Article 209of the Indian Constitution
jp Singh
2025-07-04 11:09:14
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भारतीय संविधान का अनुच्छेद 209
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 209
अनुच्छेद 209 भारतीय संविधान के भाग VI(राज्य) के अंतर्गत अध्याय III(राज्य का विधानमंडल) में आता है। यह वित्तीय कार्यवाही और अन्य कार्यवाही को विनियमित करने वाला विशेष उपबंध(Regulation by law of procedure in the Legislature in relation to financial business) से संबंधित है। यह प्रावधान राज्य विधानमंडल में वित्तीय कार्यवाही और अन्य संबंधित मामलों को विनियमित करने के लिए कानून बनाने का अधिकार देता है।
"किसी राज्य का विधानमंडल विधि द्वारा अपने वित्तीय कार्यवाही को और ऐसी कार्यवाही से संबंधित अन्य मामलों को विनियमित कर सकता है और ऐसी कोई विधि इस संविधान के उपबंधों के अधीन होगी।"
उद्देश्य: अनुच्छेद 209 राज्य विधानमंडल को वित्तीय कार्यवाही और उससे संबंधित अन्य मामलों को नियंत्रित करने के लिए कानून बनाने का अधिकार देता है। यह सुनिश्चित करता है कि वित्तीय प्रक्रियाएँ सुव्यवस्थित और संवैधानिक ढांचे के अनुरूप हों। इसका लक्ष्य लोकतांत्रिक शासन, संवैधानिक जवाबदेही, और संघीय ढांचे में वित्तीय कार्यवाही की पारदर्शिता और कार्यकुशलता को बनाए रखना है।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: संवैधानिक ढांचा: यह प्रावधान भारत सरकार अधिनियम, 1935 से प्रेरित है, जो प्रांतीय विधानमंडलों को वित्तीय कार्यवाही के लिए नियम बनाने की अनुमति देता था। यह ब्रिटिश संसदीय प्रणाली में वित्तीय प्रक्रिया को विनियमित करने की परंपरा को दर्शाता है।
भारतीय संदर्भ: संविधान लागू होने पर, राज्यों में वित्तीय कार्यवाही को व्यवस्थित करने के लिए यह प्रावधान बनाया गया, जो केंद्र में अनुच्छेद 119(संसद के लिए) के समानांतर है। प्रासंगिकता: यह प्रावधान विधानमंडल को वित्तीय मामलों में अनुशासन और स्पष्टता लाने की शक्ति देता है।
अनुच्छेद 209 के प्रमुख तत्व
वित्तीय कार्यवाही के लिए विधि: राज्य विधानमंडल को वित्तीय कार्यवाही(जैसे, बजट, अनुदान, विनियोग) और उससे संबंधित अन्य मामलों को विनियमित करने के लिए कानून बनाने का अधिकार है। ये कानून संविधान के उपबंधों के अधीन होंगे। उदाहरण: 2025 में, एक राज्य ने बजट प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करने के लिए नियम बनाए।
संवैधानिक अधीनता: बनाए गए कानून संविधान के अन्य प्रावधानों(जैसे, अनुच्छेद 202, 203, 204) के अनुरूप होने चाहिए। उदाहरण: वित्तीय कार्यवाही का कानून अनुच्छेद 203 के अनुदान नियमों का उल्लंघन नहीं कर सकता।
महत्व: वित्तीय अनुशासन: वित्तीय कार्यवाही में व्यवस्था और स्पष्टता। लोकतांत्रिक जवाबदेही: विधानमंडल की स्वायत्तता। संघीय ढांचा: राज्यों की वित्तीय स्वायत्तता। पारदर्शिता: वित्तीय प्रक्रिया में नियम-आधारित दृष्टिकोण।
प्रमुख विशेषताएँ: कानून निर्माण: वित्तीय कार्यवाही के लिए। संविधान: अधीनता अनिवार्य। विधानमंडल: स्वायत्त शक्ति। वित्तीय प्रक्रिया: सुव्यवस्थित।
ऐतिहासिक उदाहरण: 1950 के बाद: राज्यों ने वित्तीय कार्यवाही के लिए नियम बनाए। 1990 के दशक: वित्तीय नियमों पर संशोधन विवाद। 2025 स्थिति: डिजिटल युग में वित्तीय नियमों का डिजिटल प्रकाशन।
चुनौतियाँ और विवाद: संवैधानिक अनुपालन: नियमों का संविधान के साथ टकराव। राजनीतिक प्रभाव: नियम निर्माण में पक्षपात के आरोप।न्यायिक समीक्षा: नियमों की वैधता पर कोर्ट की जाँच।
संबंधित प्रावधान: अनुच्छेद 202: वार्षिक वित्तीय विवरण। अनुच्छेद 203: अनुदान की माँगें। अनुच्छेद 204: विनियोग विधेयक। अनुच्छेद 119: संसद के लिए वित्तीय नियम।
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jp Singh
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