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Article 191 of the Indian Constitution
jp Singh 2025-07-02 16:48:15
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भारतीय संविधान का अनुच्छेद 191

भारतीय संविधान का अनुच्छेद 191
अनुच्छेद 191 भारतीय संविधान के भाग VI (राज्य) के अंतर्गत अध्याय III (राज्य का विधानमंडल) में आता है। यह राज्य विधानमंडल के सदस्यों की अयोग्यता (Disqualifications for membership) से संबंधित है। यह प्रावधान उन परिस्थितियों को परिभाषित करता है, जिनमें कोई व्यक्ति राज्य विधानमंडल (विधानसभा और, यदि लागू हो, विधान परिषद) का सदस्य बनने या बने रहने के लिए अयोग्य ठहरता है।
अनुच्छेद 191 का पाठ संविधान के मूल पाठ (हिंदी) के अनुसार: "(1) कोई व्यक्ति किसी राज्य के विधानमंडल के किसी सदन का सदस्य चुने जाने के लिए और सदस्य होने के लिए अयोग्य होगा, यदि वह:
(क) भारत सरकार या किसी राज्य की सरकार के अधीन कोई लाभ का पद धारण करता है, सिवाय इसके कि वह पद, जिसे संसद या उस राज्य का विधानमंडल, कानून द्वारा, इस प्रयोजन के लिए अयोग्यता से मुक्त घोषित कर दे;
(ख) वह भारत का नागरिक न हो, या उसने स्वेच्छा से किसी विदेशी राज्य की नागरिकता अर्जित कर ली हो, या वह किसी विदेशी राज्य के प्रति निष्ठा या अनुपालन की किसी स्वीकृति के अधीन हो;
(ग) यदि वह विधि द्वारा स्थापित किसी सक्षम न्यायालय द्वारा अस्वस्थचित्त घोषित किया गया हो;
(घ) यदि वह अनुच्छेद 192 के अधीन अयोग्य ठहराया गया हो;
(ङ) यदि वह इस संविधान या किसी अन्य विधि के अधीन अयोग्य ठहराया गया हो।
(2) इस अनुच्छेद के प्रयोजनों के लिए, कोई व्यक्ति केवल इस कारण से लाभ का पद धारण करने वाला नहीं समझा जाएगा कि वह संघ या किसी राज्य का मंत्री है।"
विस्तृत विश्लेषण
1. उद्देश्य: अनुच्छेद 191 यह सुनिश्चित करता है कि केवल योग्य और उपयुक्त व्यक्ति ही राज्य विधानमंडल के सदस्य बनें या बने रहें। यह अयोग्यता के आधारों को परिभाषित करता है, जैसे लाभ का पद, विदेशी नागरिकता, अस्वस्थचित्तता, और अन्य कानूनी अयोग्यताएँ। इसका लक्ष्य लोकतांत्रिक शासन, संवैधानिक जवाबदेही, और संघीय ढांचे में विधानमंडल की निष्ठा और अखंडता को बनाए रखना है।
2. ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: संवैधानिक ढांचा: यह प्रावधान भारत सरकार अधिनियम, 1935 से प्रेरित है, जो प्रांतीय विधानमंडल के सदस्यों की अयोग्यता को नियंत्रित करता था। यह ब्रिटिश संसदीय प्रणाली में सदस्यों की योग्यता की परंपरा को दर्शाता है। भारतीय संदर्भ: संविधान लागू होने पर, विधानमंडल की सदस्यता की शुद्धता और निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए यह प्रावधान बनाया गया, जो केंद्र में अनुच्छेद 102 (संसद के लिए) के समानांतर है।
प्रासंगिकता: यह प्रावधान विधानमंडल में केवल योग्य व्यक्तियों की भागीदारी सुनिश्चित करता है।
3. अनुच्छेद 191 के प्रमुख तत्व: खंड (1): अयोग्यता के आधार
(क) लाभ का पद: कोई व्यक्ति जो भारत सरकार या राज्य सरकार के अधीन लाभ का पद धारण करता है, वह अयोग्य होगा। अपवाद: यदि संसद या राज्य विधानमंडल द्वारा कानून बनाकर वह पद अयोग्यता से मुक्त घोषित किया गया हो। उदाहरण: सरकारी नौकरी धारण करने वाला व्यक्ति अयोग्य, जब तक कि कानून द्वारा छूट न दी जाए।
(ख) नागरिकता: यदि व्यक्ति भारत का नागरिक नहीं है, या उसने विदेशी नागरिकता अर्जित की है, या किसी विदेशी राज्य के प्रति निष्ठा स्वीकार की है, तो वह अयोग्य होगा। उदाहरण: 2025 में, विदेशी नागरिकता के कारण किसी सदस्य की अयोग्यता पर विवाद।
(ग) अस्वस्थचित्तता: यदि सक्षम न्यायालय द्वारा व्यक्ति को अस्वस्थचित्त घोषित किया गया हो।
(घ) अनुच्छेद 192 के तहत अयोग्यता: यदि व्यक्ति को दल-बदल (अनुच्छेद 192 और दसवीं अनुसूची) के आधार पर अयोग्य ठहराया गया हो।
(ङ) अन्य कानूनी अयोग्यताएँ: संविधान या किसी अन्य कानून (जैसे, जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951) के तहत अयोग्यता।
खंड (2): अपवाद: कोई व्यक्ति केवल इस कारण से लाभ का पद धारण करने वाला नहीं माना जाएगा कि वह संघ या राज्य का मंत्री है। उदाहरण: राज्य का मुख्यमंत्री या मंत्री अयोग्य नहीं होगा।
4. महत्व: निष्पक्षता: लाभ के पदों से स्वतंत्रता। राष्ट्रीय निष्ठा: विदेशी नागरिकता पर रोक। लोकतांत्रिक जवाबदेही: केवल योग्य व्यक्तियों की सदस्यता। संघीय ढांचा: राज्यों की विधायी अखंडता।
5. प्रमुख विशेषताएँ: लाभ का पद: अयोग्यता का आधार। नागरिकता: भारतीयता अनिवार्य। दल-बदल: दसवीं अनुसूची। मंत्री: अपवाद।
6. ऐतिहासिक उदाहरण: 1950 के बाद: लाभ के पद और दल-बदल के आधार पर अयोग्यताएँ। 1985: दसवीं अनुसूची का जोड़, दल-बदल पर नियंत्रण। 2025 स्थिति: डिजिटल युग में अयोग्यता प्रक्रिया का डिजिटल रिकॉर्ड।
7. चुनौतियाँ और विवाद: लाभ का पद: परिभाषा और छूट पर विवाद। दल-बदल: अयोग्यता के निर्णय पर पक्षपात के आरोप। न्यायिक समीक्षा: अयोग्यता की वैधता पर कोर्ट की जांच।
8. न्यायिक व्याख्या: केशवानंद भारती (1973): संघीय ढांचा मूल ढांचे का हिस्सा। किहोतो होलोहान (1992): दल-बदल और अयोग्यता पर निर्णय की समीक्षा।
9. वर्तमान संदर्भ (2025): वर्तमान स्थिति: लोकसभा: अध्यक्ष ओम बिरला। राज्यसभा: सभापति जगदीप धनखड़। राष्ट्रपति: द्रौपदी मुर्मू। CJI: डी.वाई. चंद्रचूड़। CAG: गिरीश चंद्र मुरमू। 2025 में, अयोग्यता प्रक्रिया की पारदर्शिता पर जोर। प्रासंगिकता: डिजिटल संसद पहल के तहत अयोग्यता का डिजिटल रिकॉर्ड। केंद्र-राज्य समन्वय पर जोर। राजनीतिक परिदृश्य: NDA और INDIA गठबंधन के बीच दल-बदल और लाभ के पद पर बहस।
10. संबंधित प्रावधान: अनुच्छेद 102: संसद के लिए अयोग्यता। अनुच्छेद 192: अयोग्यता पर निर्णय। दसवीं अनुसूची: दल-बदल पर नियम।
11. विशेष तथ्य: दल-बदल: दसवीं अनुसूची का प्रभाव। 2025 रिकॉर्ड: डिजिटल पारदर्शिता। संघीय ढांचा: मूल ढांचा। लाभ का पद: कानूनी छूट।
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