Article 243 H of the Indian Constitution
jp Singh
2025-07-04 13:17:41
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भारतीय संविधान का अनुच्छेद 243H
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 243H
अनुच्छेद 243H भारतीय संविधान के भाग IX(पंचायत) में आता है। यह पंचायतों को कर लगाने, शुल्क वसूलने, और निधियों के उपयोग की शक्तियाँ(Powers to impose taxes by, and funds of, the Panchayats) से संबंधित है। यह प्रावधान पंचायतों को वित्तीय स्वायत्तता प्रदान करता है ताकि वे अपने कार्यों को प्रभावी ढंग से निष्पादित कर सकें। यह अनुच्छेद 73वें संशोधन(1992) के द्वारा जोड़ा गया, जिसने पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा प्रदान किया।
"राज्य का विधान-मंडल, विधि द्वारा:
(क) पंचायतों को कर, शुल्क, और फीस लगाने, वसूलने, और उपयोग करने की शक्ति प्रदान कर सकता है;
(ख) पंचायतों को राज्य की संचित निधि से निधियाँ आवंटित कर सकता है;
(ग) पंचायतों के लिए निधियों के गठन और उनके उपयोग के लिए उपबंध कर सकता है;
(घ) पंचायतों के लेखाओं के लेखापरीक्षण के लिए उपबंध कर सकता है।"
उद्देश्य: अनुच्छेद 243H पंचायतों को वित्तीय स्वायत्तता प्रदान करता है, ताकि वे कर, शुल्क, और फीस लगाने, निधियों का उपयोग करने, और अपने लेखाओं का प्रबंधन करने में सक्षम हों। यह पंचायतों को ग्रामीण विकास और स्वशासन के लिए वित्तीय संसाधन उपलब्ध कराता है। इसका लक्ष्य लोकतांत्रिक विकेंद्रीकरण, वित्तीय जवाबदेही, और संघीय ढांचे में स्थानीय निकायों को सशक्त बनाना है।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: संवैधानिक ढांचा: यह प्रावधान 73वें संशोधन(1992) द्वारा जोड़ा गया, जिसने पंचायती राज को संवैधानिक आधार दिया। यह बलवंत राय मेहता समिति(1957) और अशोक मेहता समिति(1978) की सिफारिशों से प्रेरित है, जिन्होंने पंचायतों को वित्तीय स्वायत्तता देने पर जोर दिया। भारतीय संदर्भ: 1992 से पहले, पंचायतों के पास वित्तीय संसाधन सीमित थे और वे मुख्य रूप से सरकारी अनुदानों पर निर्भर थीं। इस संशोधन ने वित्तीय स्वायत्तता को औपचारिक रूप दिया। प्रासंगिकता: यह प्रावधान ग्रामीण भारत में पंचायतों को आत्मनिर्भर और प्रभावी बनाता है।
अनुच्छेद 243H के प्रमुख तत्व
खंड(क): कर और शुल्क की शक्ति: राज्य विधानमंडल पंचायतों को कर, शुल्क, और फीस लगाने, वसूलने, और उपयोग करने की शक्ति दे सकता है। यह पंचायतों को स्थानीय स्तर पर राजस्व उत्पन्न करने में सक्षम बनाता है। उदाहरण: 2025 में, उत्तर प्रदेश की ग्राम पंचायतों ने संपत्ति कर और जल शुल्क लागू किया।
खंड(ख): राज्य की निधियाँ: पंचायतों को राज्य की संचित निधि से निधियाँ आवंटित की जा सकती हैं। यह सरकारी योजनाओं और अनुदानों के माध्यम से होता है। उदाहरण: 2025 में, बिहार में पंचायतों को मनरेगा के लिए निधियाँ आवंटित।
खंड(ग): निधियों का गठन: राज्य विधानमंडल पंचायतों के लिए निधियों(जैसे, पंचायत निधि) के गठन और उपयोग के लिए नियम बना सकता है। यह वित्तीय प्रबंधन में पारदर्शिता सुनिश्चित करता है। उदाहरण: राजस्थान में पंचायत निधि का उपयोग सड़क निर्माण के लिए।
खंड(घ): लेखापरीक्षण: पंचायतों के लेखाओं का लेखापरीक्षण(audit) के लिए उपबंध किए जा सकते हैं। यह वित्तीय जवाबदेही और पारदर्शिता सुनिश्चित करता है। उदाहरण: 2025 में, मध्य प्रदेश में पंचायत लेखाओं का डिजिटल लेखापरीक्षण।
महत्व: वित्तीय स्वायत्तता: पंचायतों को कर और शुल्क के माध्यम से आत्मनिर्भरता। ग्रामीण विकास: निधियों का उपयोग स्थानीय योजनाओं के लिए। जवाबदेही: लेखापरीक्षण के माध्यम से पारदर्शिता। संघीय ढांचा: केंद्र, राज्य, और स्थानीय निकायों में समन्वय।
प्रमुख विशेषताएँ: कर और शुल्क: वित्तीय स्वायत्तता। निधियाँ: सरकारी आवंटन। लेखापरीक्षण: वित्तीय जवाबदेही। राज्य विधानमंडल: नियामक भूमिका।
ऐतिहासिक उदाहरण: 1993 के बाद: पंचायतों को कर लगाने की शक्ति दी गई। 2000 के दशक: मनरेगा और अन्य योजनाओं के लिए निधियाँ आवंटित। 2025 स्थिति: डिजिटल युग में पंचायत निधियों और लेखापरीक्षण का डिजिटल रिकॉर्ड।
चुनौतियाँ और विवाद: सीमित राजस्व: ग्रामीण क्षेत्रों में कर संग्रह की क्षमता कम। निधियों का अपर्याप्त आवंटन: राज्यों द्वारा पंचायतों को पर्याप्त धन नहीं। लेखापरीक्षण में देरी: कुछ क्षेत्रों में लेखापरीक्षण प्रक्रिया धीमी।
संबंधित प्रावधान: अनुच्छेद 243: परिभाषाएँ। अनुच्छेद 243G: पंचायतों की शक्तियाँ। अनुच्छेद 280: वित्त आयोग।
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jp Singh
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