Article 201 of the Indian Constitution
jp Singh
2025-07-04 10:48:36
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भारतीय संविधान का अनुच्छेद 201
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 201
अनुच्छेद 201 भारतीय संविधान के भाग VI(राज्य) के अंतर्गत अध्याय III(राज्य का विधानमंडल) में आता है। यह राष्ट्रपति द्वारा विचार के लिए आरक्षित विधेयकों(Bills reserved for consideration) से संबंधित है। यह प्रावधान उन विधेयकों के लिए प्रक्रिया को परिभाषित करता है, जो राज्य विधानमंडल द्वारा पारित होने के बाद राज्यपाल द्वारा राष्ट्रपति के विचार के लिए आरक्षित किए जाते हैं।
"जब कोई विधेयक, जो किसी राज्य के विधानमंडल द्वारा पारित किया गया हो और अनुच्छेद 200 के अधीन राष्ट्रपति के विचार के लिए आरक्षित किया गया हो, राष्ट्रपति के समक्ष प्रस्तुत किया जाता है, तब वह
(क) उस विधेयक को अपनी सहमति दे देगा; या
(ख) अपनी सहमति रोक सकता है;
परंतु यह कि यदि वह अपनी सहमति रोकता है, तो वह विधेयक को संशोधनों सहित या बिना संशोधनों के उस विधानमंडल को, जिसके द्वारा वह पारित किया गया था, वापस कर सकता है, और जब वह विधेयक उस विधानमंडल द्वारा फिर से पारित कर दिया जाता है, संशोधनों सहित या बिना संशोधनों के, और राज्यपाल के समक्ष प्रस्तुत किया जाता है, तो वह उस विधेयक पर अपनी सहमति नहीं रोकेगा।"
उद्देश्य: अनुच्छेद 201 उन विधेयकों के लिए प्रक्रिया को परिभाषित करता है, जो राज्यपाल द्वारा राष्ट्रपति के विचार के लिए आरक्षित किए जाते हैं। यह राष्ट्रपति को विधेयक पर सहमति देने, सहमति रोकने, या उसे संशोधनों के साथ वापस करने का अधिकार देता है। इसका लक्ष्य लोकतांत्रिक शासन, संवैधानिक जवाबदेही, और संघीय ढांचे में केंद्र और राज्यों के बीच समन्वय को सुनिश्चित करना है।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: संवैधानिक ढांचा: यह प्रावधान भारत सरकार अधिनियम, 1935 से प्रेरित है, जो गवर्नर-जनरल को प्रांतीय विधेयकों पर विचार का अधिकार देता था। यह ब्रिटिश संसदीय प्रणाली में राजा की सहमति की परंपरा को दर्शाता है। भारतीय संदर्भ: संविधान लागू होने पर, केंद्र और राज्यों के बीच संवैधानिक संतुलन सुनिश्चित करने के लिए यह प्रावधान बनाया गया, जो केंद्र में अनुच्छेद 111(संसद के लिए) के समानांतर है। प्रासंगिकता: यह प्रावधान केंद्र को उन विधेयकों की जाँच करने का अधिकार देता है, जो राष्ट्रीय हितों या संवैधानिक प्रावधानों को प्रभावित कर सकते हैं।
अनुच्छेद 201 के प्रमुख तत्व
राष्ट्रपति के विकल्प: जब कोई विधेयक राष्ट्रपति के विचार के लिए आरक्षित किया जाता है, तो वह
(क) विधेयक को सहमति दे सकता है।
(ख) अपनी सहमति रोक सकता है। यदि सहमति रोकी जाती है, तो वह विधेयक को संशोधनों सहित या बिना संशोधनों के विधानमंडल को वापस कर सकता है। उदाहरण: 2025 में, एक राज्य के विधेयक को राष्ट्रपति ने संशोधनों के साथ वापस किया।
पुनः पारित करने की प्रक्रिया: यदि विधानमंडल विधेयक को दोबारा पारित करता है(संशोधनों सहित या बिना संशोधनों के), और इसे राज्यपाल के समक्ष प्रस्तुत किया जाता है, तो राज्यपाल सहमति नहीं रोक सकता। उदाहरण: विधानमंडल ने संशोधित विधेयक दोबारा पारित किया, और राज्यपाल ने सहमति दी।
महत्व: संघीय ढांचा: केंद्र और राज्यों के बीच संतुलन। लोकतांत्रिक जवाबदेही: विधानमंडल की इच्छा की प्राथमिकता। संवैधानिक संरक्षण: राष्ट्रपति द्वारा राष्ट्रीय हितों की जाँच। पारदर्शिता: विधेयक प्रक्रिया में स्पष्टता।
प्रमुख विशेषताएँ: राष्ट्रपति: सहमति या रोक। संशोधन: वापसी का विकल्प। पुनः पारित: राज्यपाल की अनिवार्य सहमति। संघीय समन्वय:केंद्र-राज्य संतुलन।
ऐतिहासिक उदाहरण: 1950 के बाद: कई विधेयक राष्ट्रपति को आरक्षित किए गए। 2010 के दशक: विधेयकों की वापसी और संशोधन पर विवाद। 2025 स्थिति: डिजिटल युग में विधेयक आरक्षण और सहमति प्रक्रिया का डिजिटल रिकॉर्ड।
चुनौतियाँ और विवाद: राष्ट्रपति का विवेक: सहमति रोकने पर केंद्र के हस्तक्षेप के आरोप। राज्यपाल की भूमिका: विधेयक आरक्षित करने पर पक्षपात के आरोप।न्यायिक समीक्षा: राष्ट्रपति के निर्णय की वैधता पर कोर्ट की जाँच।
संबंधित प्रावधान: अनुच्छेद 200: राज्यपाल की सहमति। अनुच्छेद 198: धन विधेयकों की प्रक्रिया। अनुच्छेद 111: संसद के लिए सहमति।
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jp Singh
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