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Article 193 of the Indian Constitution
jp Singh 2025-07-04 09:43:35
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भारतीय संविधान का अनुच्छेद 193

भारतीय संविधान का अनुच्छेद 193
अनुच्छेद 193 भारतीय संविधान के भाग VI(राज्य) के अंतर्गत अध्याय III(राज्य का विधानमंडल) में आता है। यह शपथ या प्रतिज्ञान न लेने या गलत आधार पर मत देने के लिए दंड(Penalty for sitting and voting before making oath or affirmation under article 188 or when not qualified or when disqualified) से संबंधित है। यह प्रावधान उन व्यक्तियों के लिए दंड का प्रावधान करता है जो शपथ लिए बिना, अयोग्य होने पर, या गलत आधार पर विधानमंडल में बैठते हैं या मत देते हैं।
"यदि कोई व्यक्ति, जो किसी राज्य के विधानमंडल के किसी सदन का सदस्य चुना गया है, उस समय उस सदन में बैठता है या मत देता है जब:
(क) उसने अनुच्छेद 188 के अधीन शपथ या प्रतिज्ञान नहीं लिया है, या
(ख) वह इस संविधान के अधीन उस सदन का सदस्य होने के लिए योग्य नहीं है, या अयोग्य ठहराया गया है,
तो वह प्रत्येक दिन के लिए, जिस दिन वह ऐसा बैठता है या मत देता है, पांच सौ रुपये के दंड के लिए उत्तरदायी होगा, जो उस राज्य की संचित निधि में देय होगा, और यह दंड उस राज्य की सरकार द्वारा वसूल किया जा सकेगा।"
उद्देश्य: अनुच्छेद 193 यह सुनिश्चित करता है कि राज्य विधानमंडल(विधानसभा और, यदि लागू हो, विधान परिषद) के सदस्य केवल शपथ लेने और योग्य होने पर ही सदन में बैठें या मत दें। यह उन व्यक्तियों पर दंड लगाता है जो बिना शपथ लिए, अयोग्य होने पर, या गलत आधार पर विधानमंडल की कार्यवाही में भाग लेते हैं। इसका लक्ष्य लोकतांत्रिक शासन, संवैधानिक जवाबदेही, और संघीय ढांचे में विधानमंडल की अखंडता और वैधता को बनाए रखना है।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: संवैधानिक ढांचा: यह प्रावधान भारत सरकार अधिनियम, 1935 से प्रेरित है, जो प्रांतीय विधानमंडल में अनधिकृत भागीदारी पर दंड की व्यवस्था करता था। यह ब्रिटिश संसदीय प्रणाली में सांसदों की योग्यता और शपथ की अनिवार्यता की परंपरा को दर्शाता है। भारतीय संदर्भ: संविधान लागू होने पर, विधानमंडल की कार्यवाही की वैधता और निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए यह प्रावधान बनाया गया, जो केंद्र में अनुच्छेद 104(संसद के लिए) के समानांतर है।
प्रासंगिकता: यह प्रावधान विधानमंडल की कार्यवाही में केवल योग्य और शपथबद्ध व्यक्तियों की भागीदारी सुनिश्चित करता है।
अनुच्छेद 193 के प्रमुख तत्व
अनधिकृत भागीदारी पर दंड
यदि कोई व्यक्ति:
(क) अनुच्छेद 188 के तहत शपथ या प्रतिज्ञान लिए बिना सदन में बैठता है या मत देता है, या
(ख) संविधान के तहत सदस्य होने के लिए योग्य नहीं है या अयोग्य ठहराया गया है(अनुच्छेद 191 के तहत),
तो वह प्रत्येक दिन के लिए 500 रुपये का दंड देगा। दंड का भुगतान: दंड राशि राज्य की संचित निधि में जमा होगी। इसे राज्य सरकार द्वारा वसूला जा सकता है। उदाहरण: 2025 में, किसी विधानसभा सदस्य ने शपथ लिए बिना मत दिया, जिसके लिए दंड लागू हुआ।
महत्व: संवैधानिक अनुशासन: शपथ और योग्यता की अनिवार्यता। लोकतांत्रिक जवाबदेही: केवल योग्य व्यक्तियों की भागीदारी। संघीय ढांचा: राज्यों की विधायी अखंडता। निष्पक्षता: अनधिकृत भागीदारी पर दंड।
प्रमुख विशेषताएँ: दंड: 500 रुपये प्रति दिन। शपथ: अनुच्छेद 188 के तहत अनिवार्य। अयोग्यता: अनुच्छेद 191 के आधार। वसूली: राज्य सरकार द्वारा।
ऐतिहासिक उदाहरण: 1950 के बाद: शपथ न लेने या अयोग्यता के मामलों में दंड लागू। 1990 के दशक: अयोग्यता के आधार पर विवाद। 2025 स्थिति: डिजिटल युग में दंड और कार्यवाही का डिजिटल रिकॉर्ड।
चुनौतियाँ और विवाद: दंड की राशि: 500 रुपये की राशि को अपर्याप्त माना जाता है। अयोग्यता विवाद: अयोग्यता के आधार पर कानूनी चुनौतियाँ।न्यायिक समीक्षा: दंड की वैधता पर कोर्ट की जाँच।
संबंधित प्रावधान: अनुच्छेद 188: शपथ या प्रतिज्ञान। अनुच्छेद 191: अयोग्यता। अनुच्छेद 104: संसद के लिए समान दंड।
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