Article 243 G of the Indian Constitution
jp Singh
2025-07-04 13:15:37
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भारतीय संविधान का अनुच्छेद 243G
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 243G
अनुच्छेद 243G भारतीय संविधान के भाग IX(पंचायत) में आता है। यह पंचायतों की शक्तियाँ, प्राधिकार और उत्तरदायित्व(Powers, authority and responsibilities of Panchayats) से संबंधित है। यह प्रावधान पंचायतों को ग्रामीण विकास और स्वशासन के लिए शक्तियाँ और उत्तरदायित्व प्रदान करने की रूपरेखा तैयार करता है। यह अनुच्छेद 73वें संशोधन(1992) के द्वारा जोड़ा गया, जिसने पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा प्रदान किया।
"इस संविधान के उपबंधों और राज्य के विधान-मंडल द्वारा बनाई गई किसी विधि के अधीन, पंचायतों को ऐसी शक्तियाँ और प्राधिकार प्रदान किए जाएँगे, जो उन्हें स्वशासन की संस्थाओं के रूप में कार्य करने में सक्षम बनाएँ, और ऐसी शक्तियों और प्राधिकार में निम्नलिखित के लिए उपबंध शामिल हो सकते हैं:
(क) आर्थिक विकास और सामाजिक न्याय के लिए योजनाएँ तैयार करना और उन्हें कार्यान्वित करना;
(ख) सातवीं अनुसूची की ग्यारहवीं अनुसूची में विनिर्दिष्ट विषयों से संबंधित योजनाओं और कार्यक्रमों का कार्यान्वयन।"
उद्देश्य: अनुच्छेद 243G पंचायतों को स्वशासन की संस्थाओं के रूप में कार्य करने के लिए आवश्यक शक्तियाँ, प्राधिकार, और उत्तरदायित्व प्रदान करता है। यह पंचायतों को आर्थिक विकास और सामाजिक न्याय के लिए योजनाएँ तैयार करने और कार्यान्वित करने का अधिकार देता है। इसका लक्ष्य लोकतांत्रिक विकेंद्रीकरण, ग्रामीण विकास, और संघीय ढांचे में स्थानीय निकायों को सशक्त बनाना है।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: संवैधानिक ढांचा: यह प्रावधान 73वें संशोधन(1992) द्वारा जोड़ा गया, जिसने पंचायती राज को संवैधानिक आधार दिया। यह बलवंत राय मेहता समिति(1957) और अशोक मेहता समिति(1978) की सिफारिशों से प्रेरित है, जिन्होंने पंचायतों को विकास और शासन में महत्वपूर्ण भूमिका दी। भारतीय संदर्भ: 1992 से पहले, पंचायतों की शक्तियाँ सीमित और असमान थीं। इस संशोधन ने उन्हें संवैधानिक शक्तियाँ दीं।
प्रासंगिकता: यह प्रावधान ग्रामीण भारत में स्वशासन और विकास को बढ़ावा देता है।
अनुच्छेद 243G के प्रमुख तत्व
शक्तियाँ और प्राधिकार: पंचायतों को स्वशासन की संस्थाओं के रूप में कार्य करने के लिए शक्तियाँ और प्राधिकार दिए जाएँगे। यह राज्य विधानमंडल की विधि के अनुसार होगा। उदाहरण: 2025 में, उत्तर प्रदेश की पंचायतों ने ग्रामीण सड़क निर्माण के लिए योजनाएँ बनाईं।
आर्थिक विकास और सामाजिक न्याय: पंचायतें आर्थिक विकास और सामाजिक न्याय के लिए योजनाएँ तैयार और कार्यान्वित करेंगी। यह ग्रामीण क्षेत्रों में समावेशी विकास सुनिश्चित करता है। उदाहरण: बिहार में पंचायतों ने स्वच्छ भारत मिशन के तहत स्वच्छता योजनाएँ लागू कीं।
ग्यारहवीं अनुसूची: पंचायतों को सातवीं अनुसूची की ग्यारहवीं अनुसूची में विनिर्दिष्ट विषयों(जैसे, कृषि, ग्रामीण आवास, पेयजल, शिक्षा, स्वास्थ्य) पर योजनाएँ और कार्यक्रम लागू करने की जिम्मेदारी दी जा सकती है। उदाहरण: 2025 में, राजस्थान की पंचायतों ने जल संरक्षण परियोजनाओं को लागू किया।
महत्व: लोकतांत्रिक विकेंद्रीकरण: पंचायतों को शासन में सशक्त बनाना। ग्रामीण विकास: स्थानीय स्तर पर योजनाओं का कार्यान्वयन। सामाजिक न्याय: वंचित समुदायों के लिए योजनाएँ। संघीय ढांचा: केंद्र, राज्य, और स्थानीय निकायों में समन्वय।
प्रमुख विशेषताएँ: शक्तियाँ: स्वशासन के लिए। ग्यारहवीं अनुसूची: विकास के विषय। सामाजिक न्याय: समावेशी विकास। राज्य विधानमंडल: शक्तियों का निर्धारण।
ऐतिहासिक उदाहरण: 1993 के बाद: पंचायतों को विकास योजनाओं की जिम्मेदारी दी गई। 2000 के दशक: मनरेगा और अन्य योजनाओं में पंचायतों की भूमिका। 2025 स्थिति: डिजिटल युग में पंचायत योजनाओं का डिजिटल रिकॉर्ड।
चुनौतियाँ और विवाद: शक्तियों का हस्तांतरण: कई राज्यों में पंचायतों को पूर्ण शक्तियाँ नहीं दी गईं। वित्तीय संसाधन: योजनाओं के लिए अपर्याप्त धन।न्यायिक समीक्षा: पंचायतों की शक्तियों और निर्णयों की वैधता पर कोर्ट की जाँच।
संबंधित प्रावधान: अनुच्छेद 243: परिभाषाएँ। अनुच्छेद 243A: ग्राम सभा की शक्तियाँ। अनुच्छेद 243D: पंचायतों में आरक्षण। ग्यारहवीं अनुसूची: पंचायतों के विषय।
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jp Singh
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