Article 243ZC of the Indian Constitution
jp Singh
2025-07-04 15:13:32
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भारतीय संविधान का अनुच्छेद 243ZC
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 243ZC
अनुच्छेद 243ZC भारतीय संविधान के भाग IX-A(नगरपालिकाएँ) में आता है। यह कुछ क्षेत्रों पर भाग IX-A का लागू न होना(Part not to apply to certain areas) से संबंधित है। यह प्रावधान कुछ विशिष्ट क्षेत्रों, जैसे अनुसूचित क्षेत्रों और अन्य विशेष क्षेत्रों, को भाग IX-A के उपबंधों से छूट प्रदान करता है। यह अनुच्छेद 74वें संशोधन(1992) के द्वारा जोड़ा गया, जिसने शहरी स्थानीय निकायों को संवैधानिक दर्जा प्रदान किया।
"(1) इस भाग की कोई बात अनुसूचित क्षेत्रों और जनजातीय क्षेत्रों पर लागू नहीं होगी, जो अनुच्छेद 244 और छठी अनुसूची के उपबंधों के अधीन हैं।
(2) इस भाग की कोई बात उन क्षेत्रों पर लागू नहीं होगी, जो संसद द्वारा बनाई गई किसी विधि द्वारा नगरपालिका क्षेत्रों से बाहर रखे गए हैं।
(3) संसद, विधि द्वारा, इस भाग के उपबंधों को किसी क्षेत्र पर लागू कर सकती है या उनमें अपवाद या संशोधन कर सकती है।"
उद्देश्य: अनुच्छेद 243ZC भाग IX-A(नगरपालिकाओं से संबंधित प्रावधान) को कुछ विशिष्ट क्षेत्रों, जैसे अनुसूचित और जनजातीय क्षेत्रों, पर लागू होने से छूट देता है। यह संसद को कुछ क्षेत्रों को नगरपालिका उपबंधों से बाहर रखने या उनमें संशोधन करने का अधिकार देता है। इसका लक्ष्य विशेष क्षेत्रों की विशिष्ट आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए शहरी स्वशासन को लचीला बनाना और संघीय ढांचे में समन्वय सुनिश्चित करना है।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: संवैधानिक ढांचा: यह प्रावधान 74वें संशोधन(1992) द्वारा जोड़ा गया, जो अनुच्छेद 243M(पंचायतों के लिए कुछ क्षेत्रों पर लागू न होना) से प्रेरित है। यह अनुसूचित और जनजातीय क्षेत्रों की विशेष प्रशासनिक व्यवस्थाओं को संरक्षित करने के लिए बनाया गया। भारतीय संदर्भ: 1992 से पहले, अनुसूचित और जनजातीय क्षेत्रों में शहरी शासन की कोई स्पष्ट व्यवस्था नहीं थी। इस संशोधन ने इन क्षेत्रों के लिए छूट प्रदान की। प्रासंगिकता: यह प्रावधान विशेष क्षेत्रों में सांस्कृतिक और प्रशासनिक विशिष्टता को बनाए रखता है।
अनुच्छेद 243ZC के प्रमुख तत्व
खंड(1): अनुसूचित और जनजातीय क्षेत्र: भाग IX-A के उपबंध अनुसूचित क्षेत्रों और जनजातीय क्षेत्रों(अनुच्छेद 244 और छठी अनुसूची के तहत) पर लागू नहीं होंगे। इन क्षेत्रों में विशेष प्रशासनिक व्यवस्थाएँ(जैसे, स्वायत्त जिला परिषदें) लागू होती हैं। उदाहरण: 2025 में, मेघालय के जनजातीय क्षेत्रों में नगरपालिकाएँ नहीं, बल्कि स्वायत्त परिषदें।
खंड(2): संसद द्वारा छूट: संसद द्वारा बनाई गई विधि से कुछ क्षेत्रों को नगरपालिका क्षेत्रों से बाहर रखा जा सकता है। यह विशेष क्षेत्रों की विशिष्ट आवश्यकताओं के लिए लचीलापन प्रदान करता है। उदाहरण: दिल्ली के कुछ क्षेत्रों को संसद द्वारा नगरपालिका उपबंधों से बाहर रखा गया।
खंड(3): संसद का अधिकार: संसद विधि द्वारा भाग IX-A के उपबंधों को किसी क्षेत्र पर लागू कर सकती है या उनमें अपवाद या संशोधन कर सकती है। उदाहरण: 2025 में, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में संशोधित नगरपालिका नियम लागू।
महत्व: विशेष क्षेत्रों का संरक्षण: अनुसूचित और जनजातीय क्षेत्रों की विशिष्टता। लचीलापन: संसद द्वारा संशोधन का अधिकार। शहरी शासन: विशिष्ट क्षेत्रों में अनुकूलन। संघीय ढांचा: केंद्र और स्थानीय निकायों में समन्वय।
प्रमुख विशेषताएँ: अनुसूचित क्षेत्र: छूट। संसद: संशोधन का अधिकार। जनजातीय क्षेत्र: विशेष व्यवस्था। लचीलापन: शहरी शासन।
ऐतिहासिक उदाहरण: 1993 के बाद: अनुसूचित और जनजातीय क्षेत्रों में नगरपालिकाएँ लागू नहीं। 2000 के दशक: संसद द्वारा कुछ केंद्र शासित प्रदेशों में संशोधित नियम। 2025 स्थिति: डिजिटल युग में विशेष क्षेत्रों में प्रशासन का डिजिटल रिकॉर्ड।
चुनौतियाँ और विवाद: संसद का हस्तक्षेप: स्थानीय स्वायत्तता पर प्रभाव। प्रशासकीय जटिलता: संशोधनों के कारण असमान कार्यान्वयन। न्यायिक समीक्षा: छूट और संशोधनों की वैधता पर कोर्ट की जाँच।
संबंधित प्रावधान: अनुच्छेद 243M: पंचायतों का कुछ क्षेत्रों पर लागू न होना। अनुच्छेद 243ZB: केंद्र शासित प्रदेशों पर लागू होना। अनुच्छेद 244: अनुसूचित और जनजातीय क्षेत्र।
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