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Article 202 of the Indian Constitution
jp Singh 2025-07-04 10:54:46
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भारतीय संविधान का अनुच्छेद 202

भारतीय संविधान का अनुच्छेद 202
अनुच्छेद 202 भारतीय संविधान के भाग VI(राज्य) के अंतर्गत अध्याय IV(राज्य की कार्यपालिका) में आता है। यह राज्य का वार्षिक वित्तीय विवरण(Annual financial statement) से संबंधित है। यह प्रावधान राज्य विधानमंडल के समक्ष प्रत्येक वित्तीय वर्ष के लिए बजट प्रस्तुत करने की प्रक्रिया को परिभाषित करता है।
"(1) प्रत्येक वित्तीय वर्ष के लिए राज्यपाल यह सुनिश्चित करेगा कि उस राज्य की संचित निधि से होने वाले अनुमानित व्यय का एक विवरण(जो इस संविधान में इसके बाद 'वार्षिक वित्तीय विवरण' कहा गया है) उस राज्य के विधानमंडल की विधानसभा के समक्ष रखा जाए।
(2) वार्षिक वित्तीय विवरण में
(क) उन सभी व्ययों का अनुमान होगा, जो उस राज्य की संचित निधि पर भारित होंगे;
(ख) उन सभी अन्य व्ययों का अनुमान होगा, जो उस निधि से वहन किए जाने के लिए प्रस्तावित हैं;
और यह व्यय की विभिन्न मदों को उनके स्वरूप के अनुसार पृथक-पृथक दर्शाएगा।
(3) निम्नलिखित व्यय उस राज्य की संचित निधि पर भारित होंगे:
(क) राज्यपाल का पारिश्रमिक और भत्ते और उनकी अन्य सेवा शर्तें;
(ख) विधानमंडल के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, सभापति और उपसभापति के वेतन और भत्ते;
(ग) उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के वेतन, भत्ते और पेंशन;
(घ) ऋणों पर ब्याज, संनादन निधि और अन्य व्यय, जो इस संविधान या किसी विधानमंडल द्वारा बनाए गए किसी कानून के अधीन हैं;
(ङ) कोई अन्य व्यय, जो इस संविधान या उस राज्य के विधानमंडल द्वारा बनाए गए किसी कानून के अधीन संचित निधि पर भारित है।
(4) वार्षिक वित्तीय विवरण में जिन व्ययों को संचित निधि पर भारित के रूप में दर्शाया गया है, वे मतदान के अधीन नहीं होंगे।
(5) खंड(2) के खंड(ख) में निर्दिष्ट व्यय विधानसभा के मतदान के अधीन होंगे, और इस संविधान के अधीन इस प्रकार के प्रत्येक व्यय के लिए अनुदान की मांगें प्रस्तुत की जाएंगी।
(6) इस अनुच्छेद के अधीन प्रस्तुत अनुदान की मांगों पर विधानसभा को विचार करने और उन्हें स्वीकार करने, अस्वीकार करने या संशोधन करने की शक्ति होगी।"
उद्देश्य: अनुच्छेद 202 राज्यपाल को प्रत्येक वित्तीय वर्ष के लिए वार्षिक वित्तीय विवरण(बजट) विधानसभा के समक्ष प्रस्तुत करने का दायित्व देता है। यह वित्तीय प्रक्रिया में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करता है। इसका लक्ष्य लोकतांत्रिक शासन, संवैधानिक जवाबदेही, और संघीय ढांचे में राज्यों की वित्तीय स्वायत्तता को बनाए रखना है।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: संवैधानिक ढांचा: यह प्रावधान भारत सरकार अधिनियम, 1935 से प्रेरित है, जो प्रांतीय सरकारों के लिए बजट प्रक्रिया को नियंत्रित करता था। यह ब्रिटिश संसदीय प्रणाली में वार्षिक बजट प्रस्तुति की परंपरा को दर्शाता है। भारतीय संदर्भ: संविधान लागू होने पर, राज्यों के वित्तीय प्रबंधन को व्यवस्थित करने के लिए यह प्रावधान बनाया गया, जो केंद्र में अनुच्छेद 112(संसद के लिए) के समानांतर है। प्रासंगिकता: यह प्रावधान वित्तीय नियोजन और संसाधन आवंटन में विधानसभा की भूमिका को रेखांकित करता है।
अनुच्छेद 202 के प्रमुख तत्व
खंड(1): वार्षिक वित्तीय विवरण: राज्यपाल यह सुनिश्चित करेगा कि प्रत्येक वित्तीय वर्ष के लिए संचित निधि से होने वाले अनुमानित व्यय का विवरण(बजट) विधानसभा के समक्ष रखा जाए। उदाहरण: 2025 में, उत्तर प्रदेश का वार्षिक बजट विधानसभा में प्रस्तुत किया गया।
खंड(2): विवरण की संरचना: वार्षिक वित्तीय विवरण में शामिल होगा: (क) संचित निधि पर भारित व्यय(जैसे, राज्यपाल का वेतन, ऋण ब्याज)। (ख) अन्य व्यय, जो मतदान के अधीन हों। व्यय को उनकी प्रकृति के अनुसार पृथक-पृथक दर्शाया जाएगा। उदाहरण: बजट में शिक्षा और स्वास्थ्य के लिए अलग-अलग मदें।
खंड(3): संचित निधि पर भारित व्यय: निम्नलिखित व्यय संचित निधि पर भारित होंगे और मतदान के अधीन नहीं होंगे: (क) राज्यपाल का पारिश्रमिक और भत्ते। (ख) विधानमंडल के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, सभापति, उपसभापति के वेतन और भत्ते। (ग) उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के वेतन, भत्ते, और पेंशन। (घ) ऋणों पर ब्याज और संनादन निधि। (ङ) अन्य संवैधानिक व्यय। उदाहरण: उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की पेंशन संचित निधि से वहन।
खंड(4): गैर-मतदेय व्यय: संचित निधि पर भारित व्यय मतदान के अधीन नहीं होंगे। उदाहरण: राज्यपाल के वेतन पर विधानसभा मतदान नहीं कर सकती।
खंड(5): मतदेय व्यय: अन्य व्यय(खंड 2(ख)) मतदान के अधीन होंगे। इनके लिए अनुदान की मांगें प्रस्तुत की जाएंगी। उदाहरण: शिक्षा के लिए अनुदान की मांग पर मतदान।
खंड(6): विधानसभा की शक्ति: विधानसभा को अनुदान की मांगों को स्वीकार, अस्वीकार, या संशोधन करने की शक्ति होगी। उदाहरण: 2025 में, विधानसभा ने स्वास्थ्य अनुदान में संशोधन किया।
महत्व: वित्तीय जवाबदेही: बजट में पारदर्शिता। लोकतांत्रिक शासन: विधानसभा की वित्तीय नियंत्रण शक्ति। संघीय ढांचा: राज्यों की वित्तीय स्वायत्तता। संवैधानिक संतुलन: मतदेय और गैर-मतदेय व्यय का विभाजन।
प्रमुख विशेषताएँ: राज्यपाल: बजट प्रस्तुति का दायित्व। संचित निधि: गैर-मतदेय व्यय। अनुदान: मतदेय व्यय। विधानसभा: अनुदान पर नियंत्रण।
ऐतिहासिक उदाहरण: 1950 के बाद: राज्यों ने वार्षिक बजट प्रस्तुत किए। 1990 के दशक: अनुदान मांगों पर विवाद। 2025 स्थिति: डिजिटल युग में बजट प्रक्रिया का डिजिटल रिकॉर्ड।
चुनौतियाँ और विवाद: अनुदान मांगों पर असहमति: विधानसभा में राजनीतिक टकराव। पारदर्शिता: व्यय के आवंटन पर सवाल।न्यायिक समीक्षा: बजट प्रक्रिया की वैधता पर कोर्ट की जाँच।
संबंधित प्रावधान: अनुच्छेद 203: अनुदान की मांगें। अनुच्छेद 204: विनियोग विधेयक। अनुच्छेद 112: संसद के लिए बजट।
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