Article 205 of the Indian Constitution
jp Singh
2025-07-04 11:02:00
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भारतीय संविधान का अनुच्छेद 205
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 205
अनुच्छेद 205 भारतीय संविधान के भाग VI(राज्य) के अंतर्गत अध्याय IV(राज्य की कार्यपालिका) में आता है। यह पूरक, अतिरिक्त या अधिक व्यय के लिए अनुदान(Supplementary, additional or excess grants) से संबंधित है। यह प्रावधान उन परिस्थितियों को नियंत्रित करता है, जिनमें वित्तीय वर्ष के दौरान अनुमानित व्यय से अधिक या अतिरिक्त धन की आवश्यकता होती है।
(पुनः उल्लेख) "(1) यदि किसी वित्तीय वर्ष के लिए अनुच्छेद 202 में निर्दिष्ट अनुमान अपर्याप्त पाए जाते हैं, या उस वर्ष के दौरान नई सेवा के लिए व्यय की आवश्यकता उत्पन्न होती है, जिसका अनुच्छेद 202 के अधीन अनुमान में समावेश नहीं किया गया था, तो राज्यपाल यह सुनिश्चित करेगा कि उस राज्य की संचित निधि से होने वाले पूरक, अतिरिक्त या अधिक व्यय का एक विवरण उस राज्य की विधानसभा के समक्ष रखा जाए।
(2) अनुच्छेद 202 और अनुच्छेद 203 के उपबंध, यथास्थिति, इस अनुच्छेद के अधीन रखे गए विवरण पर लागू होंगे, जैसे कि वे अनुच्छेद 202 के अधीन रखे गए वार्षिक वित्तीय विवरण के उपबंध थे।
(3) इस अनुच्छेद के अधीन प्रस्तुत अनुदान की माँगों पर विधानसभा को विचार करने और उन्हें स्वीकार करने, अस्वीकार करने या संशोधन करने की शक्ति होगी।"
विस्तृत विश्लेषण(जारी)
अनुच्छेद 205 के प्रमुख तत्व(जारी)
खंड(1): पूरक, अतिरिक्त या अधिक व्यय का विवरण: यदि वार्षिक वित्तीय विवरण(अनुच्छेद 202) में अनुमानित व्यय अपर्याप्त हों या नई सेवा के लिए अतिरिक्त धन की आवश्यकता हो, तो राज्यपाल यह सुनिश्चित करेगा कि पूरक, अतिरिक्त, या अधिक व्यय का विवरण विधानसभा के समक्ष प्रस्तुत किया जाए। उदाहरण: 2025 में, किसी राज्य ने आपदा राहत के लिए अतिरिक्त धन की माँग प्रस्तुत की।
खंड(2): अनुच्छेद 202 और 203 का अनुपालन: पूरक, अतिरिक्त, या अधिक व्यय के विवरण पर अनुच्छेद 202(वार्षिक वित्तीय विवरण) और अनुच्छेद 203(अनुदान की माँगें) के उपबंध लागू होंगे। इसका अर्थ है कि इन व्ययों की प्रक्रिया वार्षिक बजट की तरह ही होगी। उदाहरण: पूरक अनुदान की माँगें विधानसभा में मतदान के लिए प्रस्तुत।
खंड(3): विधानसभा की शक्ति: विधानसभा को पूरक, अतिरिक्त, या अधिक व्यय के लिए अनुदान की माँगों को स्वीकार, अस्वीकार, या संशोधन करने की शक्ति होगी। उदाहरण: 2025 में, विधानसभा ने अतिरिक्त स्वास्थ्य व्यय को कम कर स्वीकार किया।
महत्व: वित्तीय लचीलापन: अप्रत्याशित या अतिरिक्त व्यय को संबोधित करने की प्रक्रिया। लोकतांत्रिक जवाबदेही: विधानसभा की अनुदान पर नियंत्रण। संघीय ढांचा: राज्यों की वित्तीय स्वायत्तता। पारदर्शिता: अतिरिक्त व्यय की प्रक्रिया में स्पष्टता।
प्रमुख विशेषताएँ: पूरक अनुदान: अप्रत्याशित व्यय। विधानसभा: पूर्ण विवेक। प्रक्रिया: वार्षिक बजट के समान। राज्यपाल: प्रस्तुति का दायित्व।
ऐतिहासिक उदाहरण: 1950 के बाद: राज्यों ने आपदा राहत, बुनियादी ढांचा आदि के लिए पूरक अनुदान माँगे। 2010 के दशक: पूरक अनुदान पर राजनीतिक विवाद। 2025 स्थिति: डिजिटल युग में पूरक अनुदान प्रक्रिया का डिजिटल रिकॉर्ड।
चुनौतियाँ और विवाद: अनुदान की स्वीकृति: राजनीतिक दलों के बीच असहमति। पारदर्शिता: अतिरिक्त व्यय के उपयोग पर सवाल।न्यायिक समीक्षा:
संबंधित प्रावधान: अनुच्छेद 202: वार्षिक वित्तीय विवरण। अनुच्छेद 203: अनुदान की माँगें। अनुच्छेद 204: विनियोग विधेयक। अनुच्छेद 115: संसद के लिए पूरक अनुदान।
Conclusion
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jp Singh
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