Recent Blogs

Article 199 of the Indian Constitution
jp Singh 2025-07-04 10:43:03
searchkre.com@gmail.com / 8392828781

भारतीय संविधान का अनुच्छेद 199

भारतीय संविधान का अनुच्छेद 199
अनुच्छेद 199 भारतीय संविधान के भाग VI(राज्य) के अंतर्गत अध्याय III(राज्य का विधानमंडल) में आता है। यह धन विधेयक की परिभाषा(Definition of “Money Bills”) से संबंधित है। यह प्रावधान स्पष्ट रूप से परिभाषित करता है कि राज्य विधानमंडल में कौन सा विधेयक धन विधेयक(Money Bill) माना जाएगा और इसे कैसे पहचाना जाएगा।
"(1) इस संविधान के प्रयोजनों के लिए, कोई विधेयक धन विधेयक समझा जाएगा यदि उसमें केवल निम्नलिखित सभी या किन्हीं विषयों के लिए उपबंध हैं, अर्थात्:
(क) कराधान, उधार लेना, प्रत्याभूति देना या किसी वित्तीय दायित्व का वहन करना, या किसी राज्य की संचित निधि से धन का निकाला जाना;
(ख) किसी राज्य की संचित निधि में धन का संदाय, उससे धन का निकाला जाना, या उसकी अभिरक्षा;
(ग) किसी राज्य की संचित निधि पर कोई व्यय भारित करना;
(घ) किसी राज्य की संचित निधि से धन का विनियोग;
(ङ) किसी राज्य की संचित निधि में प्राप्तियों का लेखा या उन प्राप्तियों की अभिरक्षा, या उन पर ब्याज की गणना;
(च) उपरोक्त में से किसी के लिए पूरक, अतिरिक्त या अधिक व्यय के लिए उपबंध;
(छ) उपरोक्त में से किसी के लिए उपबंधों से संबंधित कोई मामला।
(2) कोई विधेयक केवल इस कारण से धन विधेयक नहीं समझा जाएगा कि उसमें:
(क) जुर्माने या अन्य धन दंडों का अधिरोपण, या
(ख) लाइसेंस शुल्क या सेवाओं के लिए शुल्क का अधिरोपण, या
(ग) स्थानीय उद्देश्यों के लिए कर, शुल्क, उपकर या अन्य समान प्रकृति की आय का अधिरोपण, के लिए उपबंध हैं।
(3) यदि कोई प्रश्न उठता है कि कोई विधेयक धन विधेयक है या नहीं, तो उस राज्य की विधानसभा के अध्यक्ष का निर्णय अंतिम होगा।
(4) प्रत्येक धन विधेयक, जब वह विधानसभा में प्रस्तुत किया जाता है, तो उस पर यह अंकित होगा कि वह धन विधेयक है।"
उद्देश्य: अनुच्छेद 199 धन विधेयक की परिभाषा को स्पष्ट करता है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि केवल विशिष्ट वित्तीय मामलों से संबंधित विधेयक ही इस श्रेणी में आएँ। यह विधानसभा के अध्यक्ष को धन विधेयक की पहचान करने का अंतिम अधिकार देता है। इसका लक्ष्य लोकतांत्रिक शासन, संवैधानिक जवाबदेही, और संघीय ढांचे में वित्तीय मामलों में विधानसभा की प्रभुता को सुनिश्चित करना है।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: संवैधानिक ढांचा: यह प्रावधान भारत सरकार अधिनियम, 1935 से प्रेरित है, जो प्रांतीय विधानमंडलों में धन विधेयकों की परिभाषा को नियंत्रित करता था। यह ब्रिटिश संसदीय प्रणाली में हाउस ऑफ कॉमन्स की वित्तीय प्रभुता को दर्शाता है। भारतीय संदर्भ: संविधान लागू होने पर, वित्तीय विधेयकों की स्पष्ट परिभाषा और प्रक्रिया सुनिश्चित करने के लिए यह प्रावधान बनाया गया, जो केंद्र में अनुच्छेद 110(संसद के लिए) के समानांतर है। प्रासंगिकता: यह प्रावधान धन विधेयकों की पहचान और उनकी विशेष प्रक्रिया(अनुच्छेद 198) को सुनिश्चित करता है।
अनुच्छेद 199 के प्रमुख तत्व
खंड(1): धन विधेयक की परिभाषा: धन विधेयक वह है जो केवल निम्नलिखित विषयों से संबंधित हो
(क) कराधान, उधार, प्रत्याभूति, वित्तीय दायित्व, या संचित निधि से धन निकासी।
(ख) संचित निधि में धन का संदाय, निकासी, या अभिरक्षा।
(ग) संचित निधि पर व्यय का भार।
(घ) संचित निधि से विनियोग।
(ङ) प्राप्तियों का लेखा, अभिरक्षा, या ब्याज गणना।
(च) पूरक या अतिरिक्त व्यय।
(छ) उपरोक्त से संबंधित मामले। उदाहरण: 2025 में, किसी राज्य का वार्षिक बजट धन विधेयक के रूप में प्रस्तुत हुआ।
खंड(2): धन विधेयक नहीं: निम्नलिखित के लिए उपबंध होने पर विधेयक धन विधेयक नहीं माना जाएगा: (क) जुर्माने या धन दंड। (ख) लाइसेंस शुल्क या सेवा शुल्क। (ग) स्थानीय कर, शुल्क, या उपकर। उदाहरण: नगरपालिका कर से संबंधित विधेयक धन विधेयक नहीं है।
खंड(3): अध्यक्ष का निर्णय: यदि कोई प्रश्न उठता है कि कोई विधेयक धन विधेयक है या नहीं, तो विधानसभा के अध्यक्ष का निर्णय अंतिम होगा। उदाहरण: 2025 में, एक विधेयक को धन विधेयक घोषित करने पर अध्यक्ष के निर्णय को चुनौती दी गई।
खंड(4): अंकन: प्रत्येक धन विधेयक पर विधानसभा में प्रस्तुति के समय यह अंकित होगा कि वह धन विधेयक है। उदाहरण: बजट विधेयक पर "धन विधेयक" का अंकन किया गया।
महत्व: वित्तीय प्रभुता: विधानसभा की वित्तीय मामलों में सर्वोच्चता। लोकतांत्रिक जवाबदेही: निर्वाचित विधानसभा की प्राथमिकता। संघीय ढांचा: राज्यों की वित्तीय स्वायत्तता। पारदर्शिता: धन विधेयक की स्पष्ट परिभाषा।
प्रमुख विशेषताएँ: धन विधेयक: विशिष्ट वित्तीय विषय। अध्यक्ष: अंतिम निर्णयकर्ता। अंकन: अनिवार्य। अपवाद: जुर्माने, स्थानीय कर।
ऐतिहासिक उदाहरण: 1950 के बाद: धन विधेयकों की परिभाषा लागू। 1990 के दशक: धन विधेयक की परिभाषा पर विवाद। 2025 स्थिति: डिजिटल युग में धन विधेयक की प्रक्रिया का डिजिटल रिकॉर्ड।
चुनौतियाँ और विवाद: गलत वर्गीकरण: धन विधेयक के रूप में गैर-वित्तीय विधेयक प्रस्तुत करने पर विवाद। अध्यक्ष का निर्णय: पक्षपात के आरोप।न्यायिक समीक्षा: धन विधेयक की परिभाषा की वैधता पर कोर्ट की जाँच।
संबंधित प्रावधान: अनुच्छेद 198: धन विधेयकों की प्रक्रिया। अनुच्छेद 200: राज्यपाल की सहमति। अनुच्छेद 110: संसद के लिए धन विधेयक।
Conclusion
Thanks For Read
jp Singh searchkre.com@gmail.com 8392828781

Our Services

Scholarship Information

Add Blogging

Course Category

Add Blogs

Coaching Information

Add Blogging

Add Blogging

Add Blogging

Our Course

Add Blogging

Add Blogging

Hindi Preparation

English Preparation

SearchKre Course

SearchKre Services

SearchKre Course

SearchKre Scholarship

SearchKre Coaching

Loan Offer

JP GROUP

Head Office :- A/21 karol bag New Dellhi India 110011
Branch Office :- 1488, adrash nagar, hapur, Uttar Pradesh, India 245101
Contact With Our Seller & Buyer