Article 229 of the Indian Constitution
jp Singh
2025-07-04 11:58:41
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भारतीय संविधान का अनुच्छेद 229
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 229
अनुच्छेद 229 भारतीय संविधान के भाग VI(राज्य) के अंतर्गत अध्याय V(राज्य में उच्च न्यायालय) में आता है। यह उच्च न्यायालय के अधिकारी और कर्मचारी(Officers and servants and the expenses of High Courts) से संबंधित है। यह प्रावधान उच्च न्यायालय के अधिकारियों और कर्मचारियों की नियुक्ति, सेवा शर्तों, और उच्च न्यायालय के खर्चों को नियंत्रित करता है।
"(1) उच्च न्यायालय के अधिकारियों और कर्मचारियों की नियुक्तियाँ उस उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश या उनके द्वारा प्राधिकृत किसी अन्य न्यायाधीश या अधिकारी द्वारा की जाएँगी:
परंतु यह कि उस राज्य का राज्यपाल इस प्रकार नियुक्त किए गए किसी व्यक्ति की सेवा शर्तों को निर्धारित करने के लिए नियम बना सकता है।
(2) इस संविधान के अधीन उच्च न्यायालय के अधिकारियों और कर्मचारियों की सेवा की शर्तें और उनकी नियुक्ति के लिए नियम, मुख्य न्यायाधीश के परामर्श के बाद और इस संविधान के अधीन संसद द्वारा बनाई गई विधि के अधीन, राज्यपाल द्वारा बनाए जाएँगे।
(3) उच्च न्यायालय के प्रशासकीय व्यय, जिसमें इसके अधिकारियों और कर्मचारियों के वेतन, भत्ते और पेंशन से संबंधित सभी व्यय शामिल हैं, उस राज्य के समेकित निधि पर भारित होंगे, जिसमें वह उच्च न्यायालय कार्य करता है।"
विस्तृत विश्लेषण
उद्देश्य: अनुच्छेद 229 उच्च न्यायालय के अधिकारियों और कर्मचारियों की नियुक्ति, सेवा शर्तों, और उच्च न्यायालय के प्रशासकीय व्यय को नियंत्रित करता है। यह मुख्य न्यायाधीश को नियुक्ति की शक्ति देता है, जबकि राज्यपाल सेवा शर्तों के लिए नियम बना सकता है। इसका लक्ष्य न्यायपालिका की स्वतंत्रता, प्रशासकीय दक्षता, और संघीय ढांचे में उच्च न्यायालयों की स्वायत्तता को सुनिश्चित करना है।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: संवैधानिक ढांचा: यह प्रावधान भारत सरकार अधिनियम, 1935 से प्रेरित है, जो उच्च न्यायालयों के प्रशासकीय ढांचे को नियंत्रित करता था। यह ब्रिटिश औपनिवेशिक प्रणाली में न्यायिक प्रशासन की परंपरा को दर्शाता है। भारतीय संदर्भ: संविधान लागू होने पर, यह प्रावधान उच्च न्यायालयों की प्रशासकीय स्वायत्तता और स्वतंत्रता को सुनिश्चित करने के लिए बनाया गया। प्रासंगिकता: यह प्रावधान उच्च न्यायालयों को उनके प्रशासकीय कार्यों में स्वायत्तता और कार्यकारी हस्तक्षेप से सुरक्षा प्रदान करता है।
अनुच्छेद 229 के प्रमुख तत्व
खंड(1): नियुक्तियाँ: मुख्य न्यायाधीश या उनके द्वारा प्राधिकृत न्यायाधीश/अधिकारी उच्च न्यायालय के अधिकारियों और कर्मचारियों की नियुक्ति करेंगे। राज्यपाल इन व्यक्तियों की सेवा शर्तों के लिए नियम बना सकता है। उदाहरण: 2025 में, दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश ने रजिस्ट्रार की नियुक्ति की।
खंड(2): सेवा शर्तें और नियम: अधिकारियों और कर्मचारियों की सेवा शर्तें और नियुक्ति नियम मुख्य न्यायाधीश के परामर्श के बाद राज्यपाल द्वारा बनाए जाएँगे। ये नियम संविधान और संसद द्वारा बनाई गई विधि के अधीन होंगे। उदाहरण: 2025 में, राज्यपाल ने मुख्य न्यायाधीश के परामर्श से कर्मचारियों के लिए नियम बनाए।
खंड(3): प्रशासकीय व्यय: उच्च न्यायालय के प्रशासकीय व्यय(वेतन, भत्ते, पेंशन सहित) उस राज्य की समेकित निधि पर भारित होंगे। उदाहरण: 2025 में, उच्च न्यायालय के खर्चे राज्य के बजट से वहन किए गए।
महत्व: न्यायिक स्वायत्तता: मुख्य न्यायाधीश द्वारा नियुक्ति और परामर्श से स्वतंत्रता। प्रशासकीय दक्षता: कर्मचारियों और अधिकारियों का प्रभावी प्रबंधन। लोकतांत्रिक शासन: न्यायिक प्रशासन की जवाबदेही। संघीय ढांचा: राज्यों में स्वायत्त न्यायपालिका।
प्रमुख विशेषताएँ: नियुक्ति: मुख्य न्यायाधीश द्वारा। सेवा शर्तें: राज्यपाल द्वारा परामर्श के साथ। व्यय: राज्य की समेकित निधि। न्यायपालिका: स्वायत्तता और दक्षता।
ऐतिहासिक उदाहरण: 1950 के बाद: उच्च न्यायालयों ने अपने कर्मचारियों की नियुक्ति की। 1990 के दशक: सेवा शर्तों के नियमों पर विवाद। 2025 स्थिति: डिजिटल युग में नियुक्तियों और व्यय का डिजिटल रिकॉर्ड।
चुनौतियाँ और विवाद: कार्यकारी हस्तक्षेप: राज्यपाल के नियम-निर्माण पर सवाल। वित्तीय बाधाएँ: समेकित निधि से व्यय की सीमाएँ।न्यायिक समीक्षा: नियुक्ति और नियमों की वैधता पर जाँच।
संबंधित प्रावधान: अनुच्छेद 146: सर्वोच्च न्यायालय के अधिकारी और कर्मचारी। अनुच्छेद 217: उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति। अनुच्छेद 221: वेतन और भत्ते।
Conclusion
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jp Singh
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