Recent Blogs

Article 197 of the Indian Constitution
jp Singh 2025-07-04 10:35:45
searchkre.com@gmail.com / 8392828781

भारतीय संविधान का अनुच्छेद 197

भारतीय संविधान का अनुच्छेद 197
अनुच्छेद 197 भारतीय संविधान के भाग VI(राज्य) के अंतर्गत अध्याय III(राज्य का विधानमंडल) में आता है। यह धन विधेयकों पर विधान परिषद की शक्तियों का प्रतिबंध(Restriction on powers of Legislative Council as to Bills other than Money Bills) से संबंधित है। यह प्रावधान विधान परिषद की उन शक्तियों को सीमित करता है जो धन विधेयकों(Money Bills) को छोड़कर अन्य विधेयकों पर लागू होती हैं।
"(1) यदि किसी राज्य की विधान परिषद को प्रेषित कोई विधेयक, जो धन विधेयक नहीं है, विधानसभा द्वारा फिर से पारित किए जाने के बाद, और विधान परिषद को प्रेषित किए जाने के बाद, विधान परिषद द्वारा:
(क) असहमति दे दी जाती है, या
(ख) बिना संशोधनों के सहमति दे दी जाती है, या
(ग) संशोधनों सहित सहमति दे दी जाती है, और यदि विधानसभा उन संशोधनों को स्वीकार नहीं करती है,
तो विधानसभा उस विधेयक को फिर से पारित कर सकती है, और यदि वह ऐसा करती है, तो वह विधेयक उसी रूप में, जिसमें वह विधानसभा द्वारा फिर से पारित किया गया था, राज्यपाल की सहमति के लिए प्रस्तुत किया जाएगा।
(2) इस अनुच्छेद में कोई बात विधान परिषद की उस शक्ति को प्रभावित नहीं करेगी जो किसी विधेयक को, जो उसे प्रेषित किया गया हो, संशोधन प्रस्तावित करने की है।"
उद्देश्य: अनुच्छेद 197 धन विधेयकों को छोड़कर अन्य विधेयकों पर विधान परिषद की शक्तियों को सीमित करता है, जिससे विधानसभा की प्राथमिकता और विधायी प्रक्रिया में उसकी सर्वोच्चता सुनिश्चित होती है। यह विधान परिषद को सलाहकार और संशोधन प्रस्तावित करने वाली भूमिका तक सीमित रखता है। इसका लक्ष्य लोकतांत्रिक शासन, संवैधानिक जवाबदेही, और संघीय ढांचे में विधानमंडल की कार्यकुशलता और विधानसभा की प्रभुता को बनाए रखना है।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: संवैधानिक ढांचा: यह प्रावधान भारत सरकार अधिनियम, 1935 से प्रेरित है, जो प्रांतीय विधानमंडलों में विधान परिषद की सीमित भूमिका को परिभाषित करता था। यह ब्रिटिश संसदीय प्रणाली में हाउस ऑफ लॉर्ड्स की तुलना में हाउस ऑफ कॉमन्स की प्राथमिकता को दर्शाता है।
भारतीय संदर्भ: संविधान लागू होने पर, द्विसदनीय विधानमंडलों में विधानसभा की प्रभुता और विधान परिषद की सलाहकार भूमिका सुनिश्चित करने के लिए यह प्रावधान बनाया गया, जो केंद्र में अनुच्छेद 109(संसद के लिए) के समानांतर है। प्रासंगिकता: यह प्रावधान विधान परिषद को अनावश्यक विलंब या रुकावट पैदा करने से रोकता है।
अनुच्छेद 197 के प्रमुख तत्व
खंड(1): विधान परिषद की सीमित शक्ति: यदि कोई विधेयक(धन विधेयक को छोड़कर) विधानसभा द्वारा पारित होकर विधान परिषद को प्रेषित किया जाता है, और:
(क) विधान परिषद असहमति देती है, या
(ख) बिना संशोधनों के सहमति देती है, या
(ग) संशोधनों सहित सहमति देती है, लेकिन विधानसभा उन संशोधनों को स्वीकार नहीं करती,
तो विधानसभा उस विधेयक को दोबारा पारित कर सकती है।
इसके बाद, विधेयक राज्यपाल की सहमति के लिए प्रस्तुत किया जाएगा।
उदाहरण: 2025 में, बिहार विधान परिषद ने एक विधेयक पर असहमति दी, लेकिन विधानसभा ने इसे दोबारा पारित कर राज्यपाल को भेजा।
खंड(2): संशोधन की शक्ति: यह प्रावधान विधान परिषद की संशोधन प्रस्तावित करने की शक्ति को प्रभावित नहीं करता। विधान परिषद सुझाव दे सकती है, लेकिन अंतिम निर्णय विधानसभा का होता है। उदाहरण: विधान परिषद ने संशोधन सुझाए, लेकिन विधानसभा ने उन्हें अस्वीकार कर विधेयक पारित किया।
महत्व: विधानसभा की प्रभुता: विधान परिषद की सलाहकार भूमिका। लोकतांत्रिक जवाबदेही: निर्वाचित विधानसभा की प्राथमिकता। संघीय ढांचा: राज्यों की विधायी स्वायत्तता। कार्यकुशलता: विधायी प्रक्रिया में विलंब की रोकथाम।
प्रमुख विशेषताएँ: विधानसभा: अंतिम प्राधिकारी। विधान परिषद: सलाहकार भूमिका। संशोधन: प्रस्ताव की शक्ति। राज्यपाल: सहमति का प्राधिकारी।
ऐतिहासिक उदाहरण: 1950 के बाद: विधान परिषद की असहमति के बाद विधानसभा ने विधेयक दोबारा पारित किए। 1990 के दशक: विधान परिषद की भूमिका पर विवाद। 2025 स्थिति: डिजिटल युग में विधेयक प्रक्रिया का डिजिटल रिकॉर्ड और पारदर्शिता।
चुनौतियाँ और विवाद: विधान परिषद कीप्रासंगिकता: इसकी सीमित शक्ति पर सवाल। राजनीतिक दबाव: विधान परिषद की असहमति पर विवाद।न्यायिक समीक्षा: विधायी प्रक्रिया की वैधता पर कोर्ट की जाँच।
संबंधित प्रावधान: अनुच्छेद 196: विधेयकों की सामान्य प्रक्रिया। अनुच्छेद 198: धन विधेयकों पर विशेष उपबंध। अनुच्छेद 200: राज्यपाल की सहमति।
Conclusion
Thanks For Read
jp Singh searchkre.com@gmail.com 8392828781

Our Services

Scholarship Information

Add Blogging

Course Category

Add Blogs

Coaching Information

Add Blogging

Add Blogging

Add Blogging

Our Course

Add Blogging

Add Blogging

Hindi Preparation

English Preparation

SearchKre Course

SearchKre Services

SearchKre Course

SearchKre Scholarship

SearchKre Coaching

Loan Offer

JP GROUP

Head Office :- A/21 karol bag New Dellhi India 110011
Branch Office :- 1488, adrash nagar, hapur, Uttar Pradesh, India 245101
Contact With Our Seller & Buyer