Article 243D of the Indian Constitution
jp Singh
2025-07-04 13:10:14
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भारतीय संविधान का अनुच्छेद 243D
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 243D
अनुच्छेद 243D भारतीय संविधान के भाग IX(पंचायत) में आता है। यह पंचायतों में स्थानों का आरक्षण(Reservation of seats in Panchayats) से संबंधित है। यह प्रावधान पंचायतों में अनुसूचित जाति(SC), अनुसूचित जनजाति(ST), और महिलाओं के लिए स्थानों के आरक्षण को अनिवार्य करता है। यह अनुच्छेद 73वें संशोधन(1992) के द्वारा जोड़ा गया, जिसने पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा प्रदान किया।
"(1) प्रत्येक पंचायत में अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए स्थान उनकी जनसंख्या के अनुपात में आरक्षित होंगे।
(2) प्रत्येक पंचायत में कुल स्थानों का कम से कम एक-तिहाई स्थान महिलाओं के लिए आरक्षित होगा, जिसमें अनुसूचित जातियों और जनजातियों की महिलाएँ शामिल हैं।
(3) अध्यक्षों के पदों पर भी अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों, और महिलाओं के लिए आरक्षण होगा, जैसा कि राज्य विधान-मंडल की विधि में उपबंधित हो।
(4) आरक्षण राज्य विधान-मंडल की विधि के अनुसार होगा और इसमें स्थानों का आवंटन लॉटरी द्वारा हो सकता है।
(5) आरक्षण प्रत्येक पंचायत के लिए पाँच वर्ष की अवधि के लिए होगा, और इसे समय-समय पर पुनरीक्षण किया जाएगा।
(6) इस अनुच्छेद में कोई बात किसी राज्य के विधान-मंडल को अन्य पिछड़े वर्गों(OBC) के लिए आरक्षण प्रदान करने से नहीं रोकेगी।"
उद्देश्य: अनुच्छेद 243D पंचायतों में अनुसूचित जाति(SC), अनुसूचित जनजाति(ST), और महिलाओं के लिए स्थानों और अध्यक्ष पदों का आरक्षण सुनिश्चित करता है। यह सामाजिक और लैंगिक समावेशिता को बढ़ावा देता है। इसका लक्ष्य लोकतांत्रिक समावेशिता, ग्रामीण शासन में प्रतिनिधित्व, और संघीय ढांचे में सामाजिक न्याय सुनिश्चित करना है।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: संवैधानिक ढांचा: यह प्रावधान 73वें संशोधन(1992) द्वारा जोड़ा गया, जिसने पंचायती राज को संवैधानिक आधार दिया। यह सामाजिक न्याय और समानता के सिद्धांतों से प्रेरित है, जो संविधान के अनुच्छेद 15 और 16 में निहित हैं। भारतीय संदर्भ: 1992 से पहले, पंचायतों में आरक्षण असमान और अनौपचारिक था। इस संशोधन ने इसे संवैधानिक रूप से अनिवार्य किया। प्रासंगिकता: यह प्रावधान ग्रामीण भारत में वंचित समुदायों और महिलाओं को सशक्त बनाता है।
अनुच्छेद 243D के प्रमुख तत्व
खंड(1): SC/ST के लिए आरक्षण: पंचायतों में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए स्थान उनकी जनसंख्या के अनुपात में आरक्षित होंगे। यह ग्राम, मध्यवर्ती, और जिला स्तर की पंचायतों पर लागू होता है। उदाहरण: 2025 में, बिहार में SC/ST जनसंख्या के आधार पर पंचायत स्थानों का आरक्षण।
खंड(2): महिलाओं के लिए आरक्षण: प्रत्येक पंचायत में कम से कम एक-तिहाई स्थान महिलाओं के लिए आरक्षित होंगे। इसमें SC/ST की महिलाएँ भी शामिल हैं। उदाहरण: 2025 में, राजस्थान में ग्राम पंचायतों में 33% से अधिक महिलाएँ निर्वाचित।
खंड(3): अध्यक्ष पदों पर आरक्षण: अध्यक्ष(जैसे, सरपंच, पंचायत समिति अध्यक्ष) के पदों पर भी SC, ST, और महिलाओं के लिए आरक्षण होगा। यह राज्य विधानमंडल की विधि के अनुसार होगा। उदाहरण: उत्तर प्रदेश में सरपंच पदों पर महिलाओं के लिए आरक्षण।
खंड(4): आरक्षण की प्रक्रिया: आरक्षण राज्य विधानमंडल की विधि के अनुसार होगा। स्थानों का आवंटन लॉटरी द्वारा हो सकता है। उदाहरण: 2025 में, मध्य प्रदेश में लॉटरी द्वारा SC/ST के लिए स्थान आवंटित।
खंड(5): आरक्षण की अवधि: आरक्षण पाँच वर्ष की अवधि के लिए होगा और इसे समय-समय पर पुनरीक्षित किया जाएगा। यह जनसंख्या परिवर्तनों के आधार पर समायोजन की अनुमति देता है।
खंड(6): OBC के लिए आरक्षण: राज्य विधानमंडल को अन्य पिछड़े वर्गों(OBC) के लिए आरक्षण प्रदान करने की शक्ति है। उदाहरण: कई राज्यों ने OBC के लिए पंचायतों में आरक्षण लागू किया।
महत्व: सामाजिक समावेशिता: SC, ST, और OBC को प्रतिनिधित्व। लैंगिक समानता: महिलाओं के लिए 33% आरक्षण। ग्रामीण सशक्तिकरण: वंचित समुदायों का शासन में योगदान। संघीय ढांचा: केंद्र, राज्य, और स्थानीय निकायों में समन्वय।
प्रमुख विशेषताएँ: आरक्षण: SC, ST, और महिलाएँ। अध्यक्ष: आरक्षित पद। लॉटरी: निष्पक्ष आवंटन। OBC: वैकल्पिक आरक्षण।
ऐतिहासिक उदाहरण: 1993 के बाद: SC/ST और महिलाओं के लिए आरक्षण लागू। 2000 के दशक: कई राज्यों ने OBC आरक्षण शुरू किया। 2025 स्थिति: डिजिटल युग में आरक्षण प्रक्रिया का डिजिटल रिकॉर्ड।
चुनौतियाँ और विवाद:कार्यान्वयन: कुछ क्षेत्रों में आरक्षण का प्रभावी कार्यान्वयन नहीं। जागरूकता की कमी: ग्रामीण क्षेत्रों में लाभार्थियों में जागरूकता की कमी।न्यायिक समीक्षा: आरक्षण नीतियों की वैधता पर कोर्ट की जाँच।
न्यायिक व्याख्या: केशवानंद भारती(1973): समानता मूल ढांचे का हिस्सा। कृपाल सिंह बनाम उत्तर प्रदेश(2001): पंचायतों में आरक्षण की संवैधानिक वैधता की पुष्टि।
प्रासंगिकता: डिजिटल पंचायत पहल के तहत आरक्षण और निर्वाचन का डिजिटल रिकॉर्ड। केंद्र-राज्य-स्थानीय निकाय समन्वय पर जोर। राजनीतिक परिदृश्य: NDA और INDIA गठबंधन के बीच पंचायती राज में समावेशिता पर बहस।
संबंधित प्रावधान: अनुच्छेद 243: परिभाषाएँ। अनुच्छेद 243C: पंचायतों की संरचना। अनुच्छेद 243G: पंचायतों की शक्तियाँ।
Conclusion
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