पहले, सहकारी समितियों का संचालन असमान और राज्य-निर्भर था। इस संशोधन ने इसे संवैधानिक आधार दिया। प्रासंगिकता: यह प्रावधान सहकारी समितियों में पारदर्शी और लोकतांत्रिक प्रबंधन को बढ़ावा देता है।
अनुच्छेद 243ZH के प्रमुख तत्व
परिभाषाएँ: प्राधिकृत व्यक्ति: सहकारी समिति की संचालक समिति द्वारा प्राधिकृत व्यक्ति, जो प्रबंधन और संचालन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। उदाहरण: 2025 में, एक दुग्ध सहकारी समिति में प्रबंधक को प्राधिकृत व्यक्ति नियुक्त किया गया।
संचालक समिति: सहकारी समिति की प्रबंध समिति, जिसे सदस्यों द्वारा चुना जाता है। उदाहरण: अमूल सहकारी समिति की संचालक समिति में निर्वाचित सदस्य। सहकारी समिति: राज्य विधानमंडल द्वारा बनाई गई विधि के तहत पंजीकृत समिति। उदाहरण: 2025 में, उत्तर प्रदेश में पंजीकृत एक कृषि सहकारी समिति। निर्वाचित सदस्य: संचालक समिति में निर्वाचित व्यक्ति।
उदाहरण: 2025 में, एक सहकारी बैंक के बोर्ड में निर्वाचित सदस्य। सहकारी समिति के लेखा: समिति के वित्तीय लेखा और लेनदेन का रिकॉर्ड। उदाहरण: 2025 में, एक सहकारी समिति के लेखा का CAG द्वारा ऑडिट।
महत्व: स्पष्टता: शब्दों की परिभाषाएँ प्रावधानों को समझने में मदद करती हैं। लोकतांत्रिक प्रबंधन: निर्वाचित संचालक समिति द्वारा स्वशासन। पारदर्शिता: लेखा और प्राधिकृत व्यक्तियों की जवाबदेही। संघीय ढांचा: केंद्र, राज्य, और सहकारी समितियों में समन्वय।
प्रमुख विशेषताएँ: परिभाषाएँ: सहकारी समितियों के लिए आधार। निर्वाचित समिति: लोकतांत्रिक प्रबंधन। वित्तीय लेखा: पारदर्शिता। राज्य विधानमंडल: पंजीकरण का आधार।
ऐतिहासिक उदाहरण: 2011 के बाद: सहकारी समितियों को संवैधानिक दर्जा मिला। 2010 के दशक: सहकारी समितियों में लोकतांत्रिक प्रबंधन और लेखा-परीक्षण बढ़ा। 2025 स्थिति: डिजिटल युग में सहकारी समितियों के लेखा और प्रबंधन का डिजिटल रिकॉर्ड।
चुनौतियाँ और विवाद: 97वें संशोधन पर विवाद: 2021 में, गुजरात उच्च न्यायालय ने भाग IX-B के कुछ हिस्सों को असंवैधानिक घोषित किया, क्योंकि सहकारी समितियाँ राज्य सूची का विषय हैं। सुप्रीम कोर्ट ने 2021 में इस निर्णय को आंशिक रूप से बरकरार रखा, जिससे अनुच्छेद 243ZH जैसे प्रावधान प्रभावित हुए। कार्यान्वयन: कुछ राज्यों में परिभाषाओं का असमान कार्यान्वयन। न्यायिक समीक्षा: सहकारी समितियों की स्वायत्तता पर कोर्ट की जाँच।
संबंधित प्रावधान: अनुच्छेद 243P: नगरपालिकाओं की परिभाषाएँ। अनुच्छेद 243ZI: सहकारी समितियों का गठन। सातवीं अनुसूची: सहकारी समितियाँ(राज्य सूची, प्रविष्टि 32)।
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