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Article 239 AA of the Indian Constitution
jp Singh 2025-07-04 12:51:29
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भारतीय संविधान का अनुच्छेद 239AA

भारतीय संविधान का अनुच्छेद 239AA
अनुच्छेद 239AA भारतीय संविधान के भाग VIII(केंद्रशासित प्रदेश) में आता है। यह राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के लिए विशेष प्रावधान(Special provisions with respect to Delhi) से संबंधित है। यह प्रावधान दिल्ली को एक केंद्रशासित प्रदेश के रूप में विशेष दर्जा प्रदान करता है, जिसमें एक विधानसभा और मंत्रिपरिषद होती है, लेकिन केंद्र सरकार का नियंत्रण बना रहता है। यह अनुच्छेद 69वें संशोधन(1991) के द्वारा जोड़ा गया था।
संविधान के मूल पाठ(हिंदी) के अनुसार(संक्षेप में, क्योंकि यह लंबा है):
"(1) 1 फरवरी 1992 से, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली को केंद्रशासित प्रदेश के रूप में जाना जाएगा और इसका प्रशासक 'उपराज्यपाल' कहलाएगा।
(2) दिल्ली में एक विधायी सभा होगी, जिसके सदस्य निर्वाचन द्वारा चुने जाएँगे।
(3) विधानसभा को सातवीं अनुसूची की राज्य सूची और समवर्ती सूची के विषयों पर विधि बनाने की शक्ति होगी, सिवाय 'पुलिस', 'सार्वजनिक व्यवस्था', और 'भूमि' के विषयों के।
(4) दिल्ली में एक मंत्रिपरिषद होगी, जिसमें मुख्यमंत्री और अधिकतम सात अन्य मंत्री होंगे, जो विधानसभा के प्रति उत्तरदायी होंगे।
(5) मंत्रिपरिषद उपराज्यपाल को सलाह देगी, लेकिन उपराज्यपाल कुछ मामलों में अपने विवेक से कार्य कर सकता है।
(6) यदि विधानसभा और उपराज्यपाल के बीच मतभेद होता है, तो उपराज्यपाल मामले को राष्ट्रपति को भेजेगा।
(7) संसद, विधि द्वारा, इस अनुच्छेद के उपबंधों को पूरक, संशोधित या संनाद कर सकती है।
(8) दिल्ली के लिए निर्वाचन आयोग द्वारा निर्वाचन कराए जाएँगे।"
उद्देश्य: अनुच्छेद 239AA दिल्ली को एक केंद्रशासित प्रदेश के रूप में विशेष दर्जा देता है, जिसमें एक निर्वाचित विधानसभा और मंत्रिपरिषद होती है, लेकिन यह केंद्र सरकार के नियंत्रण के अधीन रहता है। यह दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा न देकर सीमित स्वायत्तता प्रदान करता है। इसका लक्ष्य लोकतांत्रिक शासन, केंद्र और दिल्ली सरकार के बीच समन्वय, और राष्ट्रीय राजधानी की विशेष स्थिति को बनाए रखना है।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: संवैधानिक ढांचा: यह प्रावधान 69वें संशोधन(1991) द्वारा जोड़ा गया, जब दिल्ली को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र(NCT) के रूप में विशेष दर्जा देने की आवश्यकता महसूस हुई। यह दिल्ली की बढ़ती आबादी और प्रशासकीय जरूरतों को संबोधित करता है।
भारतीय संदर्भ: 1991 से पहले, दिल्ली एक सामान्य केंद्रशासित प्रदेश थी, जिसका प्रशासन उपराज्यपाल द्वारा किया जाता था। अनुच्छेद 239AA ने दिल्ली को विधानसभा और मंत्रिपरिषद प्रदान की, जिससे स्थानीय शासन को बढ़ावा मिला। प्रासंगिकता: यह प्रावधान दिल्ली में लोकतांत्रिक शासन और केंद्र के नियंत्रण के बीच संतुलन बनाता है।
अनुच्छेद 239AA के प्रमुख तत्व
खंड(1): दिल्ली का दर्जा और उपराज्यपाल: राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली को केंद्रशासित प्रदेश के रूप में परिभाषित किया गया। इसका प्रशासक उपराज्यपाल कहलाएगा। उदाहरण: 2025 में, दिल्ली का उपराज्यपाल राष्ट्रपति का प्रतिनिधि है।
खंड(2) और(3): विधानसभा और इसकी शक्तियाँ: दिल्ली में एक निर्वाचित विधानसभा होगी। विधानसभा को राज्य सूची और समवर्ती सूची के विषयों पर विधि बनाने की शक्ति होगी, सिवाय: पुलिस, सार्वजनिक व्यवस्था, और भूमि। उदाहरण: दिल्ली विधानसभा ने 2025 में शिक्षा और स्वास्थ्य पर विधियाँ बनाईं।
खंड(4) और(5): मंत्रिपरिषद और उपराज्यपाल: दिल्ली में एक मंत्रिपरिषद होगी, जिसमें मुख्यमंत्री और अधिकतम 7 मंत्री होंगे। मंत्रिपरिषद उपराज्यपाल को सलाह देगी, लेकिन उपराज्यपाल कुछ मामलों में अपने विवेक से कार्य कर सकता है। उदाहरण: 2025 में, दिल्ली के मुख्यमंत्री और उपराज्यपाल के बीच नीतिगत मामलों पर चर्चा।
खंड(6): मतभेद का समाधान: यदि विधानसभा और उपराज्यपाल के बीच मतभेद होता है, तो मामला राष्ट्रपति को भेजा जाएगा। उदाहरण: 2025 में, कुछ नीतिगत मामलों को राष्ट्रपति के पास भेजा गया।
खंड(7): संसद की शक्ति: संसद विधि द्वारा इस अनुच्छेद के उपबंधों को पूरक, संशोधित, या संनाद कर सकती है।
महत्व: लोकतांत्रिक शासन: दिल्ली में निर्वाचित विधानसभा और मंत्रिपरिषद। केंद्र का नियंत्रण: उपराज्यपाल और संसद की सर्वोच्चता। राष्ट्रीय राजधानी: दिल्ली की विशेष स्थिति का संरक्षण। संघीय ढांचा: केंद्र और दिल्ली के बीच समन्वय।
प्रमुख विशेषताएँ: विधानसभा: निर्वाचित और सीमित शक्तियाँ। मंत्रिपरिषद: सलाहकारी भूमिका। उपराज्यपाल: विवेकपूर्ण शक्ति। राष्ट्रपति: अंतिम प्राधिकारी।
ऐतिहासिक उदाहरण: 1993: दिल्ली में पहली विधानसभा का गठन। 2015-2020: दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल के बीच टकराव। 2025 स्थिति: डिजिटल युग में विधानसभा और प्रशासन का डिजिटल रिकॉर्ड।
चुनौतियाँ और विवाद: स्वायत्तता बनाम नियंत्रण: दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल के बीच शक्ति का टकराव। संसद की शक्ति: केंद्र द्वारा दिल्ली की शक्तियों को सीमित करने के प्रयास।न्यायिक समीक्षा: उपराज्यपाल और दिल्ली सरकार के अधिकारों पर कोर्ट की जाँच।
संबंधित प्रावधान: अनुच्छेद 239: केंद्रशासित प्रदेशों का प्रशासन। अनुच्छेद 239A: कुछ केंद्रशासित प्रदेशों में विधायिका। अनुच्छेद 240: केंद्रशासित प्रदेशों के लिए नियम।
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