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Article 239 AB of the Indian Constitution
jp Singh 2025-07-04 12:53:21
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भारतीय संविधान का अनुच्छेद 239AB

भारतीय संविधान का अनुच्छेद 239AB
अनुच्छेद 239AB भारतीय संविधान के भाग VIII(केंद्रशासित प्रदेश) में आता है। यह राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में विधानसभा के कार्य न करने पर प्रावधान(Provision in case of failure of constitutional machinery in relation to the National Capital Territory of Delhi) से संबंधित है। यह प्रावधान दिल्ली में संवैधानिक तंत्र के विफल होने की स्थिति में राष्ट्रपति को विशेष शक्तियाँ प्रदान करता है। यह अनुच्छेद 69वें संशोधन(1991) के द्वारा जोड़ा गया था।
"यदि राष्ट्रपति को यह प्रतीत होता है कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में शासन संविधान के उपबंधों के अनुसार नहीं चलाया जा रहा है या नहीं चलाया जा सकता है, तो वह अधिसूचना द्वारा विधानसभा को निलंबित कर सकता है या उसे भंग कर सकता है और वह स्वयं या अपने द्वारा नियुक्त किसी प्राधिकारी के माध्यम से इस अनुच्छेद के उपबंधों को प्रभावी करने के लिए आवश्यक या समीचीन सभी शक्तियों का प्रयोग कर सकता है।"
उद्देश्य: अनुच्छेद 239AB राष्ट्रपति को दिल्ली के राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र(NCT) में संवैधानिक तंत्र की विफलता(constitutional breakdown) की स्थिति में हस्तक्षेप करने की शक्ति देता है। यह राष्ट्रपति को दिल्ली की विधानसभा को निलंबित करने या भंग करने और प्रशासन को अपने हाथ में लेने की अनुमति देता है। इसका लक्ष्य राष्ट्रीय राजधानी में स्थिरता, संवैधानिक शासन, और संघीय ढांचे में केंद्र की सर्वोच्चता सुनिश्चित करना है।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: संवैधानिक ढांचा: यह प्रावधान 69वें संशोधन(1991) द्वारा जोड़ा गया, जब दिल्ली को अनुच्छेद 239AA के तहत विशेष केंद्रशासित प्रदेश का दर्जा दिया गया। यह अनुच्छेद 356(राज्यों में संवैधानिक तंत्र की विफलता) से प्रेरित है, लेकिन दिल्ली की विशेष स्थिति को ध्यान में रखता है। भारतीय संदर्भ: दिल्ली में विधानसभा और मंत्रिपरिषद की स्थापना के बाद, संवैधानिक संकट की स्थिति से निपटने के लिए यह प्रावधान बनाया गया। प्रासंगिकता: यह प्रावधान राष्ट्रीय राजधानी में शासन की स्थिरता और केंद्र की भूमिका को सुनिश्चित करता है।
अनुच्छेद 239AB के प्रमुख तत्व
संवैधानिक तंत्र की विफलता: यदि राष्ट्रपति को लगता है कि दिल्ली में शासन संविधान के अनुसार नहीं चल रहा है, तो वह: विधानसभा को निलंबित या भंग कर सकता है। स्वयं या किसी नियुक्त प्राधिकारी(जैसे, उपराज्यपाल) के माध्यम से प्रशासन संभाल सकता है। उदाहरण: दिल्ली में सरकार और उपराज्यपाल के बीच गंभीर टकराव की स्थिति में यह प्रावधान लागू हो सकता है।
राष्ट्रपति की शक्तियाँ: राष्ट्रपति को सभी आवश्यक शक्तियाँ दी गई हैं, जो इस प्रावधान को लागू करने के लिए समीचीन हों। यह शक्तियाँ केंद्र सरकार को दिल्ली में स्थिरता बहाल करने में सक्षम बनाती हैं। उदाहरण: 2025 तक, इस प्रावधान का उपयोग सीमित रहा, लेकिन यह संभावित संकटों के लिए उपलब्ध है।
महत्व: राष्ट्रीय राजधानी की स्थिरता: दिल्ली में संवैधानिक शासन सुनिश्चित करना। केंद्र की सर्वोच्चता: राष्ट्रपति और उपराज्यपाल के माध्यम से नियंत्रण। लोकतांत्रिक शासन: संकट में अस्थायी हस्तक्षेप। संघीय ढांचा: केंद्र और दिल्ली के बीच समन्वय।
प्रमुख विशेषताएँ: राष्ट्रपति: हस्तक्षेप की शक्ति। विधानसभा: निलंबन या भंग। उपराज्यपाल: प्रशासकीय भूमिका। संवैधानिक संकट: स्थिरता का उपाय।
ऐतिहासिक उदाहरण: 1991 के बाद: दिल्ली में विधानसभा की स्थापना के बाद यह प्रावधान संकटों के लिए उपलब्ध। 2015-2020: दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल के बीच टकराव में इस प्रावधान की चर्चा। 2025 स्थिति: डिजिटल युग में प्रशासकीय निर्णयों का डिजिटल रिकॉर्ड।
चुनौतियाँ और विवाद: केंद्र का हस्तक्षेप: दिल्ली सरकार की स्वायत्तता पर प्रभाव।न्यायिक समीक्षा: राष्ट्रपति के निर्णयों की वैधता पर कोर्ट की जाँच। लोकतांत्रिक संतुलन: निर्वाचित सरकार बनाम केंद्र के नियंत्रण पर विवाद।
संबंधित प्रावधान: अनुच्छेद 239: केंद्रशासित प्रदेशों का प्रशासन। अनुच्छेद 239AA: दिल्ली के लिए विशेष प्रावधान। अनुच्छेद 356: राज्यों में संवैधानिक तंत्र की विफलता।
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