Recent Blogs

Article 189 of the Indian Constitution
jp Singh 2025-07-02 16:39:59
searchkre.com@gmail.com / 8392828781

भारतीय संविधान का अनुच्छेद 189

भारतीय संविधान का अनुच्छेद 189
अनुच्छेद 189 भारतीय संविधान के भाग VI (राज्य) के अंतर्गत अध्याय III (राज्य का विधानमंडल) में आता है। यह राज्य विधानमंडल की मतदान शक्ति (Voting in Houses, power of Houses to act notwithstanding vacancies and quorum) से संबंधित है। यह प्रावधान विधानमंडल के सदनों में मतदान की प्रक्रिया, रिक्तियों के बावजूद कार्य करने की शक्ति, और कोरम (quorum) की आवश्यकता को परिभाषित करता है।
अनुच्छेद 189 का पाठ संविधान के मूल पाठ (हिंदी) के अनुसार
"(1) इस संविधान में अन्यथा उपबंधित के सिवाय, किसी राज्य के विधानमंडल के किसी सदन में सभी प्रश्नों का, जो उसकी किसी बैठक में उपस्थित हों, निर्णय उस सदन के उपस्थित और मत देने वाले सदस्यों के बहुमत से किया जाएगा, परंतु इस संविधान के अधीन किसी संकल्प को पारित करने के लिए आवश्यक विशेष बहुमत के मामले को छोड़कर।
(2) किसी राज्य के विधानमंडल का कोई सदन अपनी रिक्तियों या किसी व्यक्ति के मत देने में अयोग्य होने के कारण उसकी कार्यवाहियों की वैधता पर प्रश्न उठाए बिना कार्य कर सकता है।
(3) जब तक किसी राज्य का विधानमंडल, कानून द्वारा, अन्यथा उपबंध न करे, तब तक उस विधानमंडल के किसी सदन का कोरम उस सदन की कुल सदस्य संख्या का दसवाँ भाग होगा, परंतु यदि किसी समय उस सदन की बैठक में कोरम न हो, तो उस सदन के सभापति या अध्यक्ष, या उसकी तरह कार्य करने वाले व्यक्ति का यह कर्तव्य होगा कि वह या तो बैठक को स्थगित कर दे, या जब तक कोरम पूरा न हो तब तक के लिए बैठक को निलंबित कर दे।"
विस्तृत विश्लेषण
1. उद्देश्य: अनुच्छेद 189 राज्य विधानमंडल (विधानसभा और, यदि लागू हो, विधान परिषद) में मतदान की प्रक्रिया, रिक्तियों के बावजूद कार्यवाही की वैधता, और कोरम की आवश्यकता को परिभाषित करता है। यह सुनिश्चित करता है कि विधानमंडल की कार्यवाही सुचारु और वैध रूप से संचालित हो, भले ही कुछ सीटें रिक्त हों या कोरम की कमी हो। इसका लक्ष्य लोकतांत्रिक शासन, संवैधानिक जवाबदेही, और संघीय ढांचे में विधानमंडल की कार्यकुशलता को बनाए रखना है।
2. ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: संवैधानिक ढांचा: यह प्रावधान भारत सरकार अधिनियम, 1935 से प्रेरित है, जो प्रांतीय विधानमंडलों में मतदान और कोरम की व्यवस्था करता था। यह ब्रिटिश संसदीय प्रणाली में हाउस ऑफ कॉमन्स और हाउस ऑफ लॉर्ड्स की मतदान और कोरम की परंपरा को दर्शाता है। भारतीय संदर्भ: संविधान लागू होने पर, विधानमंडल की कार्यवाही को निर्बाध और वैध रखने के लिए यह प्रावधान बनाया गया, जो केंद्र में अनुच्छेद 100 (संसद के लिए) के समानांतर है। प्रासंगिकता: यह प्रावधान विधानमंडल की कार्यवाही में स्थिरता और वैधता सुनिश्चित करता है।
3. अनुच्छेद 189 के प्रमुख तत्व: खंड (1): मतदान की प्रक्रिया: विधानमंडल के किसी सदन में सभी प्रश्नों का निर्णय उपस्थित और मत देने वाले सदस्यों के बहुमत से होगा। अपवाद: विशेष बहुमत की आवश्यकता वाले संकल्प (जैसे, सभापति/अध्यक्ष को हटाना, अनुच्छेद 183)। उदाहरण: सामान्य विधेयक पर मतदान में उपस्थित सदस्यों का साधारण बहुमत पर्याप्त।
खंड (2): रिक्तियों के बावजूद कार्यवाही: विधानमंडल का कोई सदन रिक्तियों या किसी सदस्य के मत देने में अयोग्यता के बावजूद कार्य कर सकता है। ऐसी रिक्तियाँ या अयोग्यता कार्यवाही की वैधता पर प्रश्न नहीं उठाती। उदाहरण: यदि कुछ सीटें रिक्त हों, फिर भी विधानसभा विधेयक पारित कर सकती है।
खंड (3): कोरम की आवश्यकता: преимущества कोरम: विधानमंडल के किसी सदन की कुल सदस्य संख्या का दसवाँ भाग। यदि विधानमंडल कानून द्वारा अन्यथा उपबंध करता है, तो कोरम बदल सकता है। यदि कोरम पूरा न हो, तो अध्यक्ष/सभापति या कार्यवाहक व्यक्ति: बैठक को स्थगित कर देगा, या कोरम पूरा होने तक बैठक को निलंबित कर देगा। उदाहरण: 2025 में, किसी राज्य विधानसभा में कोरम की कमी के कारण सत्र स्थगित किया गया।
4. महत्व: लोकतांत्रिक जवाबदेही: बहुमत से निर्णय लेने की प्रक्रिया। निरंतरता: रिक्तियों के बावजूद कार्यवाही की वैधता। संघीय ढांचा: राज्यों की विधायी स्वायत्तता। निष्पक्षता: कोरम से कार्यवाही की वैधता।
5. प्रमुख विशेषताएँ: बहुमत: उपस्थित सदस्यों का। रिक्तियाँ: कार्यवाही पर प्रभाव नहीं। कोरम: दसवाँ भाग या कानून द्वारा निर्धारित। स्थगन/निलंबन: कोरम की कमी पर।
6. ऐतिहासिक उदाहरण: 1950 के बाद: राज्यों में कोरम और मतदान नियम लागू। 1990 के दशक: कोरम की कमी के कारण सत्र स्थगन। 2025 स्थिति: डिजिटल युग में मतदान और कोरम का डिजिटल रिकॉर्ड।
7. चुनौतियाँ और विवाद: कोरम की कमी: सत्र स्थगन से विधायी देरी। अयोग्यता विवाद: मतदान में अयोग्यता पर कानूनी चुनौतियाँ। न्यायिक समीक्षा: कार्यवाही की वैधता पर कोर्ट की जांच।
8. न्यायिक व्याख्या: केशवानंद भारती (1973): संघीय ढांचा मूल ढांचे का हिस्सा। किहोतो होलोहान (1992): अयोग्यता और मतदान पर चर्चा।
9. वर्तमान संदर्भ (2025): वर्तमान स्थिति: लोकसभा: अध्यक्ष ओम बिरला। राज्यसभा: सभापति जगदीप धनखड़। राष्ट्रपति: द्रौपदी मुर्मू। CJI: डी.वाई. चंद्रचूड़। CAG: गिरीश चंद्र मुरमू। 2025 में, कोरम और मतदान की पारदर्शिता पर जोर। प्रासंगिकता: डिजिटल संसद पहल के तहत मतदान और कोरम का डिजिटल रिकॉर्ड। केंद्र-राज्य समन्वय पर जोर। राजनीतिक परिदृश्य: NDA और INDIA गठबंधन के बीच कोरम और मतदान नियमों पर बहस।
10. संबंधित प्रावधान: अनुच्छेद 100: संसद के लिए मतदान और कोरम। अनुच्छेद 181: हटाने के दौरान गैर-अध्यक्षता। अनुच्छेद 183: सभापति का हटाना।
11. विशेष तथ्य: कोरम: दसवाँ भाग। 2025 रिकॉर्ड: डिजिटल मतदान। संघीय ढांचा: मूल ढांचा। वैधता: रिक्तियों का प्रभाव नहीं।
Conclusion
Thanks For Read
jp Singh searchkre.com@gmail.com 8392828781

Our Services

Scholarship Information

Add Blogging

Course Category

Add Blogs

Coaching Information

Add Blogging

Add Blogging

Add Blogging

Our Course

Add Blogging

Add Blogging

Hindi Preparation

English Preparation

SearchKre Course

SearchKre Services

SearchKre Course

SearchKre Scholarship

SearchKre Coaching

Loan Offer

JP GROUP

Head Office :- A/21 karol bag New Dellhi India 110011
Branch Office :- 1488, adrash nagar, hapur, Uttar Pradesh, India 245101
Contact With Our Seller & Buyer