Article 243ZF the Indian Constitution
jp Singh
2025-07-04 15:18:48
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भारतीय संविधान का अनुच्छेद 243ZF
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 243ZF
अनुच्छेद 243ZF भारतीय संविधान के भाग IX-A(नगरपालिकाएँ) में आता है। यह वर्तमान विधियों और नगरपालिकाओं का बने रहना(Continuance of existing laws and Municipalities) से संबंधित है। यह प्रावधान यह सुनिश्चित करता है कि 74वें संशोधन(1992) के लागू होने के बाद भी मौजूदा विधियाँ और नगरपालिकाएँ कुछ शर्तों के साथ बनी रहें। यह अनुच्छेद 74वें संशोधन(1992) के द्वारा जोड़ा गया, जिसने शहरी स्थानीय निकायों को संवैधानिक दर्जा प्रदान किया।
"इस संविधान के प्रारंभ के समय विद्यमान कोई विधि, जो इस भाग के उपबंधों के असंगत नहीं है, इस संशोधन के लागू होने की तारीख से एक वर्ष तक या जब तक इसे संशोधित या निरसन नहीं किया जाता, तब तक प्रभावी रहेगी। इसी प्रकार, इस संशोधन के लागू होने की तारीख को विद्यमान नगरपालिकाएँ तब तक बनी रहेंगी, जब तक उनकी अवधि समाप्त न हो या उन्हें इस संविधान के उपबंधों के अनुसार भंग न किया जाए।"
उद्देश्य: अनुच्छेद 243ZF 74वें संशोधन के लागू होने के बाद मौजूदा विधियों और नगरपालिकाओं की निरंतरता सुनिश्चित करता है, बशर्ते वे भाग IX-A के उपबंधों के साथ असंगत न हों। यह एक संक्रमणकालीन व्यवस्था प्रदान करता है ताकि शहरी शासन में कोई व्यवधान न हो। इसका लक्ष्य शहरी स्वशासन को सुचारु रूप से लागू करना, लोकतांत्रिक विकेंद्रीकरण को बनाए रखना, और संघीय ढांचे में स्थिरता सुनिश्चित करना है।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: संवैधानिक ढांचा: यह प्रावधान 74वें संशोधन(1992) द्वारा जोड़ा गया, जो अनुच्छेद 243N(पंचायतों के लिए मौजूदा विधियों की निरंतरता) से प्रेरित है। यह संशोधन के लागू होने के बाद मौजूदा शहरी निकायों और विधियों के लिए एक सुगम परिवर्तन सुनिश्चित करने के लिए बनाया गया। भारतीय संदर्भ: 1992 से पहले, विभिन्न राज्यों में नगरपालिका विधियाँ और संरचनाएँ असमान थीं। इस संशोधन ने एकरूपता लाने के लिए एक वर्ष का समय दिया। प्रासंगिकता: यह प्रावधान शहरी शासन में सुचारु परिवर्तन और स्थिरता सुनिश्चित करता है।
अनुच्छेद 243ZF के प्रमुख तत्व
मौजूदा विधियों की निरंतरता: 74वें संशोधन के लागू होने के समय विद्यमान कोई भी विधि, जो भाग IX-A के उपबंधों के साथ असंगत नहीं है, एक वर्ष तक या जब तक संशोधित या निरसन नहीं हो, प्रभावी रहेगी। यह राज्यों को अपनी विधियों को संवैधानिक उपबंधों के अनुरूप बनाने का समय देता है। उदाहरण: 1993 में, महाराष्ट्र की नगरपालिका विधियाँ एक वर्ष तक प्रभावी रहीं, जब तक नई विधि लागू नहीं हुई।
मौजूदा नगरपालिकाओं की निरंतरता: संशोधन के लागू होने की तारीख को विद्यमान नगरपालिकाएँ अपनी अवधि समाप्त होने तक या संवैधानिक उपबंधों के तहत भंग होने तक बनी रहेंगी। यह शहरी शासन में व्यवधान को रोकता है। उदाहरण: 1993 में, दिल्ली नगर निगम अपनी अवधि तक बना रहा।
महत्व: सुचारु परिवर्तन: मौजूदा विधियों और निकायों की निरंतरता। स्थिरता: शहरी शासन में व्यवधान रोकना। लोकतांत्रिक विकेंद्रीकरण: संवैधानिक उपबंधों के साथ सामंजस्य। संघीय ढांचा: केंद्र, राज्य, और स्थानीय निकायों में समन्वय।
प्रमुख विशेषताएँ: मौजूदा विधियाँ: एक वर्ष तक प्रभावी। नगरपालिकाएँ: अवधि तक निरंतरता। संशोधन/निरसन: राज्य की जिम्मेदारी। स्थिरता: शहरी शासन।
ऐतिहासिक उदाहरण: 1993: राज्यों ने अपनी नगरपालिका विधियों को संशोधित किया। 1990 के दशक: मौजूदा नगरपालिकाएँ अपनी अवधि तक कार्यरत रहीं। 2025 स्थिति: डिजिटल युग में, शहरी शासन की प्रक्रियाएँ डिजिटल रूप से प्रलेखित।
चुनौतियाँ और विवाद: संशोधन में देरी: कुछ राज्यों में विधियों को समय पर संशोधित नहीं किया गया। असंगतता: पुरानी विधियों और संवैधानिक उपबंधों में टकराव। न्यायिक समीक्षा: मौजूदा विधियों की वैधता पर कोर्ट की जाँच।
संबंधित प्रावधान: अनुच्छेद 243N: पंचायतों के लिए मौजूदा विधियों की निरंतरता। अनुच्छेद 243Q: नगरपालिकाओं का गठन। अनुच्छेद 243U: नगरपालिकाओं की अवधि।
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jp Singh
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