Article 190 of the Indian Constitution
jp Singh
2025-07-02 16:43:50
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भारतीय संविधान का अनुच्छेद 190
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 190
अनुच्छेद 190 भारतीय संविधान के भाग VI (राज्य) के अंतर्गत अध्याय III (राज्य का विधानमंडल) में आता है। यह विधानमंडल के सदस्यों के स्थान रिक्त होने की स्थिति (Vacation of seats) से संबंधित है। यह प्रावधान राज्य विधानमंडल (विधानसभा और, यदि लागू हो, विधान परिषद) के सदस्यों के स्थान रिक्त होने की परिस्थितियों को परिभाषित करता है।
"(1) कोई भी व्यक्ति एक ही समय में एक से अधिक राज्यों के विधानमंडल के सदन का सदस्य नहीं होगा, और यदि कोई व्यक्ति एक से अधिक राज्यों के विधानमंडल के सदन का सदस्य चुना जाता है, तो उसकी सभी सीटें तब तक रिक्त हो जाएँगी, जब तक कि वह उनमें से केवल एक को छोड़कर, अन्य सभी सीटों से, विधानमंडल के नियमों के अनुसार, त्यागपत्र न दे दे।
(2) कोई भी व्यक्ति एक ही समय में किसी राज्य के विधानमंडल के दोनों सदनों का सदस्य नहीं होगा, और यदि कोई व्यक्ति, जो एक सदन का सदस्य है, दूसरे सदन का सदस्य चुना जाता है, तो उसकी सीट पहले सदन में रिक्त हो जाएगी।
(3) यदि कोई सदस्य: (क) स्वेच्छा से अपने स्थान का परित्याग करता है, और ऐसा परित्याग उसकी ओर से लिखित में विधानसभा के अध्यक्ष या विधान परिषद के सभापति, जैसा कि मामला हो, को सूचित किया जाता है; या
(ख) बिना सदन की अनुमति के साठ दिन की अवधि के लिए उस सदन की सभी बैठकों में अनुपस्थित रहता है, जिसका वह सदस्य है,
तो उसका स्थान रिक्त हो जाएगा: परंतु यह कि वह सदन अपने नियमों के अधीन ऐसी अवधि को बढ़ा सकता है।"
विस्तृत विश्लेषण
1. उद्देश्य: अनुच्छेद 190 राज्य विधानमंडल के सदस्यों के स्थान रिक्त होने की परिस्थितियों को परिभाषित करता है, जैसे कि एक साथ कई सीटों पर निर्वाचन, स्वेच्छा से त्यागपत्र, या अनुपस्थिति। यह सुनिश्चित करता है कि विधानमंडल की सदस्यता स्पष्ट और निष्पक्ष बनी रहे। इसका लक्ष्य लोकतांत्रिक शासन, संवैधानिक जवाबदेही, और संघीय ढांचे में विधानमंडल की अखंडता को बनाए रखना है।
2. ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: संवैधानिक ढांचा: यह प्रावधान भारत सरकार अधिनियम, 1935 से प्रेरित है, जो प्रांतीय विधानमंडल के सदस्यों की रिक्तियों को नियंत्रित करता था। यह ब्रिटिश संसदीय प्रणाली में सदस्यता की रिक्ति की परंपरा को दर्शाता है। भारतीय संदर्भ: संविधान लागू होने पर, विधानमंडल की सदस्यता की स्पष्टता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए यह प्रावधान बनाया गया, जो केंद्र में अनुच्छेद 101 (संसद के लिए) के समानांतर है। प्रासंगिकता: यह प्रावधान विधानमंडल की कार्यवाही में निरंतरता और वैधता सुनिश्चित करता है।
3. अनुच्छेद 190 के प्रमुख तत्व: खंड (1): एक से अधिक राज्यों में सदस्यता: कोई व्यक्ति एक से अधिक राज्यों के विधानमंडल का सदस्य नहीं हो सकता। यदि कोई व्यक्ति कई राज्यों में चुना जाता है, तो उसे एक सीट छोड़कर अन्य सभी सीटों से त्यागपत्र देना होगा, अन्यथा सभी सीटें रिक्त हो जाएँगी। उदाहरण: यदि कोई व्यक्ति उत्तर प्रदेश और बिहार विधानसभा में चुना जाता है, तो उसे एक सीट चुननी होगी।
खंड (2): दोनों सदनों में सदस्यता: कोई व्यक्ति किसी राज्य के विधानसभा और विधान परिषद दोनों का सदस्य नहीं हो सकता। यदि कोई विधानसभा का सदस्य विधान परिषद में चुना जाता है, तो उसकी विधानसभा की सीट रिक्त हो जाएगी। उदाहरण: 2025 में, एक विधानसभा सदस्य के विधान परिषद में चुने जाने पर उसकी विधानसभा सीट रिक्त हुई।
खंड (3): रिक्ति की अन्य परिस्थितियाँ: स्वेच्छा से परित्याग: यदि कोई सदस्य लिखित में त्यागपत्र देता है, तो उसका स्थान रिक्त हो जाता है। त्यागपत्र अध्यक्ष (विधानसभा) या सभापति (विधान परिषद) को संबोधित होता है। अनुपस्थिति: यदि कोई सदस्य बिना अनुमति के 60 दिन तक सदन की सभी बैठकों में अनुपस्थित रहता है, तो उसका स्थान रिक्त हो जाता है। सदन नियमों के तहत इस अवधि को बढ़ा सकता है।
उदाहरण: अनुपस्थिति के कारण किसी सदस्य की सीट रिक्त होने पर विवाद।
4. महत्व: सदस्यता की स्पष्टता: दोहरी सदस्यता पर रोक। लोकतांत्रिक जवाबदेही: नियमित उपस्थिति और सक्रियता। संघीय ढांचा: राज्यों की विधायी स्वायत्तता। निष्पक्षता: रिक्ति की स्पष्ट प्रक्रिया।
5. प्रमुख विशेषताएँ: दोहरी सदस्यता: निषिद्ध। त्यागपत्र: लिखित और संबोधित। अनुपस्थिति: 60 दिन की सीमा। सदन का नियंत्रण: अवधि विस्तार।
6. ऐतिहासिक उदाहरण: 1950 के बाद: कई सदस्यों ने त्यागपत्र दिया। 1990 के दशक: अनुपस्थिति और दोहरी सदस्यता पर विवाद। 2025 स्थिति: डिजिटल युग में रिक्तियों का डिजिटल रिकॉर्ड।
7. चुनौतियाँ और विवाद: त्यागपत्र विवाद: स्वेच्छा बनाम दबाव पर सवाल। अनुपस्थिति: अनुमति की परिभाषा पर असहमति। न्यायिक समीक्षा: रिक्ति की वैधता पर कोर्ट की जांच।
8. न्यायिक व्याख्या: केशवानंद भारती (1973): संघीय ढांचा मूल ढांचे का हिस्सा। किहोतो होलोहान (1992): अयोग्यता और रिक्ति पर चर्चा।
9. वर्तमान संदर्भ (2025): वर्तमान स्थिति: लोकसभा: अध्यक्ष ओम बिरला। राज्यसभा: सभापति जगदीप धनखड़। राष्ट्रपति: द्रौपदी मुर्मू। CJI: डी.वाई. चंद्रचूड़। CAG: गिरीश चंद्र मुरमू। 2025 में, रिक्ति प्रक्रिया की पारदर्शिता पर जोर। प्रासंगिकता: डिजिटल संसद पहल के तहत रिक्तियों का डिजिटल रिकॉर्ड। केंद्र-राज्य समन्वय पर जोर। राजनीतिक परिदृश्य: NDA और INDIA गठबंधन के बीच त्यागपत्र और रिक्ति पर बहस।
10. संबंधित प्रावधान: अनुच्छेद 101: संसद के लिए रिक्ति। अनुच्छेद 191: अयोग्यता। अनुच्छेद 183: सभापति का हटाना।
11. विशेष तथ्य: दोहरी सदस्यता: निषिद्ध। 2025 रिकॉर्ड: डिजिटल रिक्ति। संघीय ढांचा: मूल ढांचा। अनुपस्थिति: 60 दिन की सीमा।
Conclusion
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