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Article 243 ZG the Indian Constitution
jp Singh 2025-07-04 15:21:08
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भारतीय संविधान का अनुच्छेद 243ZG

भारतीय संविधान का अनुच्छेद 243ZG
अनुच्छेद 243ZG भारतीय संविधान के भाग IX-A(नगरपालिकाएँ) में आता है। यह नगरपालिकाओं के निर्वाचन और कार्यों से संबंधित मामलों में न्यायालयों का हस्तक्षेप निषेध(Bar to interference by courts in electoral matters, etc.) से संबंधित है। यह प्रावधान नगरपालिकाओं के निर्वाचन और कुछ अन्य मामलों में न्यायालयों के हस्तक्षेप को प्रतिबंधित करता है ताकि शहरी शासन की स्वायत्तता और निर्वाचन प्रक्रिया की अखंडता बनी रहे। यह अनुच्छेद 74वें संशोधन(1992) के द्वारा जोड़ा गया, जिसने शहरी स्थानीय निकायों को संवैधानिक दर्जा प्रदान किया।
"इस संविधान में किसी बात के होते हुए भी, कोई भी न्यायालय:
(क) नगरपालिकाओं के निर्वाचन से संबंधित किसी मामले में हस्तक्षेप नहीं करेगा, सिवाय इसके कि वह इस भाग के उपबंधों के अधीन हो;
(ख) इस भाग के उपबंधों के अधीन बनाई गई किसी विधि की वैधता को चुनौती देने वाले किसी मामले में हस्तक्षेप नहीं करेगा।"
उद्देश्य: अनुच्छेद 243ZG नगरपालिकाओं के निर्वाचन और इस भाग के तहत बनाई गई विधियों की वैधता से संबंधित मामलों में न्यायालयों के हस्तक्षेप को प्रतिबंधित करता है। यह राज्य निर्वाचन आयोग की स्वायत्तता और निर्वाचन प्रक्रिया की अखंडता को बनाए रखता है। इसका लक्ष्य शहरी स्वशासन में लोकतांत्रिक प्रक्रिया की रक्षा करना, निर्वाचन की निष्पक्षता सुनिश्चित करना, और संघीय ढांचे में स्थानीय निकायों की स्वायत्तता को संरक्षित करना है।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: संवैधानिक ढांचा: यह प्रावधान 74वें संशोधन(1992) द्वारा जोड़ा गया, जो अनुच्छेद 243O(पंचायतों के निर्वाचन में न्यायालयों का हस्तक्षेप निषेध) से प्रेरित है। यह निर्वाचन प्रक्रिया में अनावश्यक न्यायिक हस्तक्षेप को रोकने के लिए बनाया गया। भारतीय संदर्भ: 1992 से पहले, नगरपालिका निर्वाचनों में न्यायिक हस्तक्षेप के कारण देरी और अनिश्चितता थी। इस संशोधन ने इसे सीमित किया। प्रासंगिकता: यह प्रावधान शहरी शासन में निर्वाचन प्रक्रिया की स्वायत्तता और समयबद्धता सुनिश्चित करता है।
अनुच्छेद 243ZG के प्रमुख तत्व
खंड(क): निर्वाचन में हस्तक्षेप निषेध: कोई भी न्यायालय नगरपालिकाओं के निर्वाचन से संबंधित मामलों में हस्तक्षेप नहीं करेगा, सिवाय इसके कि वह इस भाग(IX-A) के उपबंधों के अधीन हो। यह राज्य निर्वाचन आयोग(अनुच्छेद 243ZA) को निर्वाचन प्रक्रिया का पूर्ण नियंत्रण देता है। उदाहरण: 2025 में, दिल्ली नगर निगम के निर्वाचन में मतदाता सूची विवाद पर न्यायालय ने हस्तक्षेप नहीं किया।
खंड(ख): विधियों की वैधता: इस भाग के तहत बनाई गई किसी विधि की वैधता को चुनौती देने वाले मामलों में न्यायालय हस्तक्षेप नहीं करेगा। यह भाग IX-A के तहत बनाई गई विधियों को संवैधानिक संरक्षण प्रदान करता है। उदाहरण: 2025 में, महाराष्ट्र की नगरपालिका विधि की वैधता पर कोर्ट में चुनौती खारिज।
महत्व: निर्वाचन स्वायत्तता: राज्य निर्वाचन आयोग की स्वतंत्रता। न्यायिक हस्तक्षेप में कमी: निर्वाचन प्रक्रिया में देरी रोकना। शहरी शासन: लोकतांत्रिक प्रक्रिया की अखंडता। संघीय ढांचा: केंद्र, राज्य, और स्थानीय निकायों में समन्वय।
प्रमुख विशेषताएँ: न्यायालय निषेध: निर्वाचन और विधि वैधता। निर्वाचन आयोग: स्वायत्त नियंत्रण। लोकतंत्र: निष्पक्ष प्रक्रिया। शहरी शासन: स्थिरता।
ऐतिहासिक उदाहरण: 1993 के बाद: नगरपालिका निर्वाचनों में न्यायिक हस्तक्षेप सीमित। 2000 के दशक: निर्वाचन विवादों का समाधान आयोग द्वारा। 2025 स्थिति: डिजिटल युग में निर्वाचन प्रक्रिया का डिजिटल प्रबंधन।
चुनौतियाँ और विवाद: न्यायिक संतुलन: स्वायत्तता और न्यायिक समीक्षा के बीच तनाव। आयोग की स्वायत्तता: राज्य सरकारों के प्रभाव के आरोप। न्यायिक समीक्षा: कुछ मामलों में सीमित हस्तक्षेप की अनुमति।
संबंधित प्रावधान: अनुच्छेद 243O: पंचायतों के निर्वाचन में हस्तक्षेप निषेध। अनुच्छेद 243ZA: नगरपालिकाओं के निर्वाचन। अनुच्छेद 243K: राज्य निर्वाचन आयोग।
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