Article 243C of the Indian Constitution
jp Singh
2025-07-04 13:08:19
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भारतीय संविधान का अनुच्छेद 243C
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 243C
अनुच्छेद 243C भारतीय संविधान के भाग IX(पंचायत) में आता है। यह पंचायतों की संरचना(Composition of Panchayats) से संबंधित है। यह प्रावधान पंचायतों के गठन, उनके सदस्यों की नियुक्ति, और निर्वाचन प्रक्रिया को नियंत्रित करता है। यह अनुच्छेद 73वें संशोधन(1992) के द्वारा जोड़ा गया, जिसने पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा प्रदान किया।
"(1) इस संविधान के उपबंधों और राज्य के विधान-मंडल द्वारा बनाई गई किसी विधि के अधीन, प्रत्येक स्तर पर पंचायतों की संरचना ऐसी होगी, जैसी उस विधि में उपबंधित हो।
(2) सभी पंचायतों के स्थान प्रत्यक्ष निर्वाचन द्वारा भरे जाएँगे।
(3) प्रत्येक पंचायत के लिए एक अध्यक्ष का निर्वाचन होगा, जैसा कि राज्य विधान-मंडल की विधि में उपबंधित हो।
(4) पंचायतों में अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और महिलाओं के लिए आरक्षण होगा, जैसा कि इस संविधान और राज्य की विधि में निर्दिष्ट हो।
(5) इस अनुच्छेद में कोई बात किसी राज्य के विधान-मंडल को यह उपबंध करने से नहीं रोकेगी कि पंचायतों में कुछ व्यक्तियों को नामित किया जाए, जो विशेष ज्ञान या अनुभव रखते हों।"
उद्देश्य: अनुच्छेद 243C पंचायतों की संरचना को परिभाषित करता है, जिसमें उनके सदस्यों का निर्वाचन, अध्यक्ष की नियुक्ति, और आरक्षण की व्यवस्था शामिल है। यह ग्रामीण क्षेत्रों में लोकतांत्रिक शासन को सुनिश्चित करता है। इसका लक्ष्य पंचायती राज संस्थाओं में समावेशिता, जवाबदेही, और संघीय ढांचे में स्थानीय निकायों का सशक्तिकरण है।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: संवैधानिक ढांचा: यह प्रावधान 73वें संशोधन(1992) द्वारा जोड़ा गया, जिसने पंचायती राज को संवैधानिक आधार दिया। यह बलवंत राय मेहता समिति(1957) की त्रिस्तरीय पंचायत व्यवस्था और समावेशी शासन की सिफारिशों से प्रेरित है। भारतीय संदर्भ: 1992 से पहले, पंचायतों की संरचना अनौपचारिक और असमान थी; इस संशोधन ने इसे औपचारिक और एकरूप बनाया। प्रासंगिकता: यह प्रावधान ग्रामीण भारत में लोकतांत्रिक और समावेशी शासन को बढ़ावा देता है।
अनुच्छेद 243C के प्रमुख तत्व
खंड(1): पंचायतों की संरचना: पंचायतों की संरचना राज्य विधानमंडल की विधि और संविधान के अनुसार होगी। यह ग्राम, मध्यवर्ती, और जिला स्तर की पंचायतों पर लागू होता है। उदाहरण: 2025 में, उत्तर प्रदेश पंचायती राज अधिनियम के तहत ग्राम पंचायतों की संरचना निर्धारित की गई।
खंड(2): प्रत्यक्ष निर्वाचन: पंचायतों के सभी स्थान प्रत्यक्ष निर्वाचन द्वारा भरे जाएँगे। यह लोकतांत्रिक भागीदारी सुनिश्चित करता है। उदाहरण: ग्राम पंचायत के सदस्य गाँव के मतदाताओं द्वारा चुने जाते हैं।
खंड(3): अध्यक्ष का निर्वाचन: प्रत्येक पंचायत के लिए एक अध्यक्ष(जैसे, सरपंच, पंचायत समिति अध्यक्ष) का निर्वाचन होगा। निर्वाचन प्रक्रिया राज्य विधानमंडल की विधि के अनुसार होगी। उदाहरण: 2025 में, राजस्थान में सरपंच का प्रत्यक्ष निर्वाचन हुआ।
खंड(4): आरक्षण: पंचायतों में अनुसूचित जाति(SC), अनुसूचित जनजाति(ST), और महिलाओं के लिए स्थान आरक्षित होंगे। यह समावेशी प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करता है। उदाहरण: 2025 में, पंचायतों में महिलाओं के लिए 33% आरक्षण लागू।
खंड(5): नामित सदस्य: राज्य विधानमंडल विशेष ज्ञान या अनुभव वाले व्यक्तियों को पंचायतों में नामित करने का प्रावधान कर सकता है। उदाहरण: कुछ राज्यों में विशेषज्ञों को जिला पंचायतों में नामित किया गया।
महत्व: लोकतांत्रिक भागीदारी: प्रत्यक्ष निर्वाचन द्वारा ग्रामीण नागरिकों का प्रतिनिधित्व। समावेशिता: SC, ST, और महिलाओं के लिए आरक्षण। ग्रामीण शासन: पंचायतों के माध्यम से स्थानीय विकास। संघीय ढांचा: केंद्र, राज्य, और स्थानीय निकायों में समन्वय।
प्रमुख विशेषताएँ: प्रत्यक्ष निर्वाचन: लोकतांत्रिक आधार। अध्यक्ष: नेतृत्व की भूमिका। आरक्षण: समावेशी प्रतिनिधित्व। नामित सदस्य: विशेषज्ञता का समावेश।
ऐतिहासिक उदाहरण: 1993 के बाद: राज्यों में पंचायतों का गठन और निर्वाचन शुरू। 2000 के दशक: महिलाओं और SC/ST के लिए आरक्षण लागू। 2025 स्थिति: डिजिटल युग में पंचायत निर्वाचन और कार्यवाही का डिजिटल रिकॉर्ड।
चुनौतियाँ और विवाद: निर्वाचन में अनियमितताएँ: कुछ क्षेत्रों में निष्पक्षता की कमी। आरक्षण काकार्यान्वयन: प्रभावी लागू करने में चुनौतियाँ।न्यायिक समीक्षा: पंचायत संरचना और निर्वाचन की वैधता पर कोर्ट की जाँच।
संबंधित प्रावधान: अनुच्छेद 243: परिभाषाएँ। अनुच्छेद 243A: ग्राम सभा की शक्तियाँ। अनुच्छेद 243D: पंचायतों में आरक्षण।
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jp Singh
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