Article 236 of the Indian Constitution
jp Singh
2025-07-04 12:43:25
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भारतीय संविधान का अनुच्छेद 236
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 236
अनुच्छेद 236 भारतीय संविधान के भाग VI(राज्य) के अंतर्गत अध्याय VI(अधीनस्थ न्यायालय) में आता है। यह परिभाषाएँ(Definitions) से संबंधित है। यह प्रावधान "जिला न्यायाधीश" और "न्यायिक सेवा" जैसे शब्दों को परिभाषित करता है, जो अधीनस्थ न्यायपालिका के संदर्भ में उपयोग किए जाते हैं।
"इस अध्याय में
(क) 'जिला न्यायाधीश' पद के अंतर्गत न केवल जिला न्यायाधीश, बल्कि अतिरिक्त जिला न्यायाधीश, संयुक्त जिला न्यायाधीश, सहायक जिला न्यायाधीश, मुख्य प्रेसीडेंसी मजिस्ट्रेट, अतिरिक्त मुख्य प्रेसीडेंसी मजिस्ट्रेट, सत्र न्यायाधीश, अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश और सहायक सत्र न्यायाधीश शामिल हैं;
(ख) 'न्यायिक सेवा' से अभिप्रेत है वह सेवा, जिसमें वे व्यक्ति शामिल हैं, जो जिला न्यायाधीशों और उनके अधीन कार्य करने वाले अन्य सिविल न्यायिक पदों पर नियुक्त हैं।"
उद्देश्य: अनुच्छेद 236 अधीनस्थ न्यायपालिका के संदर्भ में उपयोग होने वाले दो प्रमुख शब्दों—"जिला न्यायाधीश" और "न्यायिक सेवा" की परिभाषा प्रदान करता है। यह परिभाषाएँ स्पष्टता और एकरूपता सुनिश्चित करती हैं, ताकि अनुच्छेद 233, 234, और 235 जैसे प्रावधानों को लागू करने में कोई अस्पष्टता न रहे। इसका लक्ष्य न्यायिक प्रशासन में स्पष्टता, न्यायपालिका की स्वतंत्रता, और संघीय ढांचे में अधीनस्थ न्यायालयों की संरचना को मजबूत करना है।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: संवैधानिक ढांचा: यह प्रावधान भारत सरकार अधिनियम, 1935 से प्रेरित है, जो अधीनस्थ न्यायपालिका के पदों को परिभाषित करता था। यह ब्रिटिश औपनिवेशिक प्रणाली में न्यायिक पदों की संरचना को दर्शाता है। भारतीय संदर्भ: संविधान लागू होने पर, यह प्रावधान अधीनस्थ न्यायपालिका के लिए एक स्पष्ट और एकरूप ढांचा प्रदान करने के लिए बनाया गया। प्रासंगिकता: यह प्रावधान अधीनस्थ न्यायपालिका के विभिन्न पदों और उनकी भूमिकाओं को परिभाषित करके प्रशासकीय और न्यायिक प्रक्रियाओं को सरल बनाता है।
अनुच्छेद 236 के प्रमुख तत्व
खंड(क): जिला न्यायाधीश की परिभाषा: "जिला न्यायाधीश" में निम्नलिखित पद शामिल हैं: जिला न्यायाधीश। अतिरिक्त जिला न्यायाधीश। संयुक्त जिला न्यायाधीश। सहायक जिला न्यायाधीश। मुख्य प्रेसीडेंसी मजिस्ट्रेट। अतिरिक्त मुख्य प्रेसीडेंसी मजिस्ट्रेट। सत्र न्यायाधीश। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश। सहायक सत्र न्यायाधीश। यह परिभाषा व्यापक है और विभिन्न न्यायिक पदों को शामिल करती है। उदाहरण: 2025 में, एक अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश को अनुच्छेद 233 के तहत जिला न्यायाधीश के रूप में माना गया।
खंड(ख): न्यायिक सेवा की परिभाषा: "न्यायिक सेवा" से अभिप्रेत है वह सेवा जिसमें: जिला न्यायाधीश और उनके अधीन कार्य करने वाले अन्य सिविल न्यायिक पद शामिल हैं। इसमें सिविल जज, ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट जैसे पद शामिल हैं। उदाहरण: 2025 में, एक सिविल जज को न्यायिक सेवा का हिस्सा माना गया।
महत्व: न्यायिक स्पष्टता: जिला न्यायाधीश और न्यायिक सेवा की परिभाषा से प्रशासकीय स्पष्टता। न्यायपालिका की स्वतंत्रता: पदों की परिभाषा से कार्यकारी हस्तक्षेप कम। लोकतांत्रिक शासन: अधीनस्थ न्यायपालिका में एकरूपता। संघीय ढांचा: राज्यों में प्रभावी न्याय प्रशासन।
प्रमुख विशेषताएँ: जिला न्यायाधीश: व्यापक परिभाषा। न्यायिक सेवा: सिविल न्यायिक पद। न्यायपालिका: स्पष्टता और एकरूपता। संविधान: प्रशासकीय ढांचा।
ऐतिहासिक उदाहरण: 1950 के बाद: अधीनस्थ न्यायपालिका के पदों को परिभाषित किया गया। 1990 के दशक: परिभाषाओं के आधार पर नियुक्ति और नियंत्रण। 2025 स्थिति: डिजिटल युग में न्यायिक सेवा के रिकॉर्ड का डिजिटलीकरण।
चुनौतियाँ और विवाद: परिभाषा की व्याख्या: कुछ पदों को जिला न्यायाधीश के दायरे में शामिल करने पर असहमति।न्यायिक समीक्षा: परिभाषाओं की वैधता पर कोर्ट की जाँच।
संबंधित प्रावधान: अनुच्छेद 233: जिला न्यायाधीशों की नियुक्ति। अनुच्छेद 234: अन्य न्यायाधीशों की नियुक्ति। अनुच्छेद 235: अधीनस्थ न्यायालयों पर नियंत्रण।
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jp Singh
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