Article 243ZD of the Indian Constitution
jp Singh
2025-07-04 15:15:25
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भारतीय संविधान का अनुच्छेद 243ZD
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 243ZD
अनुच्छेद 243ZD भारतीय संविधान के भाग IX-A(नगरपालिकाएँ) में आता है। यह जिला योजना समिति(District Planning Committee) से संबंधित है। यह प्रावधान प्रत्येक जिले में एक जिला योजना समिति के गठन का प्रावधान करता है ताकि ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के लिए समन्वित विकास योजनाएँ बनाई जा सकें। यह अनुच्छेद 74वें संशोधन(1992) के द्वारा जोड़ा गया, जिसने शहरी स्थानीय निकायों को संवैधानिक दर्जा प्रदान किया।
"(1) प्रत्येक राज्य में प्रत्येक जिले में एक जिला योजना समिति गठित की जाएगी, जो जिले के लिए विकास योजना तैयार करेगी और पंचायतों और नगरपालिकाओं की योजनाओं को समेकित करेगी।
(2) जिला योजना समिति में
(क) अधिकांश सदस्य पंचायतों और नगरपालिकाओं से निर्वाचित होंगे, जैसा कि राज्य विधानमंडल द्वारा निर्धारित हो;
(ख) समिति की संरचना और कार्य राज्य विधानमंडल द्वारा बनाई गई विधि द्वारा निर्धारित होंगे।
(3) जिला योजना समिति, योजना बनाते समय, आर्थिक विकास और सामाजिक न्याय के मामलों को ध्यान में रखेगी, जैसा कि राज्य विधानमंडल द्वारा निर्धारित हो।"
उद्देश्य: अनुच्छेद 243ZD जिला योजना समिति(DPC) के गठन को अनिवार्य करता है ताकि ग्रामीण(पंचायत) और शहरी(नगरपालिका) क्षेत्रों की योजनाओं को समेकित कर जिला स्तर पर समन्वित विकास योजना बनाई जा सके। यह आर्थिक विकास और सामाजिक न्याय को बढ़ावा देने के लिए योजनाओं का निर्माण सुनिश्चित करता है। इसका लक्ष्य लोकतांत्रिक विकेंद्रीकरण, समन्वित विकास, और संघीय ढांचे में ग्रामीण-शहरी समन्वय को सशक्त करना है।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: संवैधानिक ढांचा: यह प्रावधान 74वें संशोधन(1992) द्वारा जोड़ा गया, जो अनुच्छेद 243G(पंचायतों की शक्तियाँ) से प्रेरित है। यह ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के बीच समन्वित विकास के लिए बनाया गया। भारतीय संदर्भ: 1992 से पहले, जिला स्तर पर ग्रामीण और शहरी योजनाओं का समन्वय कमजोर था। इस संशोधन ने इसे संवैधानिक आधार दिया। प्रासंगिकता: यह प्रावधान शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में संतुलित विकास को बढ़ावा देता है।
अनुच्छेद 243ZD के प्रमुख तत्व
खंड(1): जिला योजना समिति का गठन: प्रत्येक राज्य में प्रत्येक जिले में एक जिला योजना समिति गठित होगी। यह समिति पंचायतों और नगरपालिकाओं की योजनाओं को समेकित कर जिला स्तर पर विकास योजना तैयार करेगी। उदाहरण: 2025 में, पुणे जिले में DPC ने शहरी और ग्रामीण जल आपूर्ति योजनाओं को समेकित किया।
खंड(2): संरचना और कार्य: संरचना: समिति में अधिकांश सदस्य पंचायतों और नगरपालिकाओं से निर्वाचित होंगे। कार्य: समिति की संरचना और कार्य राज्य विधानमंडल द्वारा निर्धारित होंगे। उदाहरण: 2025 में, उत्तर प्रदेश में DPC में 80% निर्वाचित सदस्य शामिल।
खंड(3): योजना का दायरा: समिति योजनाएँ बनाते समय आर्थिक विकास और सामाजिक न्याय को ध्यान में रखेगी। यह राज्य विधानमंडल द्वारा निर्धारित नियमों के अनुसार होगा। उदाहरण: 2025 में, बेंगलुरु DPC ने गरीबी उन्मूलन और स्वच्छता योजनाओं पर ध्यान दिया।
महत्व: समन्वित विकास: ग्रामीण और शहरी योजनाओं का एकीकरण। लोकतांत्रिक भागीदारी: निर्वाचित सदस्यों की बहुलता। सामाजिक न्याय: हाशिए के समुदायों के लिए योजनाएँ। संघीय ढांचा: केंद्र, राज्य, और स्थानीय निकायों में समन्वय।
प्रमुख विशेषताएँ: जिला योजना समिति: समन्वित योजना। निर्वाचित सदस्य: लोकतांत्रिक प्रतिनिधित्व। आर्थिक विकास: सामाजिक न्याय। राज्य विधानमंडल: नियम निर्धारण।
ऐतिहासिक उदाहरण: 1993 के बाद: राज्यों में जिला योजना समितियों का गठन शुरू। 2000 के दशक: ग्रामीण-शहरी योजनाओं का समन्वय बढ़ा। 2025 स्थिति: डिजिटल युग में DPC की योजनाओं का डिजिटल प्रबंधन और निगरानी।
चुनौतियाँ और विवाद: कार्यान्वयन में कमी: कुछ राज्यों में DPC प्रभावी नहीं। संसाधन की कमी: योजनाओं के लिए अपर्याप्त निधि। न्यायिक समीक्षा: DPC की संरचना और कार्यों की वैधता पर कोर्ट की जाँच।
संबंधित प्रावधान: अनुच्छेद 243G: पंचायतों की शक्तियाँ और योजनाएँ। अनुच्छेद 243W: नगरपालिकाओं की शक्तियाँ। अनुच्छेद 243ZE: महानगर योजना समिति।
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jp Singh
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