Article 192 of the Indian Constitution
jp Singh
2025-07-02 16:50:35
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भारतीय संविधान का अनुच्छेद 192
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 192
अनुच्छेद 192 भारतीय संविधान के भाग VI (राज्य) के अंतर्गत अध्याय III (राज्य का विधानमंडल) में आता है। यह राज्य विधानमंडल के सदस्यों की अयोग्यता पर निर्णय (Decision on questions as to disqualifications of members) से संबंधित है। यह प्रावधान अनुच्छेद 191 के तहत अयोग्यता के मामलों में अंतिम निर्णय लेने की प्रक्रिया और प्राधिकारी को परिभाषित करता है।
अनुच्छेद 192 का पाठ संविधान के मूल पाठ (हिंदी) के अनुसार
"(1) यदि यह प्रश्न उठता है कि किसी राज्य के विधानमंडल के किसी सदन का कोई सदस्य अनुच्छेद 191 के अधीन अयोग्य हो गया है, तो यह प्रश्न उस राज्य के राज्यपाल को सौंपा जाएगा और उसका निर्णय अंतिम होगा।
(2) कोई भी प्रश्न, जो खंड (1) के अधीन राज्यपाल को सौंपा जाता है, उस पर निर्णय देने से पहले, राज्यपाल, भारत के मुख्य निर्वाचन आयुक्त या उनके द्वारा नामनिर्दिष्ट किसी अन्य निर्वाचन आयुक्त की राय प्राप्त करेगा और उसके अनुसार कार्य करेगा।"
विस्तृत विश्लेषण
1. उद्देश्य: अनुच्छेद 192 राज्य विधानमंडल के सदस्यों की अयोग्यता (जैसे, लाभ का पद, विदेशी नागरिकता, दल-बदल आदि) से संबंधित प्रश्नों पर निर्णय लेने की प्रक्रिया को परिभाषित करता है। यह राज्यपाल को अयोग्यता पर अंतिम निर्णय लेने का अधिकार देता है, जिसमें मुख्य निर्वाचन आयुक्त की राय अनिवार्य होती है। इसका लक्ष्य लोकतांत्रिक शासन, संवैधानिक जवाबदेही, और संघीय ढांचे में विधानमंडल की सदस्यता की शुद्धता और निष्पक्षता को सुनिश्चित करना है।
2. ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: संवैधानिक ढांचा: यह प्रावधान भारत सरकार अधिनियम, 1935 से प्रेरित है, जो प्रांतीय विधानमंडल के सदस्यों की अयोग्यता पर निर्णय की प्रक्रिया निर्धारित करता था। यह ब्रिटिश संसदीय प्रणाली में अयोग्यता के मामलों की जाँच की परंपरा को दर्शाता है। भारतीय संदर्भ: संविधान लागू होने पर, विधानमंडल की सदस्यता की अखंडता सुनिश्चित करने के लिए यह प्रावधान बनाया गया, जो केंद्र में अनुच्छेद 103 (संसद के लिए) के समानांतर है।
प्रासंगिकता: यह प्रावधान विशेष रूप से दल-बदल (दसवीं अनुसूची) के मामलों में महत्वपूर्ण है, जो राजनीतिक स्थिरता के लिए आवश्यक है।
3. अनुच्छेद 192 के प्रमुख तत्व: खंड (1): राज्यपाल का निर्णय: यदि कोई प्रश्न उठता है कि कोई सदस्य अनुच्छेद 191 के तहत अयोग्य हो गया है, तो यह मामला राज्यपाल को सौंपा जाएगा। राज्यपाल का निर्णय अंतिम होगा। उदाहरण: 2025 में, किसी विधानसभा सदस्य के दल-बदल के मामले में राज्यपाल ने अयोग्यता का निर्णय लिया।
खंड (2): मुख्य निर्वाचन आयुक्त की राय: अयोग्यता पर निर्णय लेने से पहले, राज्यपाल को मुख्य निर्वाचन आयुक्त या उनके द्वारा नामनिर्दिष्ट किसी अन्य निर्वाचन आयुक्त की राय लेनी होगी। राज्यपाल इस राय के अनुसार कार्य करेगा। उदाहरण: दल-बदल के मामले में मुख्य निर्वाचन आयुक्त की सलाह पर राज्यपाल ने निर्णय लिया।
4. महत्व: निष्पक्षता: मुख्य निर्वाचन आयुक्त की राय से निष्पक्ष निर्णय। लोकतांत्रिक जवाबदेही: अयोग्यता की प्रक्रिया में पारदर्शिता। संघीय ढांचा: राज्यों की विधायी स्वायत्तता और केंद्र के साथ समन्वय। राजनीतिक स्थिरता: दल-बदल पर नियंत्रण।
5. प्रमुख विशेषताएँ: राज्यपाल: अंतिम निर्णयकर्ता। मुख्य निर्वाचन आयुक्त: अनिवार्य राय। अनुच्छेद 191: अयोग्यता का आधार। दल-बदल: दसवीं अनुसूची का प्रभाव।
6. ऐतिहासिक उदाहरण: 1985: दसवीं अनुसूची के लागू होने के बाद दल-बदल के मामलों में अयोग्यता। 1990 के दशक: अयोग्यता के निर्णयों पर विवाद। 2025 स्थिति: डिजिटल युग में अयोग्यता प्रक्रिया का डिजिटल रिकॉर्ड और पारदर्शिता।
7. चुनौतियाँ और विवाद: राज्यपाल का पक्षपात: केंद्र के प्रभाव के कारण निर्णयों पर सवाल। न्यायिक समीक्षा: राज्यपाल के निर्णय की वैधता पर कोर्ट की जाँच। दल-बदल: दसवीं अनुसूची की व्याख्या पर विवाद।
8. न्यायिक व्याख्या: किहोतो होलोहान बनाम ज़चिल्हु (1992): दसवीं अनुसूची की संवैधानिकता और अयोग्यता के निर्णय की सीमित न्यायिक समीक्षा। राजेंद्र सिंह राणा बनाम स्वामी प्रसाद मौर्य (2007): दल-बदल और अयोग्यता की प्रक्रिया पर स्पष्टता।
9. वर्तमान संदर्भ (2025): वर्तमान स्थिति: लोकसभा: अध्यक्ष ओम बिरला। राज्यसभा: सभापति जगदीप धनखड़। राष्ट्रपति: द्रौपदी मुर्मू। CJI: डी.वाई. चंद्रचूड़। CAG: गिरीश चंद्र मुरमू। 2025 में, अयोग्यता प्रक्रिया की पारदर्शिता और डिजिटलीकरण पर जोर। प्रासंगिकता: डिजिटल संसद पहल के तहत अयोग्यता के मामलों का डिजिटल रिकॉर्ड। केंद्र-राज्य समन्वय पर जोर। राजनीतिक परिदृश्य: NDA और INDIA गठबंधन के बीच दल-बदल और अयोग्यता पर तीव्र बहस।
10. संबंधित प्रावधान: अनुच्छेद 191: अयोग्यता के आधार। अनुच्छेद 103: संसद के लिए अयोग्यता पर निर्णय। दसवीं अनुसूची: दल-बदल पर नियम।
11. विशेष तथ्य: राज्यपाल: अंतिम निर्णयकर्ता। 2025 रिकॉर्ड: डिजिटल पारदर्शिता। संघीय ढांचा: मूल ढांचा। दल-बदल: दसवीं अनुसूची का प्रभाव।
Conclusion
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