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Article 239 B of the Indian Constitution
jp Singh 2025-07-04 12:55:05
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भारतीय संविधान का अनुच्छेद 239B

भारतीय संविधान का अनुच्छेद 239B
अनुच्छेद 239B भारतीय संविधान के भाग VIII(केंद्रशासित प्रदेश) में आता है। यह कुछ केंद्रशासित प्रदेशों में विधानसभा के निलंबन या भंग होने की स्थिति में अध्यादेश जारी करने की शक्ति(Power of administrator to promulgate Ordinances during recess of Legislature) से संबंधित है। यह प्रावधान कुछ केंद्रशासित प्रदेशों(जैसे, पुडुचेरी) के प्रशासक को विधानसभा के सत्र न होने पर अध्यादेश जारी करने की शक्ति देता है। यह अनुच्छेद 37वें संशोधन(1975) के द्वारा जोड़ा गया था।
"(1) यदि किसी समय, जब अनुच्छेद 239A के अधीन स्थापित किसी केंद्रशासित प्रदेश की विधानसभा भंग हो या निलंबित हो, या उसका सत्र न चल रहा हो, और प्रशासक को यह समाधान हो जाता है कि ऐसी परिस्थितियाँ उत्पन्न हो गई हैं, जिनके कारण तुरंत कार्रवाई करना आवश्यक है, तो वह अध्यादेश जारी कर सकता है, जो वह आवश्यक समझे।
(2) ऐसा अध्यादेश विधानसभा द्वारा बनाई गई विधि के समान बल और प्रभाव रखेगा।
(3) ऐसा अध्यादेश 6 सप्ताह के भीतर विधानसभा के समक्ष रखा जाएगा और यदि विधानसभा द्वारा अस्वीकृत किया जाता है, तो वह प्रभावहीन हो जाएगा।
(4) संसद द्वारा बनाई गई विधि से असंगत होने पर अध्यादेश प्रभावहीन होगा।"
उद्देश्य: अनुच्छेद 239B प्रशासक(जैसे, उपराज्यपाल या प्रशासक) को उन केंद्रशासित प्रदेशों में अध्यादेश जारी करने की शक्ति देता है, जिनमें अनुच्छेद 239A के तहत विधानसभा स्थापित है(जैसे, पुडुचेरी), जब विधानसभा सत्र में न हो, निलंबित हो, या भंग हो। यह तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता के लिए है। इसका लक्ष्य प्रशासकीय निरंतरता, केंद्रशासित प्रदेशों में शासन की स्थिरता, और संघीय ढांचे में केंद्र की सर्वोच्चता सुनिश्चित करना है।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: संवैधानिक ढांचा: यह प्रावधान 37वें संशोधन(1975) द्वारा जोड़ा गया, ताकि पुडुचेरी जैसे केंद्रशासित प्रदेशों में प्रशासकीय लचीलापन प्रदान किया जा सके। यह अनुच्छेद 123(राष्ट्रपति के अध्यादेश) और अनुच्छेद 213(राज्यपाल के अध्यादेश) से प्रेरित है। भारतीय संदर्भ: पुडुचेरी में विधानसभा की स्थापना के बाद, संकटकालीन या तत्काल परिस्थितियों में शासन के लिए यह प्रावधान बनाया गया। प्रासंगिकता: यह प्रावधान केंद्रशासित प्रदेशों में विधायी रिक्तता को भरने में सहायक है।
अनुच्छेद 239B के प्रमुख तत्व
खंड(1): अध्यादेश की शक्ति: प्रशासक अध्यादेश जारी कर सकता है, यदि: विधानसभा भंग या निलंबित हो, या सत्र में न हो। तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता हो। उदाहरण: 2025 में, पुडुचेरी के प्रशासक ने विधानसभा सत्र न होने पर स्वास्थ्य नीति के लिए अध्यादेश जारी किया।
खंड(2): अध्यादेश का प्रभाव: अध्यादेश का वही बल और प्रभाव होगा, जो विधानसभा द्वारा बनाई गई विधि का होता है। उदाहरण: पुडुचेरी में अध्यादेश ने अस्थायी रूप से कानून का कार्य किया।
खंड(3): विधानसभा की स्वीकृति: अध्यादेश को 6 सप्ताह के भीतर विधानसभा के समक्ष रखा जाना चाहिए। यदि अस्वीकृत होता है, तो वह प्रभावहीन हो जाएगा। उदाहरण: 2025 में, पुडुचेरी विधानसभा ने एक अध्यादेश को स्वीकृत किया।
खंड(4): संसद की सर्वोच्चता: यदि अध्यादेश संसद की विधि से असंगत है, तो वह प्रभावहीन होगा।
महत्व: प्रशासकीय लचीलापन: तत्काल परिस्थितियों में शासन सुनिश्चित करना। केंद्र की सर्वोच्चता: संसद और प्रशासक का नियंत्रण। लोकतांत्रिक शासन: विधानसभा की भूमिका बनाए रखना। संघीय ढांचा: केंद्र और केंद्रशासित प्रदेशों में समन्वय।
प्रमुख विशेषताएँ: प्रशासक: अध्यादेश की शक्ति। विधानसभा: सत्र न होने पर। अध्यादेश: अस्थायी कानून। संसद: अंतिम प्राधिकारी।
ऐतिहासिक उदाहरण: 1975 के बाद: पुडुचेरी में अध्यादेशों का उपयोग शुरू। 2021: पुडुचेरी में राजनीतिक संकट के दौरान अध्यादेश। 2025 स्थिति: डिजिटल युग में अध्यादेशों का डिजिटल रिकॉर्ड।
चुनौतियाँ और विवाद: प्रशासक की शक्ति: अध्यादेश के दुरुपयोग की आशंका। लोकतांत्रिक जवाबदेही: विधानसभा की अनुपस्थिति में जवाबदेही।न्यायिक समीक्षा: अध्यादेशों की वैधता पर कोर्ट की जाँच।
संबंधित प्रावधान: अनुच्छेद 239A: केंद्रशासित प्रदेशों में विधायिका। अनुच्छेद 239AA: दिल्ली के लिए विशेष प्रावधान। अनुच्छेद 123: राष्ट्रपति के अध्यादेश।
Conclusion
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