Article 243F of the Indian Constitution
jp Singh
2025-07-04 13:13:45
searchkre.com@gmail.com /
8392828781
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 243F
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 243F
अनुच्छेद 243F भारतीय संविधान के भाग IX(पंचायत) में आता है। यह पंचायतों के सदस्यों और अध्यक्षों की अयोग्यता(Disqualifications for membership) से संबंधित है। यह प्रावधान पंचायतों के सदस्यों और अध्यक्षों की अयोग्यता के आधारों को निर्धारित करता है, ताकि पंचायती राज संस्थाओं में जवाबदेही और निष्पक्षता सुनिश्चित हो। यह अनुच्छेद 73वें संशोधन(1992) के द्वारा जोड़ा गया, जिसने पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा प्रदान किया।
"(1) कोई व्यक्ति पंचायत का सदस्य या उसका अध्यक्ष बनने के लिए अयोग्य होगा, यदि वह किसी ऐसी अयोग्यता से ग्रस्त है, जो इस संविधान के उपबंधों के अधीन या राज्य के विधान-मंडल द्वारा बनाई गई किसी विधि के अधीन लागू हो।
परंतु यह कि कोई व्यक्ति केवल इस आधार पर अयोग्य नहीं होगा कि वह 21 वर्ष से कम आयु का है, यदि वह अन्यथा पंचायत का सदस्य बनने के लिए योग्य है।
(2) यदि कोई प्रश्न उठता है कि क्या कोई पंचायत का सदस्य या अध्यक्ष अयोग्य हो गया है, तो वह प्रश्न उस प्राधिकारी को भेजा जाएगा, जो राज्य के विधान-मंडल द्वारा बनाई गई विधि में निर्दिष्ट हो, और उस प्राधिकारी का निर्णय अंतिम होगा।"
उद्देश्य: अनुच्छेद 243F पंचायतों के सदस्यों और अध्यक्षों की अयोग्यता के आधारों को परिभाषित करता है, जो संविधान और राज्य विधानमंडल की विधियों के अनुसार होंगे। यह सुनिश्चित करता है कि केवल योग्य और उपयुक्त व्यक्ति ही पंचायतों में शासन करें। इसका लक्ष्य पंचायती राज में निष्पक्षता, जवाबदेही, और लोकतांत्रिक शासन को बनाए रखना है।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: संवैधानिक ढांचा: यह प्रावधान 73वें संशोधन(1992) द्वारा जोड़ा गया, जिसने पंचायती राज को संवैधानिक आधार दिया। यह अनुच्छेद 191(राज्य विधानमंडल की अयोग्यता) और अनुच्छेद 102(संसद की अयोग्यता) से प्रेरित है। भारतीय संदर्भ: 1992 से पहले, पंचायतों में अयोग्यता के नियम असमान और अनौपचारिक थे। इस संशोधन ने इसे संवैधानिक और एकरूप बनाया। प्रासंगिकता: यह प्रावधान ग्रामीण शासन में अखंडता और विश्वसनीयता सुनिश्चित करता है।
अनुच्छेद 243F के प्रमुख तत्व
खंड(1): अयोग्यता के आधार: कोई व्यक्ति पंचायत का सदस्य या अध्यक्ष बनने के लिए अयोग्य होगा, यदि वह: संविधान के तहत अयोग्य है(जैसे, अनुच्छेद 102 या 191 के समान आधार, यथा गैर-नागरिकता, मानसिक अस्वस्थता, दिवालियापन, आदि)। राज्य विधानमंडल की विधि के तहत अयोग्य है(जैसे, आपराधिक दोषसिद्धि, भ्रष्टाचार, या अन्य निर्धारित आधार)। आयु सीमा: 21 वर्ष से कम आयु का होना अयोग्यता का आधार नहीं होगा, यदि व्यक्ति अन्यथा योग्य है। उदाहरण: 2025 में, उत्तर प्रदेश में एक व्यक्ति को आपराधिक दोषसिद्धि के कारण पंचायत सदस्यता से अयोग्य ठहराया गया।
खंड(2): अयोग्यता का निर्णय: यदि कोई प्रश्न उठता है कि कोई सदस्य या अध्यक्ष अयोग्य हो गया है, तो यह प्रश्न राज्य विधानमंडल द्वारा निर्धारित प्राधिकारी को भेजा जाएगा। उस प्राधिकारी का निर्णय अंतिम होगा। उदाहरण: 2025 में, राजस्थान में एक पंचायत सदस्य की अयोग्यता का मामला जिला कलेक्टर को भेजा गया।
महत्व: निष्पक्षता: केवल योग्य व्यक्तियों का पंचायतों में चयन। जवाबदेही: अयोग्यता के स्पष्ट आधार और प्रक्रिया। लोकतांत्रिक शासन: पंचायतों में विश्वसनीय नेतृत्व। संघीय ढांचा: केंद्र, राज्य, और स्थानीय निकायों में समन्वय।
प्रमुख विशेषताएँ: अयोग्यता: संवैधानिक और वैधानिक आधार। प्राधिकारी: निर्णय का अधिकार। आयु: 21 वर्ष की छूट। जवाबदेही: शासन में अखंडता।
ऐतिहासिक उदाहरण: 1993 के बाद: राज्यों में अयोग्यता के नियम लागू। 2000 के दशक: पंचायत सदस्यों की अयोग्यता के मामले कोर्ट में। 2025 स्थिति: डिजिटल युग में अयोग्यता मामलों का डिजिटल रिकॉर्ड।
चुनौतियाँ और विवाद: दुरुपयोग की आशंका: राजनीतिक कारणों से अयोग्यता का गलत उपयोग। प्रक्रियात्मक देरी: अयोग्यता मामलों का समय पर निपटारा न होना।न्यायिक समीक्षा: प्राधिकारी के निर्णयों की वैधता पर कोर्ट की जाँच।
संबंधित प्रावधान: अनुच्छेद 243: परिभाषाएँ। अनुच्छेद 243C: पंचायतों की संरचना। अनुच्छेद 243D: पंचायतों में आरक्षण।
Conclusion
Thanks For Read
jp Singh
searchkre.com@gmail.com
8392828781